MDU : प्रोफेसर सर्वजीत गिल के शोध का दुनिया के 15 हजार अनुसंधानकर्ताओं ने किया अनुकरण
प्रो. गिल की इस उपलब्धि पर गत दिनों विश्वविद्यालय के कुलाधिपति एवं राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने उत्कृष्ट एवं अनुकरणीय शोध, अध्यापन एवं प्रतिबद्ध अनुसंधान के लिए सम्मानित किया।

राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने प्रो. गिल को सम्मानित किया।
अमरजीत एस गिल : रोहतक
महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय (Maharishi Dayanand University) में सेंटर फॉर बॉयोटेक्नोलॉजी के सहायक प्रोफेसर सर्वजीत सिंह गिल के खेती (Farming) को लेकर किए शोध को देश-दुनिया के 15 हजार शोधार्थियों (Researchers) ने अनुकरण किया है।
प्रो. गिल की इस उपलब्धि पर गत दिनों विश्वविद्यालय के कुलाधिपति एवं राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने उत्कृष्ट एवं अनुकरणीय शोध, अध्यापन एवं प्रतिबद्ध अनुसंधान के लिए सम्मानित किया। राज्यपाल ने यह सम्मान गत 5 दिसम्बर को विश्वविद्यालय परिसर मेें शिक्षक दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में दिया था। इससे उपलब्धि से पहले भी इन्हें दिसम्बर 2017 में अन्तर-राष्ट्रीय एजेंसी क्लेरिवेट एनालिटिक्स द्वारा इंडिया रिसर्च एक्सीलेंस एंड साइटेशन अवार्ड सम्मानित किया गया था।
डॉ. सर्वजीत सिंह गिल के अभी तक 100 से अधिक शोध पत्र विभिन्न राष्ट्रीय एवं अन्तर-राष्ट्रीय जर्नल में प्रकाशित हो चुके हैं। महत्वपूर्ण है कि किसी भी शोध का कितने शोधार्थी अनुकरण करते यह अनुसंधान की गुणवत्ता को प्रमाणित करता है। बुधवार दोपहर तक डॉ. गिल के शोध का 15299 शोधार्थी अपने-अपने अनुसंधान में उल्लेख कर चुके थे।
खेती पर किए हैं शोध : डॉ. गिल ने अभी तक जितने भी शोध किए हैं, वे खेती में नवीनीकरण पर आधारित हैं। इनमें सरसों, चावल, टमाटर और गेहूं प्रमुख रूप से हैं। वर्ष 2015-16 में इन्होंने फसलाें में अनुवांशिक सुधार पर अनुसंधान किया था। खेती को लवण कैसे बचाएं, खेती में प्रयोग किए जाने वाले रसायनों से किस प्रकार मित्र सूक्ष्म जीव खत्म हो रहे हैं, पर निरंतर कार्य किया है। ये बताते हैं कि जमीन में लवण की समस्या ट्यूब्वेल का पानी अधिक प्रयोग करने के कारण उत्पन्न हो रही है। डॉ. सर्वजीत कहते हैं कि किसानों को यह नहीं कहा जा सकता है कि वे खेती के लिए टयूबवेल के पानी का प्रयोग न करें। ऐसे में जमीन लवणीय करना किसान की मजबूरी है।