Delhi Pollution Update: दिल्ली प्रदूषण से राहगीर परेशान, आंखों में जलन से लेकर सांस फूलने तक की आ रही समस्या
Delhi Pollution Update: एक आदमी ने बताया कि लॉकडाउन में प्रदूषण बिलकुल कम हो गया था। अब बाइक चलाने में भी दिक्कत हो रही है, आंखें खुलती नहीं हैं। कल चांद भी दिल्ली में देरी से दिखा था। दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण की वजह से वायु गुणवत्ता बिगड़ी। आज दिल्ली में सिग्नेचर ब्रिज पर प्रदूषण का कहर साफ देखने को मिला है।

दिल्ली के प्रदूषण से राहगीर परेशान
(Delhi Pollution Update) दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण के स्तर लगातार वृद्धि हो रही है। जैसे-जैसे ठंड बढ़ रही है वैसे-वैसे प्रदूषण भी फैलता जा रहा है। आलम ये है कि दिल्ली का प्रदूषण गंभीर श्रेणी में बना हुआ है साथ ही प्रदूषण से दिल्ली-एनसीआर के लोगों की जान पर बन आई जान है। क्योंकि प्रदूषण के कारण कई तरह की दिक्कत उत्पन्न होने लगी है। वहीं दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण बढ़ने की वजह से लोगों को स्वास्थ्य संबंधित परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
दिल्ली NCR में प्रदूषण बढ़ने की वजह से लोगों को स्वास्थ्य संबंधित परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। एक आदमी ने बताया, "लॉकडाउन में प्रदूषण बिलकुल कम हो गया था। अब बाइक चलाने में भी दिक्कत हो रही है, आंखें खुलती नहीं हैं। कल चांद भी दिल्ली में देरी से दिखा था।" pic.twitter.com/ALpf5q4TzF
— ANI_HindiNews (@AHindinews) November 5, 2020
एक आदमी ने बताया कि लॉकडाउन में प्रदूषण बिलकुल कम हो गया था। अब बाइक चलाने में भी दिक्कत हो रही है, आंखें खुलती नहीं हैं। कल चांद भी दिल्ली में देरी से दिखा था। दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण की वजह से वायु गुणवत्ता बिगड़ी। आज दिल्ली में सिग्नेचर ब्रिज पर प्रदूषण का कहर साफ देखने को मिला है। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति के सुबह के आंकड़ों के अनुसार वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) नोएडा सेक्टर 1 में 458, गुरुग्राम सेक्टर 51 में 469, आईजीआई एयरपोर्ट में 447 (गंभीर श्रेणी) पर है।
सराय काले खान एरिया में भी जबरदस्त प्रदूषण का प्रकोप रहा। दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति के आंकड़ों के अनुसार वायु गुणवत्ता सूचकांक नेहरू नगर में 453, आईटीओ दिल्ली में 460, लोधी रोड में 401 (गंभीर श्रेणी) पर है। दिल्ली में केंद्र सरकार की वायु गुणवत्ता पूर्व चेतावनी प्रणाली ने बताया कि पंजाब में पराली जलाने की घटनाओं (करीब 2,400) में कमी आई, लेकिन इनकी संख्या अब भी काफी ज्यादा है और दिल्ली और पश्चिमोत्तर भारत की वायु गुणवत्ता को प्रभावित कर सकती हैं।