होली 2019 : गुजिया की कहानी, जानें कैसे हुई शुरुआत, भारत में कितने प्रकार की बनाई जाती है गुजिया
होली का जिक्र हो और गुजिया की बात न हो ये कैसे हो सकता है? होली का त्यौहार आते ही घर घर में गुजिया बनाने का सिलसिला शुरू हो जाता है। महानगरों में भले ही बनी बनायी गुजिया खरीदकर लोग होली के त्यौहार पर इसे खाने का मजा ले लेते हैं लेकिन छोटे शहरों कस्बों और गांव में घर घर में गुजिया की महक होली के कुछ दिन पहले ही आनी शुरू हो जाती है। होली की तैयारी में तरह तरह के नमकीन के साथ गुजिया हर घर में बनायी जाती है।

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टीम डिजिटल/हरिभूमि, दिल्लीCreated On: 16 March 2019 12:01 AM GMT
होली 2019 : होली का जिक्र हो और गुजिया की बात न हो ये कैसे हो सकता है? होली का त्यौहार आते ही घर घर में गुजिया बनाने का सिलसिला शुरू हो जाता है।महानगरों में भले ही बनी बनायी गुजिया खरीदकर लोग होली के त्यौहार पर इसे खाने का मजा ले लेते हैं लेकिन छोटे शहरों कस्बों और गांव में घर घर में गुजिया की महक होली के कुछ दिन पहले ही आनी शुरू हो जाती है। होली की तैयारी में तरह तरह के नमकीन के साथ गुजिया हर घर में बनायी जाती है।
गुजिया और होली का गहरा संबंध है। होली और गुजिया को जोड़कर तो देखा जाता है हकीकत यह है कि आजकल गुजिया हलवाई के दुकानों में पूरे साल ही बनायी और लोगों द्वारा खायी जाती हैं। कई दुकानों में तो होली के मौके पर 70 से 80 प्रतिशत तक सिर्फ गुजिया ही बेची जाती हैं। इन दिनों अन्य मिठाईयों की मांग कम होती है। परंपरागत रूप में पहले गुजिया मावे और सूजी की ही बनायी जाती थी। लेकिन अब गुजिया के बड़े बाजार और हर व्यक्ति द्वारा इसे खाने की लालसा ने गुजिया के भरावन में भी बदलाव किया है। अब बाजार में कई तरह की गुजिया जैसे- समोसा गुजिया, लौंग कली, खोया गुजिया, रोस्टेड गुजिया, कैलोरी फ्री, सेब गुजिया, केसर गुजिया, सूखे मेवों की गुजिया, अंजीर और खजूर की गुजिया और भी न जाने कितने तरह की गुजिया मिलती हैं। इसकी शेप में भी बदलाव आए हैं। परंपरागत गुजिया की शेप के अलावा समोसा, मटर, लौंग, चंद्रकली शेप में गुजिया आज बाजार में मिलती हैं।होली का त्यौहार पूरे भारत में लगभग सभी प्रांतों में अलग अलग अंदाज में मनाया जाता है। त्यौहार को मनाने के अंदाज और अलग अलग प्रांतों की खानपान की शैली के आधार पर ही यहां इस अवसर पर पकवान बनाए जाते हैं। लेकिन गुजिया को इन पकवानों में लगभग सभी प्रांतों में पहला स्थान दिया जाता है। बिहार में गुजिया को अगर पिंडुकिया कहा जाता है तो महाराष्ट्र में इसे करंजी के नाम से जाना जाता है।

