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मध्यप्रदेश पुलिस परिवार परामर्श केन्द्र के आंकड़े कहते हैं कि 42 प्रतिशत मामले ऐसे हैं, जिसमें शादी के सात साल बाद दंपती ने अलग-अलग रहने का फैसला लिया है। मोबाइल और सोशल नेटवर्किंग साइट्स इसकी बड़ी वजह है।

जबलपुर। रिश्तों की डोर लगातार कमजोर होती जा रही है। सात फेरों के साथ लिया जाने वाला सात जन्मों का रिश्ता सात साल में टूटने की कगार पर पहुंच रहा है। ये हम नहीं पुलिस परिवार परामर्श केन्द्र के आंकड़े बोल रहे हैं। जबलपुर पुलिस परिवार परामर्श केन्द्र में इस साल जो मामले पहुंचे हैं, उनमें 42 प्रतिशत ऐसे मामले हैं, जिसमें शादी के सात साल बाद दंपती ने अलग-अलग रहने का फैसला लिया है। आंकड़े कह रहे हैं कि रिश्तों की डोर अब कमजोर होती जा रही है। 

वर्ष 2022 की बात करें, तो 508 ऐसे दंपती थे, जिन्होंने स्वेच्छा से रिश्ता तोड़ा और अपनी अलग दिशाएं चुन ली। पिछले पांच साल में यह आंकड़ा सर्वाधिक है। जबकि इस वर्ष अब तक 267 दंपती अलग हुए हैं। 

गलत फहमियां बन रही वजह
जानकारों के अनुसार, दंपती के बीच पनपने वाली गलत फहमियां रिश्ते टूटने का अहम कारण हैं। मोबाइल और सोशल नेटवर्किंग साइट्स इसकी बड़ी वजह है। इसके अलावा एक-दूसरे में अविश्वास, नशा, संयुक्त परिवार, परिजनों का अनावश्यक हस्तक्षेप, बेरोजगारी या आर्थिक समस्या, आत्महत्या की धमकी, मानसिक और असाध्य रोग समेत अन्य कारण भी दंपती के बीच में विवाद की बड़ी वजह हैं।

समझाइश से निपटाते हैं मामले
पुलिस टूटते रिश्तों को बचाने का प्रयास करती है। मामलों को पहले पुलिस परिवार परामर्श केन्द्र में भेजा जाता है। यहां शिकायतों की सुनवाई होती है। दोनों पक्षों को सुनने के बाद काउंसलिंग की जाती है। लेकिन जब दंपती नहीं मानते तो उन्हें न्यायालय जाने की सलाह दी जाती है।

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