Rewa Drunk Teacher: शराब के नशे में विद्यालय पहुंचे हेडमास्टर, कलेक्टर ने दिया ये आदेश 

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नशे में विद्यालय पहुंचे हेडमास्टर मुन्ना लाल कोल का वीडियो वायरल।
रीवा जिले के शासकीय हाई स्कूल जवा में पदस्थ प्रधानाध्यापक मुन्ना लाल कोल का शराब के नशे में वीडियो सामने आने के बाद कलेक्टर ने हेडमास्टर को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया।

Rewa Drunk Teacher: रीवा जिले के शासकीय हाई स्कूल जवा में पदस्थ प्रधानाध्यापक मुन्ना लाल कोल का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जिसमें वे शराब के नशे में विद्यालय में झूमते हुए नजर आ रहे हैं। यह वीडियो शनिवार दोपहर का बताया जा रहा है, वीडियो सामने आने के बाद रविवार को कलेक्टर ने हेडमास्टर को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया।

वीडियो पहले भी हुआ था वायरल
बता दें, इससे पहले भी, मुन्ना लाल कोल का शराब के नशे में विद्यालय में उत्पात मचाने का वीडियो वायरल हो चुका है। जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा मामले को संज्ञान में लेने के बाद संकुल प्राचार्य हरि मणि त्रिपाठी को विद्यालय का निरीक्षण करने के निर्देश दिए गए थे। जब प्राचार्य ने स्कूल पहुंचकर जांच की, तो पता चला कि प्रधानाध्यापक नशे में आकर स्कूल में शोर-शराबा कर रहे थे और अन्य शिक्षकों तथा बच्चों से अभद्र व्यवहार कर रहे थे।

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संकुल प्राचार्य के मुताबिक, यह घटना नियमित रूप से हो रही थी, और मुन्ना लाल कोल नशे में स्कूल पहुंचते थे। उन्होंने बताया कि कभी वे लड़खड़ाते हुए स्कूल आते थे और कई बार बच्चों के सामने शराब के नशे में गिर जाते थे, जिससे स्कूल में भय का माहौल उत्पन्न हो गया था। बच्चों के लिए यह एक बहुत ही खौफनाक स्थिति बन चुकी थी। इस प्रकार के व्यवहार से शिक्षकों और छात्रों के बीच तनाव था।

कलेक्टर ने की सख्त कार्रवाई
कलेक्टर प्रतिभा पाल ने इस मामले पर कहा कि शिक्षक का पद सम्मानजनक और गरिमापूर्ण होता है, और ऐसा व्यवहार शिक्षक से नहीं हो सकता। ऐसे शिक्षकों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी जो अपने पद की गरिमा को कलंकित करते हैं। कलेक्टर ने मुन्ना लाल कोल को तत्काल निलंबित करने के आदेश दिए है।

साथ ही, स्कूल के अन्य शिक्षक पन्नालाल और राजन ने भी मुन्ना लाल की शराब पीकर विद्यालय आने की बात स्वीकार की। उनका कहना था कि कई बार उन्हें इसके खिलाफ चेतावनी दी गई, लेकिन वे अपनी हरकतों से बाज नहीं आए। शिक्षक समुदाय में इस तरह की घटनाओं से गहरी निराशा है, क्योंकि यह न केवल विद्यालय की छवि को प्रभावित करता है, बल्कि बच्चों के भविष्य के लिए भी खतरनाक हो सकता है।

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