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विश्व पर्यावरण दिवस पर हरियाणा में प्राणवायु देवता पेंशन योजना का शुभारम्भ

मनोहर लाल ने कहा कि प्राण वायु देवता के नाम से 75 साल से ऊपर के वृक्ष के रखरखाव के लिए 2500 रुपये प्रतिवर्ष पेंशन दी जाएगी और इस पेंशन में भी बुढ़ापा सम्मान पेंशन के अनुसार हर वर्ष बढ़ोतरी होगी।

विश्व पर्यावरण दिवस पर हरियाणा में प्राणवायु देवता पेंशन योजना का शुभारम्भ
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हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल

विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने प्रदेश के 50 से अधिक स्थानों पर पंचवटी वृक्षारोपण का उदघाटन किया और पंचकूला में लगभग 100 एकड़ भूमि पर आक्सीवन वाटिका का शुभारम्भ किया। वहीं इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने प्राणवायु देवता पेंशन योजना का भी शुभारम्भ किया।

मनोहर लाल ने कहा कि प्राण वायु देवता के नाम से 75 साल से ऊपर के वृक्ष के रखरखाव के लिए 2500 रुपये प्रतिवर्ष पेंशन दी जाएगी और इस पेंशन में भी बुढ़ापा सम्मान पेंशन के अनुसार हर वर्ष बढ़ोतरी होगी। प्राकृतिक ऑक्सीजन को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश के हर गांव में पंचवटी के नाम से पौधारोपण किया जाएगा। इसके अलावा खाली जमीन पर एग्रो फोरेस्टी को भी बढ़ावा दिया जाएगा ताकि ग्रामीण क्षेत्र में पंचायत की आय बढ़े।

मनोहर लाल ने कहा कि 'प्राणवायु देवता पेंशन' योजना एक अनूठी और भारत में अपनी तरह की पहली योजना होगी। उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत राज्य सरकार ने उन सभी पेड़ों को सम्मानित करने की पहल की है, जो पचहत्तर वर्ष और उससे अधिक आयु के हैं और जिन्होंने जीवन भर ऑक्सीजन का उत्पादन करके, प्रदूषण कम करके, छाया आदि प्रदान करके मानवता की सेवा की है। उन्होंने कहा कि राज्यभर में ऐसे पेड़ों की पहचान की जाएगी और स्थानीय लोगों को इस योजना में शामिल करके इन पेड़ों की देखभाल की जाएगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्यावरण से हमें शुद्ध प्राण वायु मिलती है। इससे पूरी मानव जाति का कल्याण होता है। इसके लिए प्रदेश के सभी शहरों में 5 एकड़ से 100 एकड़ तक की भूमि पर ऑक्सी वन लगाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि पर्यावरण दिवस 5 जून 1974 में पहली बार मनाया गया। हरियाणा सरकार द्वारा भी पौधारोपण को बढ़ावा देने के लिए पौधागिरी नाम से एक योजना शुरू की गई थी। इस योजना के तहत 22 लाख लोगों ने पौधारोपण किया। इस योजना से विद्याार्थियों को जोड़ा गया और उन्हें 50 रुपये हर छ: माह में तीन वर्ष के लिए देने के लिए निर्णय लिया गया था ताकि पौधों का रखरखाव किया जा सके।

उन्होंने कहा कि पौधारोपण के बाद उसका रखरखाव नहीं हो पाता जिस कारण अधिकतर पौधे 2 साल में ही समाप्त हो जाते हैं। हर व्यक्ति को चाहिए कि वह अपने परिवार के बच्चे की तरह पेड़-पौधों की परवरिश करे।

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