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अंबाला में अभी भी निभाई जाती है अंग्रेजी हुकूमत के जमाने से शुरू हुई यह रस्म

अंबाला में अभी भी निभाई जाती है अंग्रेजी हुकूमत के जमाने से शुरू हुई यह रस्म
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 झंडा रस्म अदा करते श्री कृष्णा ड्रामाटिक क्लब के सदस्य।

हरिभूमि न्यूज. मुलाना ( अंबाला )

ब्रिटिश शासनकाल की हुकूमत के समय से मुलाना में होती आ रही रस्म अभी भी निभाई जाती है। रामलीला मंचन के लिए रविवार को पूजा अर्चना कर झंडा रस्म अदा की गई। इस दौरान कृष्णा क्लब सदस्य मौजूद रहे। क्लब की नींव ब्रिटिश हुकूमत के दौरान रखी गई थी। उस समय बाकायदा ब्रिटिश हुकूमत से अनुमति लेकर मंच का शुभारंभ किया गया था। उस समय से कृष्णा क्लब की अगुवाई में होती आ रही रामलीला के समय के साथ कलाकार जरूर बदलते रहे। क्लब के प्रधान राधेश्याम नंबरदार ने बताया कि इस बार रामलीला के बाद दशहरे के अवसर पर रावण का विशाल पुतला बनाया जाएगा।

इस दौरान दशहरे में सुरक्षा की पुख्ता व्यवस्था कराई जाएगी, वहीं कोविड 19 के नियमों की पालना की जाएगी। उन्होंने कहा कि कस्बे में श्री ड्रामाटिक क्लब के बैनर तले हर वर्ष रामलीला का आयोजन बहुत ही धूमधाम से होता है। हर साल क्लब का प्रयास रहता है कि मंच को पहले से भी खास बनाया जाए इस के लिए ड्रामाटिक क्लब के सदस्य जी जान से मेहनत कर अपनी प्रतिभा को जनता के सामने रखने का प्रयास करते हैं। उन्होंने कहा इस मंचन को देखने का मतलब सिर्फ मनोरंजन करना ही नहीं बल्कि उस संस्कार और सभ्यता को अपने अंदर प्रवेश करने का भी माध्यम है। अंग्रेजों के शासन काल के समय से चलती आ रही इस रामलीला मंचन में समय के साथ काफी बदलाव हुआ।

रविवार को हुई झंडा रस्म

रविवार को कस्बे में श्री कृष्णा ड्रामाटिक क्लब द्वारा रामलीला के आयोजन के लिए झंडे की रस्म अदा की गई। इस अवसर पर झंडा पूजा करा मंच लगाने का शुभारंभ किया गया । क्लब के प्रधान राधेश्याम नंबरदार ने बताया कि मुलाना में 1928 से श्री कृष्णा ड्रामाटिक क्लब द्वारा रामलीला का आयोजन किया जा रहा है। क्लब में गांव के युवा वर्ग द्वारा पुराने क्लब के कलाकारों के सानिध्य में रामलीला का आयोजन किया जाता है। इस बार कस्बे में राम लीला का आयोजन एक अक्टूबर से 15 अक्टूबर तक किया जाएगा। राम लीला का समय रात्रि नो बजे से शुरू होगा।

20 किलोमीटर दूर से लोग रामलीला देखने आते थे

श्री कृष्णा ड्रामाटिक क्लब अंग्रेजों के शासन काल से राम लीला का आयोजन करता आ रहा है और ब्रिटिश शासन काल में इस के लिए लाइसेंस होना अनिवार्य होता था और कृष्णा क्लब ही आस पास के क्षेत्र में एकमात्र ऐसा ड्रामाटिक क्लब था जिस के पास रामलीला करने व् दशहरा के मेला भरवाने का लाइसेंस था। जिसे अब तक ड्रामाटिक क्लब ने पंजीकृत कराया हुआ है। उस समय लोग 20-20 किलोमीटर तक का सफर पैदल या साइकिल पर तय कर रामलीला का मंचन देखने पहुंचते थे। क्लब के मैनेजर मोहन लाल व्यास ने कहा कि राम लीला का उद्देश्य भारत की हिंदू धर्म की प्राचीन विरासत को चलाए रखने के लिए इसका आयोजन किया जाता है ताकि लोगों में धर्म के प्रति आस्था रहे व लोग भगवान् राम के मर्यादा पुरुषोत्तम रूप से प्रभावित हो और उन की दी शिक्षाओं को अपने जीवन में उतार कर एक मर्यादित जीवन जियें।

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