हाई कोर्ट की अहम टिप्पणी : पीड़िता का यू-टर्न लेना राहत देने का आधार नहीं हाे सकता, दुष्कर्म के आरोपी की जमानत याचिका खारिज
काेर्ट ने अपने आदेश में कहा कि पीड़िता की शिकायत में याची पर नशा करके, दुष्कर्म करने, पीड़िता का आपत्तिजनक वीडियो बनाने और उसे ब्लैकमेल करने के आरोप लगाए गए थे। यह सब बहुत गंभीर आरोप है

पंजाब एंव हरियाणा हाई कोर्ट (Punjab and Haryana High Court) ने दुष्कर्म के एक आरोपी की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि पीड़िता द्वारा यू-टर्न लेना राहत देने का आधार नहीं हाे सकता। हाई कोर्ट के जस्टिस अवनीश झिंगन की बेंच ने कहा कि केवल इसलिए कि पीड़िता ने अदालत के सामने आरोपों का समर्थन नहीं किया है, यह उसे जमानत देने के लिए पर्याप्त आधार नहीं होगा। बेंच ने आगे कहा कि पीड़िता द्वारा यू-टर्न लेने की जांच करना पुलिस अधिकारियों का काम है।कोर्ट ने यह आदेश गुरुग्राम निवासी सुभाष चंद्र की नियमित जमानत की मांग को खारिज करते हुए यह टिप्पणी की है।
काेर्ट ने अपने आदेश में कहा कि पीड़िता की शिकायत में याची पर नशा करके, दुष्कर्म करने, पीड़िता का आपत्तिजनक वीडियो बनाने और उसे ब्लैकमेल करने के आरोप लगाए गए थे। यह सब बहुत गंभीर आरोप है। लेकिन अब पीड़िता द्वारा यू-टर्न लेने पर पुलिस को सलाह दी जाती है कि वो सभी उपलब्ध सामग्रियों पर गहनता से जांच करे।
आरोपित सुभाष चंद्र की तीसरी जमानत अर्जी को खारिज करते हुए हाई कोर्ट ने यह आदेश दिया। चंद्र को पुलिस द्वारा 12 दिसम्बर 2020 गिरफ्तार किया गया। उसके खिलाफ लगे आरोपों का समर्थन शिकायतकर्ता के बयान द्वारा किया गया था, जो उसने न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दिए थे। लेकिन हाई कोर्ट में पीड़िता ने आरोपित पर लगे आरोपों से पीछे हटते हुए जमानत देने का आग्रह किया। बेंच ने यह देखते हुए जमानत अर्जी को खारिज कर दी कि उपलब्ध सामग्री और साक्ष्यों को देखना ट्रायल कोर्ट का काम है। केवल पीड़िता द्वारा यू-टर्न लेने से जमानत का आधार नहीं बन सकता।