Dara Singh Birthday: दारा सिंह को मिला था WWE का सबसे बड़ा सम्मान
दारा सिंह को दुनिया के महान फ्री स्टाइल रेसलरों में गिना जाता है, उनका प्रसिद्ध कैंची वाला मूव आज भी रेसंलिग की दुनिया में फैमस है, दारा सिंह को दुनिया के कई देशों में सम्मान मिला है, इतना ही नहीं उन्हें डब्लू डब्लू ई का भी सर्वश्रेष्ठ सम्मान प्राप्त हो चुका है जो अभी तक भारत के किसी भी पहलवान को नहीं मिला

Dara Singh Birthday : डब्लू डब्लू ई (Wwe) हर साल महान रेसलरों को अपने सबसे बड़े सम्मान हॉल ऑफ फेम (Hall of Fame) से नवाजती है। यह अवॉर्ड सेरेमनी डब्लू डब्लू ई की तरफ से हर साल रसलमेनिया (Wrestlemania) से पहले रखी जाती है। रसलमेनिया डब्लू डब्लू ई का साल का सबसे बड़ा मेन इवेंट होता है। सन 2018 में डब्लू डब्लू ई ने भारत के सबसे बड़े फ्री स्टाईल कुश्ती के पहलवान दारा सिंह (Dara Singh) जी को हॉल ऑफ फेम के सम्मान से नवाजा था। दारा सिंह भारत के एक मात्र ऐसे पहलावान हैं जिन्हें डब्लू डब्लू ई की तरफ से यह सम्मान मिला है। दारा सिंह का जन्म 19 नवंबर 1928 को पंजाब में हुआ था और उनकी मृत्यु का दिल का दौरा पड़ने के कारण 12 जुलाई 2012 को मुंबई में हुई थी। दारा सिंह न केवल एक एक्टर थे। बल्कि वह एक फ्री स्टाइल रेसलर भी रहे थे।
दारा सिंह भारत दारा सिंह को दुनिया के महान पहलवानों में गिना जाता है। उन्होंने दुनिया के बड़े से बड़े पहलवानों को धूल चटाई थी। दारा सिंह ने किंगकांग जैसे बड़े पहलवान की मूंछ का बाल तक उखाड़ दिया था। जिसके बाद उन्हें दुनिया के कोने- कोने से कुश्ती के ऑफर आने लगे थे।
दारा सिंह अपनी फ्री स्टाइल कुश्ती के लिए जाने जाते थे। उनकी कुश्ती के कई मूवस आज भी रेसलिंग की दुनिया में इस्तेमाल किए जाते हैं। दारा सिंह अपनी फुर्ती के लिए जाने जाते थे। दारा सिंह की फ्री स्टाईल कुश्ती पूरे भारत में मशहुर थी। दारा सिंह ने कुश्ती के पांच सौ मुकाबले किए थे। जिनमें उन्हें कोई भी नहीं हरा सका था।
दारा सिंह ने सन 1947 मलेशियाई चैम्पियन तरलोक सिंह को हराया था। इसके बाद वह सन 1954 में भारतीय कुश्ती चैम्पियन बन गए। जिसके बाद उन्होंने कामनवेल्थ देशों को दौरा भी किया। लेकिन दारा सिंह को विश्व तब पहचाना गया जब उन्होंने ओरिएंटल चैम्पियन किंग काँग को बुरी तरह से हरा दिया।
जिसके बाद उन्हें कई देशों के पहलवानों से चुनौती मिलने लगी। इसके बाद उन्होने कलकता में हुए कामनवेल्थ गेम्स में कनाडा के चैम्पियन जार्ज गारडियान्का और न्यूजीलैण्ड के जान डिसिल्वा को हराकर विश्व चैम्पियनशिप अपने नाम कर ली।
सन 1983 में दारा सिंह ने अपने जीवन की अंतिम कुश्ती की और यह मुकाबला भी जीत लिया। जिसके बाद उन्हें भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह हाथों अनडिफीटेड चैंपियन के खिताब से नवाजा गया और उन्होंने सम्मान के साथ कुश्ती से सन्यांस ले लिया।
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