अध्यात्म का महासंग: इतिहास के पन्नों में दर्ज हुआ कोलकाता का गीता पाठ! 5 लाख से अधिक लोगों ने मिलकर रचा विश्व कीर्तिमान

इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए महीनों पहले से ही तैयारियां शुरू कर दी गई थीं।
कोलकाता: 7 जनवरी का दिन पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में दर्ज हो गया है। धर्म, संस्कृति और एकता के अभूतपूर्व संगम का साक्षी बना ब्रिगेड परेड ग्राउंड,जहां पांच लाख से अधिक लोगों ने एक साथ बैठकर श्रीमद्भगवद्गीता के 18 अध्यायों का सस्वर पाठ किया।
इस विशाल आयोजन ने न केवल धार्मिक आस्था का प्रदर्शन किया, बल्कि शांति, सद्भाव और भारतीय संस्कृति की महानता का वैश्विक संदेश भी दिया।
'सनातन संस्कृति संसद' द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम की भव्यता ऐसी थी कि इसकी गूंज राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सुनाई दी, और एक साथ इतने बड़े पैमाने पर गीता पाठ का नया विश्व रिकॉर्ड बन गया।
धर्म संसद की पहल और कार्यक्रम की अभूतपूर्व सफलता
यह आयोजन निष्पादन सनातन संस्कृति संसद नामक संगठन ने किया था, जिसका उद्देश्य लोगों को एक मंच पर लाकर आध्यात्मिक मूल्यों और भारतीय ज्ञान से जोड़ना था।
आयोजकों के अनुसार, इस कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए महीनों पहले से ही तैयारियां शुरू कर दी गई थीं। कार्यक्रम के लिए अग्रिम पंजीकरण की व्यवस्था की गई थी, जिसने आयोजकों को भीड़ प्रबंधन और सुविधाओं की व्यवस्था करने में मदद की।
पंजीकृत श्रद्धालुओं के लिए कोलकाता के विभिन्न हिस्सों से परिवहन की विशेष व्यवस्था की गई थी, ताकि लाखों लोग समय पर ब्रिगेड ग्राउंड पहुच सकें।
ग्राउंड में सुबह से ही लोगों का आना शुरू हो गया था, और दोपहर होते-होते पूरा मैदान जनसैलाब से भर चुका था। सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे, जिसमें स्थानीय पुलिस के साथ-साथ स्वयंसेवकों की बड़ी टीम भी शामिल थी।
लोगों की संख्या इतनी अधिक थी कि ब्रिगेड ग्राउंड अपनी क्षमता से अधिक भरा हुआ था। जहां अलग-अलग जातियों के लोग एक ही स्वर और लय में गीता के पवित्र श्लोकों का पाठ कर रहे थे।
आयोजन स्थल पर एक विशाल मंच बनाया गया था, जहा से गीता के महत्व पर प्रकाश डाला गया और सामूहिक पाठ किया गया।
सामूहिक गीता पाठ और दिव्य माहौल
सामूहिक गीता पाठ का कार्यक्रम एक सुनिश्चित समय के अनुसार किया गया था। सबसे पहले, पवित्र मंत्रोच्चार और शंखनाद के साथ कार्यक्रम का विधिवत उद्घाटन किया गया। श्रीमद्भगवद्गीता के दर्शन और उसके जीवन में प्रासंगिकता पर संक्षिप्त चर्चा हुई।
मुख्य आकर्षण का केंद्र सामूहिक गीता पाठ था। उपस्थित लाखों लोगों को गीता की विशेष प्रतियां और पाठ सामग्री प्रदान की गई थी। एक साथ 5 लाख से अधिक कंठों से निकले श्लोकों की ध्वनि इतनी शक्तिशाली थी कि पूरे वातावरण में एक अद्वितीय आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार हो गया। पाठ के दौरान, मैदान में मौजूद लोग पूरी एकाग्रता और भक्ति के साथ श्लोकों का उच्चारण कर रहे थे। पाठ की समाप्ति के बाद, सभी लोगों ने देश में शांति, सद्भाव और विश्व कल्याण के लिए प्रार्थना की। सामूहिक पाठ के बाद, 'प्रसाद' वितरण किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में स्वयंसेवकों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
इस विशाल आयोजन का सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव
कोलकाता में हुए इस विराट गीता पाठ के कार्यक्रम का सामाजिक और राजनीतिक परिदृश्य पर व्यापक प्रभाव पड़ा। यह आयोजन विभिन्न वर्गों के लोगों को एक सामान्य पहचान भारतीय संस्कृति के तले लाया।
इस तरह के विशाल और सफल आयोजन ने देश और दुनिया को यह संदेश दिया कि भारत की धर्मनिरपेक्षता उसकी सनातन संस्कृति की समावेशी प्रकृति से आती है।
राजनीतिक रूप से, यह कार्यक्रम पश्चिम बंगाल की राजनीति में एक महत्वपूर्ण घटना बनकर उभरा है। राज्य में जहा अक्सर राजनीतिक ध्रुवीकरण देखने को मिलता है, वहा इतनी बड़ी संख्या में लोगों का एक साथ धार्मिक आयोजन में शामिल होना जनभावना और सांस्कृतिक झुकाव को दर्शाता है।
यह आयोजन राजनीतिक दलों के लिए एक स्पष्ट संकेत है कि सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान लोगों के जीवन में कितना महत्व रखती है। कई राजनीतिक विश्लेषकों ने इस कार्यक्रम को धार्मिक चेतना के उभार के रूप में देखा है, जो आने वाले समय में राज्य की नीतियों और चुनावी समीकरणों को भी प्रभावित कर सकता है।
स्थानीय निवासियों का कहना है कि इस आयोजन ने न केवल धार्मिक भावना को बल दिया है, बल्कि कोलकाता शहर की सांस्कृतिक प्रतिष्ठा को भी बढ़ाया है।
बनाया गया विश्व रिकॉर्ड
ब्रिगेड ग्राउंड में हुए इस सामूहिक गीता पाठ ने सबसे बड़े धार्मिक या आध्यात्मिक समागमों में से एक होने का कीर्तिमान स्थापित किया है। आयोजकों ने दावा किया है कि 5 लाख से अधिक लोगों का एक साथ गीता पाठ करना अपने आप में एक विश्व रिकॉर्ड है।
इस आयोजन की सफलता का सबसे बड़ा पहलू यह है कि इसने युवा पीढ़ी को भी बड़ी संख्या में आकर्षित किया। हजारों की संख्या में युवा और छात्र इस पाठ में शामिल हुए।
