कोरोना काल में सबसे ज्यादा मार झेल रहे प्राइवेट टीचर
हम लोग बेसब्र होकर 31 अगस्त का इंतजार कर रहे थे कि इस बार सरकार हमारे बारे में सोचेगी परंतु ऐसा न हो सका। उन्होंने कहा कि सितंबर का महीना काटकर एक बार फिर हिम्मत जुटाएंगे इस इंतजार में की अक्टूबर के महीने से कुछ आमदनी होनी शुरू होगी।

देश में कोरोना वायरस की वजह से लॉकडाउन लगाया गया है। जिसमें लगभग हर छोटे-बड़े क्षेत्रों को बंद करके रखा गया है। हालांकि जरूरत के सामानों की सेवाएं बंद नहीं की गई है। जिससे लोगों को खाने-पीने की चीजों में कमी नहीं आई। इस दौरान विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े लोगों को काफी समस्या आ रही हैं। लॉकडाउन में बंद किये गये क्षेत्रों की वजह से अर्थव्यवस्था पर भी इसका काफी असर हुआ। जिससे लाखों लोगों की नौकरी चली गई।
पूरे देश में अलग-अलग राज्यों से लाखों लोगों का पलायन होने लगा। हालांकि लॉकडाउन में धीरे-धीरे छूट दी जा रही है और भारत सरकार द्वारा अब अनलॉक के तहत कई क्षेत्रों को खोल दिया गया।
कल ही केंद्र सरकार द्वारा अनलॉक 4 की गाइडलाइन जारी की गई है। जिसके तहत अब देश में लगभग ज्यादातर क्षेत्रों को खोल दिया गया है। फिलहाल अब कुछ ही क्षेत्रों को ही बंद करके रखा गया है। इसी बीच मैं आपका ध्यान एक ऐसे वर्ग की तरफ आकर्षिक करना चाहता हूं जो इस कोरोना महामारी और लॉकडाउन का मार अभी तक झेल रहे है। ऐसे में स्कूल, कॉलेज और कोचिंग संस्थानों को न खोले जाने को लेकर देश के कई प्रावेट संस्थाओं के प्राइवेट टीचरों ने अपनी नाराजगी जताई है।
जो इस लॉकडाउन में अपना गुजर बसर बहुत मुश्किलों से कर पा रहे है। शायद इस ओर न ही केंद्र सरकार और न ही राज्य सरकारों ध्यान है। पिछले पांच महीनों से इनके बारे में न कोई बात कर रहा है और न ही कहीं से इनकों मदद मिल पा रही है। ऐसे में यह टीचर खुदका और अपने परिवारों का जैसे-तैसे भरण पोषण कर रहे है।
फिर भी इन टीचरों की खाफी परेशानियां है जो न कोई सुन पा रहा है और न ही कोई देख पा रहा है। इस वैश्विक महामारी में एक प्राईवेट संस्थान के टीचर जितेंद्र शर्मा ने केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार पर अपनी नाराजगी जताते हुये कहा कि लॉकडाउन बढ़ाने और कोचिंग संस्थान न खोलने से खाफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
उन्होंने आगे कहा कि गरीब के उस बच्चे को पड़ोस के कोचिंग सेंटर में पढ़ने से कोरोना संक्रमण हो जायेगा परंतु जब उनके माता, पिता, भाई और बहन अपने काम से आने जाने के समय बसों और मेट्रो में सफर करेंगे तो इनकों कोविड-19 महामारी जैसी बीमारी नहीं होगी। वहीं कुछ ही दिनों बाद उस गरीब बच्चे को जिसके पास ऑनलाइन क्लास लेने के लिए स्मार्ट मोबाइल नहीं है वह ऐसे बच्चों से प्रतिस्पर्धा करेंगे जो सभी सुविधा से संपन्न है। क्या इसे ही समानता कहेंगे।
उन्होंने कहा कि हमारे जैसे लाखों प्राइवेट टीचर जो पिछले 5 महीनों से कर्जा लेकर अपना गुजारा कर रहे है। हम लोग बेसब्र होकर 31 अगस्त का इंतजार कर रहे थे कि इस बार सरकार हमारे बारे में सोचेगी परंतु ऐसा न हो सका। उन्होंने कहा कि सितंबर का महीना काटकर एक बार फिर हिम्मत जुटाएंगे इस इंतजार में की अक्टूबर के महीने से कुछ आमदनी होनी शुरू होगी।