बिहार चुनाव 2020 : तेजस्वी ने लिखा, बदलो सरकार, बिहार नहीं रहेगा हालात से लाचार और व्यवस्था से बीमार
तेजस्वी यादव ने सोशल मीडिया पर कोरोना से लड़ने में बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को नाकाफी बताती हुई एक वीडियो अपलोड की है। साथ ही तेजस्वी ने लिखा कि हालात से लाचार, व्यवस्था से बीमार अब नहीं रहेगा बिहार। बदलो सरकार, बदलो सरकार।

राजद नेता तेजस्वी यादव बिहार सरकार पर लचर स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को लेकर लगातार हमलावर हैं। इसी कड़ी में शुक्रवार को राजद नेता तेजस्वी यादव ने फेसबुक पर एक वीडियो अपलोड की है। जिसमें कोरोना से लड़ने के लिए बिहार की स्वास्थ्य व्यावस्थाओं को नाकाफी बताया जा रहा है। वीडियो में बताया गया कि नीति आयोग ने देशभर के राज्यों की स्वास्थ्य रैंकिंग में बिहार को 2019 में 21 वां स्थान दिया था। ये कारण थे यहां डॉक्टरों का आभाव, अस्पतालों और मेडिकल स्टाफ की कमी व कूव्यवस्थाओं से बढ़ती बीमारी। बिहार में सुशासन का दावा करने वाली नीतीश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में माना था कि हमारे पास जरूरत की तुलना में 57 प्रतिशत डॉक्टर और 71 फीसदी नर्सों की कमी है।
बिहार अब इन अभावों में कोरोना जैसी बीमारी से लड़े भी तो लड़े कैसे? इतना ही नहीं अगर इन पहलुओं को विस्तार से जाने तो डब्ल्यूएचओ के मानक के अनुसार एक हाजार लोगों पर एक डॉक्टर होना अनिवार्य है। वहीं बिहार में 28000 लोगों पर ही एक डॉक्टर है। एक लाख की आबादी पर मात्र एक ही बेड है। जहां वर्तमान परिस्थितियों के हिसाब से बिहार में एक लाख से ज्यादा डॉक्टर होने चाहिए पर बिहार में केवल 6830 ही डॉक्टर हैं। बिहार में 3470 प्राइमरी हेल्थ सेंटर होने चाहिए थे, वहां केवल 1190 ही प्राइमरी सेंटर हैं। सूबे में जहां 870 कम्युनिटी हेल्थ सेंटर होने चाहिए थे वहां केवल 150 कम्युनिटी हेल्थ सेंटर ही हैं। जो बिहार की स्थिति को देखते हुए बेहतद कम हैं।
इतना ही नहीं पूरे बिहार में भी सिर्फ नौ मेडिकल कॉलेज अस्पताल ही हैं। कोरोना संक्रमण का अटेक फेफड़ों पर सबसे अधिक होता है। जिससे सांस लेने में दिक्कत होती है तो ऐसी स्थिति में वेंटिलेटरों की सबसे ज्यादा जरूरत होती है। पटना में महज 400 वेंटिलेटर हैं। लेकिन 20 लाख से ज्यादा आबादी वाले पटना में की यह स्थिति है तो अन्य जिलों का क्या हाल होगा। डॉक्टर, मेडिकल स्टाफ और पीपीई किट की कमी और मास्क की कमी। अब नीतीश सरकार ने बिहार को कमी के अलावा दिया ही क्या है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनके सहयोगी सूबे में इन सभी अव्यवस्थाओं के व्याप्त होते हुए भी कुर्सी बचाने का प्रयास करते हुए नजर आ रहे हैं।