अप्रूवल मिलते ही तीन गुना हो जाएगा शहर की सफाई का खर्च
अब सरकार के निर्देश पर सफाई कार्य को दो भागों में विभाजित करने की कवायद शुरू हुई है। लेकिन सरकार की यह कवायद खजाने पर भारी पड़ने वाली है।

बहादुरगढ़ : कूड़ा लिफ्ट कर डंपिंग स्टेशन की ओर जाता ट्रैक्टर।
रवींद्र राठी. बहादुरगढ़
नगरमें गंदगी की बजाय खजाने को साफ करने की परम्परा को आगे बढ़ाते हुए इस खर्च को अब तीन गुणा करने की तैयारी कर ली गई है। टेंडर प्रक्रिया पूरी करने के बाद केस बनाकर अब निदेशालय में अप्रूवल के लिए भेजा गया है। विदित है कि नगर परिषद द्वारा फिलहाल सफाई के एक-दो नहीं बल्कि कई टेंडर कर खजाने को दोनों हाथों से लुटाया जा रहा है। अब सरकार के निर्देश पर सफाई कार्य को दो भागों में विभाजित करने की कवायद शुरू हुई है। लेकिन सरकार की यह कवायद खजाने पर भारी पड़ने वाली है।
वर्तमान में शहर के 31 वार्डों से घर-घर कूड़ा उठाने का अलग टेंडर है, जिस पर 31 लाख से अधिक खर्च होते हैं। शहर की कुछ सड़कों की नाइट स्वीपिंग के नाम पर अलग टेंडर है और इसके एवज में करीब 36 लाख रुपए खर्च होते हैं। करीब दो दर्जन नालांे की सफाई का एक अलग टेंडर है, जिस पर मासिक 17 लाख से अधिक खर्च होते हैं। हशविप्रा द्वारा विकसित सेक्टर-2, 6, 7, 9 व 9ए की सफाई के लिए एक अलग टेंडर है, जिस पर हर महीने करीब 40 लाख रुपए खर्च होते हैं। एमआईई पार्ट-ए व बी की सफाई पर मासिक 14 लाख से अधिक खर्चने का अलग टेंडर है। वार्ड-1 से 10 की सफाई के साथ सभी वार्डों से लिफ्टिंग का करीब 38 लाख रुपए का अलग टेंडर है। आपको शायद यकीन नहीं होगा कि शहर की सफाई पर हर महीने करीब पौने दो करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं।
सफाई के इस कागजी कार्य को दो भागों में विभाजित करने के सरकारी दिशानिर्देशों की अनुपालना करते हुए नगर परिषद ने एक नया टेंडर तैयार किया। इस एक टेंडर में वार्ड-1 से 10 की सफाई के साथ हशविप्रा द्वारा विकसित सेक्टर-2, 6, 7, 9 व 9ए की सफाई, एमआईई पार्ट-ए व बी के अलावा गणपति धाम की सफाई और मुख्य सड़कों-बाजारों की सफाई को शामिल किया गया है। इसके लिए नगर परिषद ने हर महीने करीब 1 करोड़ 34 लाख रुपए का एस्टीमेट बनाकर निदेशालय भेजा। निदेशक की ओर से 1 फरवरी 2022 को करीब 81 लाख रुपए मासिक की प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान की गई। इसके एक सप्ताह के भीतर नप द्वारा टेंडर आमंत्रित कर दिए गए। हैरत की बात है कि इसमें लागत का उल्लेख नहीं किया गया।
नप ने 7 फरवरी को टेंडर आमंत्रित किए थे। तीन कंपनियों ने 12 फरवरी तक अपनी निविदाएं दी। अधिकारियों ने 17 फरवरी को टेंडर खोले। इसमें से चाहार कंस्ट्रक्शन कंपनी ने 2 करोड़ 39 लाख 50 हजार रुपए मासिक का रेट भरा। जबकि गणेशा एंटरप्राइजेज ने 2 करोड़ 31 लाख 31 हजार रुपए का रेट भरा। तीसरी कंपनी पूजा कंसूलेशन कंपनी ने 85 लाख रुपए का रेट भरा। लेकिन अधिकारियों ने इसकी बिड को कमेटी रिपोर्ट का हवाला देते हुए रद कर दिया। इसे लेकर सवाल उठना भी स्वाभाविक है। इसके बाद 2 करोड़ 31 लाख 31 हजार रुपए का रेट कमतर मानते हुए 25 फरवरी को अप्रूवल के लिए निदेशालय में भेज दिया गया। इस तरह अब गेंद सरकार के पाले में है। यह अप्रूव होते ही शहर को सफाई के लिए तीन गुणा भुगतान करना होगा।