नींद में आते हैं बुरे सपने, कहीं आपको ये बीमारी तो नहीं!
इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति का व्यवहार चिड़चिड़ा हो जाता है।

ये हैं पीटीएसडी के लक्ष्ण
-एक घटना का बार-बार सपनों में दिखना या याद आना
- किसी बात को भूलना या याद रखने में परेशानी
- कॉन्सनट्रेट करने में कठिनाई
- अचानक तेज गुस्सा और कभी-कभी हिंसक टाइप व्यवहार करना
- अचानक डर जाना
- जल्दी जागना और नींद में बुरे सपने देखना
- अचानक मांसपेशियों में दर्द होना
- बेचैनी होना या चिंता बनी रहना
- अधिक शर्म और शर्मिंदगी महसूस करना
- अधिक भावुक होना
- किसी घटना को अनदेखा करना
एजेंसी की खबर के मुताबिक, इस बीमारी से ऐसे पा सकते हैं निजात
1. संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी (कागनेटिव बिहेवरल थेरेपी) : यह एक वैज्ञानिक वातार्लाप की विधि है। इसका मतलब ये है कि इसके तहत पीड़ित के पास्ट में घटी दर्दनाक घटनाओं के बारे में बात की जाती है।
2. आघात केंद्रित सीबीटी : यह विधि में पीड़ित को आघात संबंधी वार्ता के लिए प्रोत्साहित कर उसकी झिझक दूर करने सहित चिंता दूर करने की कोशिश की जाती है।
3. नेत्र विचेतन और पुर्नलोकन : इसके तहत पीड़ित को डॉक्टर की उंगली को देखते हुए उस घटना या दर्द के बारे में बातें करने को कहा जाता है। इससे माना जाता है कि पीड़ित के लक्षण में काफी सुधार संभव है। पीटीएसडी के उपचार में यह सबसे कारगर तरीका है।
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