चिकन धोने से हो सकती है फूड पॉइजनिंग, शोधकर्ताओं ने दी बगैर धोएं पकाने की सलाह
ब्रिटेन में हर साल करीब दो लाख अस्सी हजार लोग कैंपीलोबैक्टर बैक्टीरिया से प्रभावित होते हैं।

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haribhoomi.comCreated On: 18 Jun 2014 12:00 AM GMT
लंदन. शोधकर्ता उपभोक्ताओं को सलाह दे रहे हैं कि वो कच्चे चिकन को न धोएं क्योंकि यह फूड पॉइजनिंग के खतरे को बढ़ाता है। ब्रिटेन की संस्था फूड स्टैंडर्डस एजेंसी या एफएसए ने करीब 4,500 युवाओं पर एक ऑनलाइन सर्वेक्षण किया। इसमें पाया गया कि 44 फीसदी लोगों ने चिकन को पकाने से पहले धोया था। शोधकर्ताओं का मानना है कि चिकन को बगैर धोए ही पकाना चाहिए। इससे संक्रमण होने का डर नहीं रहता है।
चिकन धोने के खतरे
इससे हाथों, काम करने वाली जगह और कपड़ों पर कैंपीलोबैक्टर बैक्टीरिया फैलता है। ब्रिटेन में हर साल करीब दो लाख अस्सी हजार लोग कैंपीलोबैक्टर बैक्टीरिया से प्रभावित होते हैं। लेकिन सर्वेक्षण में शामिल लोगों में से सिर्फ 28 फीसदी लोगों ने इसके बारे में सुना था। ब्रिटेन में फूड पॉइजनिंग की सबसे आम वजह कैंपीलोबैक्टर है। और इसकी वजह अधिकतर प्रदूषित मुर्गे मुर्गियां होते हैं।
इसके प्रमुख लक्षणों में डायरिया, पेट दर्द और मरोड़, बुखार और अच्छा न महसूस करना है। लंबे समय में इसका प्रभाव इरिटिबल बोल सिंड्रोम, ग्युलिन-र्बे सिंड्रोम और तंत्रिका पर हो सकता है। यह जानलेवा भी हो सकता है। पांच साल से कम उम्र के बच्चों और बड़ों को इससे ज्यादा खतरा होता है।
एक गंभीर मसला
शोधकर्ता कैथरीन के अनुसार, कैंपीलोबैक्टर एक गंभीर मसला है। केवल इस कारण नहीं कि इससे गंभीर बीमारी और मौत हो सकती है, बल्कि इसलिए भी कि क्योंकि इससे देश की राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (एनएचएस) पर हर साल सैकड़ों लाख पाउण्ड का भार पड़ता है। उन्होंने कहा कि एफएसए किसानों और उत्पादकों के साथ भी काम कर रहा है ताकि कैंपीलोबैक्टर की दर को कम किया जा सके। इसके लिए बड़े पैमाने पर चिकन बनाने वालों, बूचड़खानों और इसे प्रासेस करने वाले लोगों के साथ काम किया जा रहा है।
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