लोग मेरे खेल को सर्कस जैसा समझते थे: दीपा कर्माकर
पदक जीतने के बाद निश्चित तौर पर जीवन काफी बदल गया है

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haribhoomi.comCreated On: 18 Sep 2016 12:00 AM GMT
नई दिल्ली. ब्राजीलियाई महानगर रियो डी जनेरियो में संपन्न हुए 31वें ओलम्पिक खेलों में जिम्नास्टिक्स के फाइनल तक पहुंचने वाली देश की पहली महिला जिम्नास्ट दीपा कर्माकर ने शनिवार को कहा कि लोग उनसे अक्सर पूछा करते थे कि क्या उनका खेल सर्कस के जैसा है। ओलम्पिक के जिम्नास्टिक्स स्पर्धा में क्वालिफाई करने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बनने के बाद दीपा ने ओलम्पिक में भी शानदार प्रदर्शन किया और फाइनल में मामूली अंतर से वह पदक से चूकीं।
शनिवार को समाचार चैनल ‘एनडीटीवी’ पर प्रसारित कार्यक्रम ‘यूथ फॉर चेंज’ में दीपा ने कहा, “लोग मुझसे पूछा करते थे कि जिम्नास्टिक्स क्या होता है, क्या यह सर्कस जैसा कुछ है? और जब मैंने ओलम्पिक के लिए क्वालिफाई किया, तो मुझ पर पदक लाने का दबाव काफी बढ़ गया।”
त्रिपुरा की रहने वाली 22 वर्षीया दीपा ने कहा, “लेकिन वहां पहुंचते ही मैंने अपने दिमाग से यह सारी बातें निकाल दीं और अपना सर्वश्रेष्ठ करने की कोशिश की।” रियो ओलम्पिक में कांस्य पदक जीतने वाली महिला पहलवान साक्षी मलिक भी कार्यक्रम में मौजूद थीं और पदक जीतने के बाद मिली सराहना से वह बेहद खुश नजर आईं।
साक्षी ने कहा, “पदक जीतने के बाद निश्चित तौर पर जीवन काफी बदल गया है। मैं अकेली गई थी, लेकिन जब मैं लौटी तो मैंने पाया कि पूरा देश मेरे साथ है। मुझे ऐसा अहसास कराया गया कि मैं खास हूं।”
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