आंध्र प्रदेश में यह कज्जिकयालू नाम से मशहूर है तो छत्तीसगढ़ में यह कुसली कहलाती है। कुल मिलाकर हर प्रांत में उस जगह की खानपान की शैली के अनुसार इसकी भरावन बनायी जाती है लेकिन होली के अवसर पर गुजिया न हो तो होली का मजा अधूरा रहता है। आज भले ही मिठाईयों की दुकानों पर हल्की चाशनी से चमकती और पिस्ते से सज्जी गुजिया अपने रंग और स्वाद के कारण खाने वाले व्यक्ति को ललचाये लेकिन तय बात यह है कि आज मिठाईयों की दुकानों में होली के दिनों में शोभा बढ़ाने वाली यह गुजिया पहले इन दुकानों पर नहीं बिकती थी बल्कि इन्हें घर में ही बनाया जाता था कानपुर की रहने वाली रंजना मिश्रा बताती हैं कि हमारे यहां होली का त्यौहार एक नयी खुशी लेकर आता है। इस त्यौहार की तैयारी हम कई दिन पहले से ही शुरू कर देते हैं। गुजिया बनाने का काम तो घर घर में होता है। घर में बनी गुजिया की बात ही कुछ और होती है। आस पड़ोस की महिलाएं मिलकर एक दूसरे के घरों में गुजिया बनवाने का काम करती हैं और हमारे घरों में एक दो किलो नहीं बल्कि बड़ा कनस्तर भरकर गुजिया बनायी जाती है जिन्हें हम होली के बाद कई दिन तक खाते हैं।

बिहार की रहने वाली तान्या शर्मा से होली और गुजिया के संबंध में बात करने पर वह चहकते हुए बताती हैं कि होली गुजरने के बाद हम अगले साल की होली का बेसब्री से इंतजार करते हैं क्योंकि हमारे यहां होली का त्यौहार बड़े धूमधाम से मनाया जाता है जिसमें हम होली के अवसर पर अपने सब भेदभाव भूलकर एक दूसरे से मिलते हैं। हां, हमारे यहां गुजिया को पिंडुकिआ कहा जाता है। उसे बनाने की तैयारी कई दिन पहले करते थे जिसमें उन्हें बनाने में पुरुषों का भी सहयोग होता था। गुजिया में भरावन डालने के बाद उसे एक खांचे में रखकर शेप दी जाती थी। घर में गुजिया बनाने का काम इतना बड़ा होता था कि मां इन्हें बनाने में थक जाती थीं और इसमें परिवार के बाकी सदस्य भी सहयोग करते थे।’

होली में पकवानों का मजा लें तो गुजिया खाना कभी न भूलें। वैसे भी भारत में जितने भी त्यौहार मनाए जाते हैं उन सभी में त्यौहार पर तैयार किए जाने वाले पकवान बेहद पौष्टिक और कैलोरीयुक्त होते हैं। गुजिया में भी सूखे मेवे, नारियल और चीनी होती है। सूखे मेवे में वसा, विटामिन ई, कैल्शियम, मैग्नीशियम पोटेशियम आदि काफी मात्रा में होते हैं। इसमें मिलाया जाने वाला सूखा मेवा पौष्टिक तत्वों से भरा होता है इसके अलावा इसमें गुड, शुद्ध घी, का इस्तेमाल होता है। देसी घी में यदि कैलोरीज काफी मात्रा में होती है तो यह स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद भी होता है। हां, लेकिन होली में डायबिटीज, हृदय रोग, हाईपरटेंशन जैसी बीमारियों से जूझ रहे लोगों को भी गुजिया का स्वाद तभी सेहत पर भारी नहीं पड़ेगा यदि वह इसकी मात्रा के विषय में सचेत रहते हैं। क्योंकि मीठे और कैलोरीयुक्त होली के पकवानों को स्वाद के लालच में यदि हम अपने स्वास्थ्य को भूला दें तो हमारे लिए ही परेशानी पैदा हो सकती है। घर में गुजिया बनानी हो तो इसमें कई किस्म के प्रयोग किए जा सकते हैं। मैदे के स्थान पर मोटे अनाज का आटा या बेसन, रागी, जौ के आटे का भी इस्तेमाल करके गुजिया बनायी जा सकती हैं और इस तरह स्वाद के साथ साथ स्वास्थ्य भी सही रह सकता है।
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