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रिसर्च : प्राध्यापिका का दावा, कार्बन नैनो ट‍्यूबस से बिजली ट्रांसमिशन लॉस हो सकता है कम

कार्बन नैनो ट्यूबस से इलैक्ट्रोनिक व ऑप्टिकल डिवाइसिस की क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि कर सकती हैं। डा. दीपा (Dr. Deepa) ने कार्बन नैनो ट्यूब डाइमर के आणविक कम्पन के रहस्यों को नवीनतम सैद्धांतिक शोध में उजागर किया है।

रिसर्च : प्राध्यापिका का दावा, कार्बन नैनो ट‍्यूबस से बिजली ट्रांसमिशन लॉस हो सकता है कम
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डा. दीपा शर्मा।

हरिभूमि न्यूज. सोनीपत। दीनबंधु छोटू राम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय,मुरथल के भौतिकी विभाग में प्रतिनियुक्त एवं उच्चतर शिक्षा विभाग से सम्बद्ध प्राध्यापिका डा. दीपा शर्मा (Dr. Deepa) ने अपने सैद्धांतिक शोध में पाया कि कार्बन नैनो ट्यूबस के माध्यम से बिजली ट्रांसमिशन लॉस को कम किया जा सकता है।

कार्बन नैनो ट्यूबस से इलैक्ट्रोनिक व ऑप्टिकल डिवाइसिस की क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि कर सकती हैं। डा. दीपा ने कार्बन नैनो ट्यूब डाइमर के आणविक कम्पन के रहस्यों को नवीनतम सैद्धांतिक शोध में उजागर किया है।

डा. दीपा शर्मा का नवीनतम शोधपत्र जर्मनी से प्रकाशित अंतर्राष्ट्रीय शोधपत्रिका स्पैट्रोकीमिका एटा ए में प्रकाशित हुआ है। जिसमें डा.शर्मा ने सुझाव दिया है कि अगर कार्बन नैनोट्यूब्स को सुपरकंडक्टिंग पदार्थों के समीप लाया जाता है तो उनमें भी सुपरकंडक्टिंग गुण पैदा हो जाते हैं।

डा. दीपा के शोध में अमेरिका की लॉरेंस बर्कले राष्ट्रीय प्रयोगशाला की वैज्ञानिक स्वस्तिका बैनर्जी,जवाहरलाल नेहरू सेंटर फार एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च, बैंगलोर के वरिष्ट प्रोफेसर स्वपन पति और राष्ट्रीय तकनीकी संस्थान, कुरूक्षेत्र की वरिष्ठ प्रोफेसर नीना जग्गी के सहयोगी हैं।

भविष्य की तकनीक है नैनो तकनीक : कुलपति

कुलपति प्रो.राजेंद्र कुमार अनायत ने कहा कि नैनो तकनीक भविष्य की तकनीक है। नैनो तकनीक का हमें सदुपयोग मानव कल्याण के लिए करना चाहिए। शोध किसी भी विश्वविद्यालय का आधार होता है। विश्वविद्यालय के शोधकार्यो को अंतराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता मिलना गौरव की बात है। उन्होंने कहा कि हमें शोध करते समय हमें पर्यावरण और मानव कल्याण को अवश्य ध्यान में रखना चाहिए।


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