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इस बार गेहूं की फसल ने तोड़ी किसान की कमर, खरीद एजेंसियों के भी समय से पहले उखड़ गए तंबू

किसानों के मुताबिक गेहूं उत्पादन में 25-30 प्रतिशत की इस बार कमी दर्ज की गई। जबकि मंडी में गेहूं की पिछले साल की तुलना में आधी रही। अधिकारिक जानकारी के मुताबिक जिले में 147026 मीट्रिक टन गेहूं की आवक हुई थी। जबकि वर्ष 2021 में एजेंसियां मई के पहले सप्ताह अढ़ाई लाख मीट्रिक टन से अधिक की खरीद कर चुकी थी। पिछले साल 3 लाख 15 हजार मीट्रिक टन गेहूं की खरीदारी एजेंसियाें ने की थी।

इस बार गेहूं की फसल ने तोड़ी किसान की कमर, खरीद एजेंसियों के भी समय से पहले उखड़ गए तंबू
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अमरजीत एस गिल : रोहतक

मौसमी मार की वजह से गेहूं खरीद एजेंसियां अब अपने तम्बू उखाड़ने की तैयारी में हैं। लेकिन एजेंसियों की मजबूरी यह है कि 15 मई से पहले मंडियां नहीं छोड़ सकती। क्योंकि सरकार ने गेहूं खरीद का समय निर्धारित किया हुआ है। गेहूं आवक को लेकर जिले की मंडियों और खरीद केंद्रों के हालात ये हैं कि कहीं पर सौ क्विंटल तो कहीं पर दो सौ क्विंटल की खरीद भी प्रतिदिन नहीं हो रही है। अबकी बार मौसम ने किसान की कमर तोड़ दी। किसानों के मुताबिक गेहूं उत्पादन में 25-30 प्रतिशत की इस बार कमी दर्ज की गई। जबकि मंडी में गेहूं की पिछले साल की तुलना में आधी रही। अधिकारिक जानकारी के मुताबिक जिले में 147026 मीट्रिक टन गेहूं की आवक हुई थी। जबकि वर्ष 2021 में एजेंसियां मई के पहले सप्ताह अढ़ाई लाख मीट्रिक टन से अधिक की खरीद कर चुकी थी। पिछले साल 3 लाख 15 हजार मीट्रिक टन गेहूं की खरीदारी एजेंसियाें ने की थी। उस हिसाब से देखा जाए तो इस बार गेहूं की आधी आवक भी नहीं हुई। ऐसे में ज्यादा आवक की उम्मीद भी नहीं की जा सकती है।

किसानों को भारी नुकसान

जिले में उत्पादन कम होने के दो बड़े कारण इस बार रहे। पहला यह है कि सर्दी के मौसम में रुक-रुककर लगातार बारिश हुई। इससे गेहूं की बढ़वार पूरी तरह से नहीं हो पाई। कई गांव तो ऐसे भी थे कि जहां बेमौसमी भारी बारिश ने गेहूं फसल को 60-70 प्रतिशत तक नष्ट ही कर दिया। प्रकृति की मार पड़नी बंद नहीं हुई।

ऐसे बढ़ता गया पारा

मार्च के पहले सप्ताह में अप्रत्याशित रूप से तापमान बढ़ना शुुरू हुआ। मध्य मार्च आते-आते पारा 30 डिग्री सेल्यिसस अधिक हो गया। लेकिन मार्च के अंतिम दिनों में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस तक जा पहुंचा। और लू का दौर समय से पहले शुरू हो गया। उसी वक्त कृषि वैज्ञानिकों ने अंदेशा जाहिर कर दिया था कि गेहूं के उत्पादन में इस बार काफी कमी होगी। और यह आशंका उस समय सही साबित हुई, जब फसल की कटाई-कढ़ाई का कार्य प्रारंभ हुआ।

पौने 3 लाख एकड़ में बोया था गेहूं

जिले के किसानों ने बड़ी उम्मीद के साथ इस बार पौने तीन लाख एकड़ में गेहूं बोया। पूरे सीजन किसानों ने फसल तैयार करने के लिए मेहनत की। लेकिन उम्मीदों पर पानी मौसम लगातार फेरता रहा। नवम्बर 2021 से लेकर फरवरी 2022 तक 14-15 बार पश्चिमी विक्षोभ की वजह से राज्य में बारिश हुई। बारिश हलकी होती तो गेहूं फसल सह जाती। जनवरी के चौथे सप्ताह की शुरुआत में दो-तीन दिन तक रूक-रूककर लगातार बारिश हुई। फसल को जिस समय बढ़वार के लिए सूखी जमीन की जरूरत थी, उस समय फसल में कई दिन तक बारिश का पानी भरा रहा।

बोनस की है मांग

किसान देश का पेट भरता है। लेकिन कम उत्पादन की वजह से इस बार खुद के परिवार के लाले पड़ गए हैं। इसलिए सरकार ने किसानों को 500 रुपये प्रति क्विंटल का बोनस देना चाहिए। -चांद कुंडू, जिला प्रधान भारतीय किसान यूनियन

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