पलायन को मजबूर... ये मजदूर : कहा-नहीं मिलता किसी योजना का लाभ, यहां रहेंगे तो आत्महत्या के सिवा कोई चारा नहीं...
हमारे सहयोगी समाचार चेनल inh न्यूज़ से एक्सक्लुसिव बातचीत में मजदूरों ने कहा- सरकार से 35 किलो चावल मिल जाने भर से नहीं मिटती भूख। यहां न शासन की योजनाओं का लाभ मिल रहा है और न ही गांव में रोजगार मिल रहा है। पढ़िए पूरी खबर...

संदीप करिहार - बिलासपुर। केंद्र और राज्य सरकारें चाहे लाख योजनाएं बना लें, नित नए दावे करें... लेकिन लगता है कि आज भी असल जरूरतमंदों तक जन कल्याणकारी योजनाओं का लाभ नहीं पहुंच रहा है। शायद तभी तो छत्तीसगढ़ के मजदूर भीषण गर्मी में पलायन को मजबूर हैं। बिलासपुर समेत आसपास के जिले के मजदूर दिहाड़ी मजदूरी करने जा रहे हैं जम्मू-कश्मीर। बिलासपुर रेलवे स्टेशन से छोटे-छोटे बच्चों को लेकर परिवार वालों के साथ रवाना हो रहे हैं मजदूर। हमारे सहयोगी समाचार चेनल inh न्यूज़ से एक्सक्लुसिव बातचीत में मजदूरों ने कहा- सरकार से 35 किलो चावल मिल जाने भर से नहीं मिटती भूख। यहां न शासन की योजनाओं का लाभ मिल रहा है और न ही गांव में रोजगार मिल रहा है। मुफलिसी में जिंदगी जीने से अच्छा है पलायन कर कहीं रोजगार ढूंढ लें। पलायन कर रहे मजदूरों ने आपबीती साझा करते हुए कहा कि यहां रहने पर दो ही रास्ते हैं... या तो ख़ुदकुशी करें या फिर पलायन करें.. वे कहते हैं कि, वैसे भी यहां मजदूरों को रोज मर-मर जीना होता है।