Savitribai Phule Birth Anniversary: हिमाचल सीएम जयराम ने भी सावित्रीबाई फुले के योगदान को किया याद, बोले...
Savitribai Phule Birth Anniversary: हिमाचल प्रदेश के सीएम जयराम ठाकुर ने देश की पहली महिला अध्यापिका एवं महान समाजसेविका सावित्रीबाई फुले जी की जयंती पर उन्हें शत शत नमन किया। महिला अधिकारों के प्रति समाज को जागरूक करने में उनका अहम योगदान रहा है।

देश की पहली महिला शिक्षक सावित्रीबाई फुले
हिमाचल प्रदेश के सीएम जयराम ठाकुर ने देश की पहली महिला अध्यापिका एवं महान समाजसेविका सावित्रीबाई फुले जी की जयंती पर उन्हें शत शत नमन किया। महिला अधिकारों के प्रति समाज को जागरूक करने में उनका अहम योगदान रहा है, जिसे सदैव स्मरण किया जाएगा।
सीएम ने बताया कि देश की पहली महिला शिक्षक, समाज सेविका, मराठी की पहली कवियित्री और वंचितों की आवाज बुलंद करने वाली क्रांतिज्योति सावित्रीबाई का जन्म 3 जनवरी, 1831 को महाराष्ट्र के पुणे-सतारा मार्ग पर स्थित नैगांव में एक दलित कृषक परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम खण्डोजी नेवसे और माता का नाम लक्ष्मीबाई था। 1840 में मात्र 9 साल की उम्र में सावित्रीबाई का विवाह 13 साल के ज्योतिराव फुले के साथ हुआ।
देश की पहली महिला अध्यापिका एवं महान समाजसेविका सावित्रीबाई फुले जी की जयंती पर उन्हें शत शत नमन।
— Jairam Thakur (@jairamthakurbjp) January 3, 2021
महिला अधिकारों के प्रति समाज को जागरूक करने में उनका अहम योगदान रहा है, जिसे सदैव स्मरण किया जाएगा। pic.twitter.com/HIBob7auMX
विवाह के बाद अपने नसीब में संतान का सुख नहीं होते देख उन्होंने आत्महत्या करने जाती हुई एक विधवा ब्राह्मण महिला काशीबाई की अपने घर में डिलीवरी करवा उसके बच्चे को दत्तक पुत्र के रूप में गोद ले लिया और उसका नाम यशंवत राव रख दिया। बाद में उन्होंने यशवंत राव को पाल-पोसकर व पढ़ा-लिखाकर डॉक्टर बनाया।
सावित्रीबाई फुले और उनके पति ज्योतिराव फुले ने वर्ष 1848 में मात्र 9 विद्यार्थियों को लेकर एक स्कूल की शुरुआत की थी। ज्योतिराव ने अपनी पत्नी को घर पर ही पढ़ाया और एक शिक्षिका के तौर पर शिक्षित किया। बाद में उनके मित्र सखाराम यशवंत परांजपे और केशव शिवराम भावलकर ने उनकी शिक्षा की जिम्मेदारी संभाली।
उन्होंने महिला शिक्षा और दलित उत्थान को लेकर अपने पति ज्योतिराव के साथ मिलकर छुआछूत, बाल विवाह, सती प्रथा को रोकने व विधवा पुनर्विवाह को प्रारंभ करने की दिशा में कई उल्लेखनीय कार्य किये। उन्होंने शुद्र, अति शुद्र एवं स्त्री शिक्षा का आरंभ करके नये युग की नींव रखने के साथ घर की देहरी लांघकर बच्चों को पढ़ाने जाकर महिलाओं के लिए सार्वजनिक जीवन का उदय किया।