SL Bhyrappa: कन्नड़ साहित्य के महान लेखक पद्म भूषण एस.एल. भैरप्पा का निधन, PM मोदी ने दी श्रद्धांजलि

SL Bhyrappa Passed Away
SL Bhyrappa Passed Away: कन्नड़ भाषा के प्रख्यात लेखक, विचारक और पद्म भूषण से सम्मानित डॉ. एस.एल. भैरप्पा का बुधवार (24 सितंबर 2025) को निधन हो गया। वे भारतीय साहित्य में अपने गहन विचारों, ऐतिहासिक दृष्टिकोण और सांस्कृतिक विवेचन के लिए जाने जाते थे। उनके निधन से देश में शोक की लहर है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा, आज हमने एक ऐसे प्रखर व्यक्तित्व को खो दिया है, जिन्होंने अपने विचारोत्तेजक लेखन ने कन्नड़ साहित्य को हमेशा समृद्ध किया है। वे निडर और कालजयी विचारक थे। भैरप्पा का इतिहास और संस्कृति के प्रति समर्पण आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत रहेगा।
In the passing of Shri S.L. Bhyrappa Ji, we have lost a towering stalwart who stirred our conscience and delved deep into the soul of India. A fearless and timeless thinker, he profoundly enriched Kannada literature with his thought-provoking works. His writings inspired… pic.twitter.com/ZhXwLcCGP3
— Narendra Modi (@narendramodi) September 24, 2025
पद्म भूषण मिलने पर जताई थी खुशी
केंद्र सरकार ने डॉ. एस.एल. भैरप्पा को पद्म भूषण से सम्मानित किया था। 25 जनवरी 2025 को सम्मान मिलने के बाद उन्होंने कहा था कि किसी लेखक की कृतियाँ अगर उसकी मृत्यु के बाद भी प्रासंगिक रहती हैं, तो वही सबसे बड़ा पुरस्कार है। यह सम्मान उन्हें प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में ही संभव हो पाया।
पुरस्कार आएंगे-जाएंगे, लेखन अमर रहेगा
भैरप्पा ने कहा था कि लेखकों के लिए सबसे बड़ा पुरस्कार यह है कि पाठक उनकी कृतियों से जुड़ें और उन्हें पढ़ें। लेखक तो एक दिन चला जाएगा, लेकिन महत्वपूर्ण यह है कि क्या उसकी रचना मृत्यु के बाद भी जीवित रहती है।
कन्नड़ साहित्य को दी अमूल्य देन
एस.एल. भैरप्पा के उपन्यास 14 से अधिक भारतीय भाषाओं में अनूदित किए गए हैं। वे भारतीय महाकाव्यों और संस्कृति पर आधारित समाजिक विमर्श को साहित्यिक मंच पर लाने के लिए प्रसिद्ध थे। उनकी सबसे चर्चित रचना 'आवाराण' को पाठकों और आलोचकों से अत्यधिक सराहना मिली।
मैसूर को समर्पित किया था सम्मान
एसएल भैरप्पा ने इस सम्मान को मैसूर के लोगों को समर्पित करते हुए कहा था कि मेरे गुरुओं और यहां के लोगों ने ही मेरा भरण-पोषण किया, यह पुरस्कार उनका है।
साहित्यिक क्षितिज को दी अमिट छाप
एसएल भैरप्पा का जाना न केवल कन्नड़ साहित्य बल्कि पूरे भारतीय साहित्य के लिए एक अपूरणीय क्षति है। उनका लेखन आने वाली पीढ़ियों को चिंतन, प्रश्न और समाज से जुड़ने के लिए प्रेरित करता रहेगा।
