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एमपी-एमएलए कोर्ट ने 23 साल बाद पूर्व कांग्रेस विधायक अंतर सिंह दरबार को भ्रष्टाचार मामले में सजा सुनाई है। 3000 रुपए का अर्थदंड भी लगाया है।

भोपाल। भ्रष्टाचार मामले में 23 साल बाद पूर्व कांग्रेस विधायक अंतर सिंह दरबार को एमपी-एमएलए कोर्ट ने एक साल की सजा सुनाई है। दो अलग-अलग मामलों में 3000 का अर्थदंड भी लगाया है। मामला इंदौर प्रीमियर को-ऑपरेटिव बैंक के हाउस लोन घोटाले से जुड़ा है।पूर्व विधायक दरबार को धारा 120 बी में एक साल की कैद और एक हजार रुपए का अर्थदंड जबकि धारा 13 (1) डी व 13 (2) भ्रष्टाचार निवारण एक्ट 1988 में एक साल की कैद और दो हजार रुपए का जुर्माना लगाया है। अर्थदंड नहीं भरने पर सजा तीन माह और बढ़ जाएगी। दोनों सजाएं एक साथ चलेंगी।

लोकायुक्त ने वर्ष 2000 में दर्ज किया था केस 
बता दें कि वर्ष 2000 में लोकायुक्त ने मामला दर्ज किया था। 23 साल चली सुनवाई के बाद शनिवार को न्यायाधीश मुकेश नाथ ने फैसला सुनाया। एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट ने दरबार सहित 10 लोगों को सजा सुनाई है। आदेश की प्रति रविवार को सामने आई। 

इंदौर प्रीमियर को-ऑपरेटिव बैंक के हाउस लोन घोटाले में दरबार के अलावा ओमप्रकाश जोशी, नकवंती पटेल, निर्मला पटेल, जगदीश शर्मा, गुलाम मुर्तजा खान, देवीलाल सूर्यवंशी, अहिल्याबाई गहलोत, देवराज सिंह परिहार, सैय्यद वासिक अली को भी एक-एक साल की सजा और अर्थदंड सुनाया गया है।  

महू से 5 बार विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं
कांग्रेस नेता अंतर सिंह दरबार महू विधानसभा सीट से 5 बार विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं। साल 1998 और 2003 में चुनाव जीते थे। 2008 और 2013 में कैलाश विजयवर्गीय से हार गए थे। 2018 में बीजेपी की उषा ठाकुर ने उन्हें हराया था। 2023 के विधानसभा चुनाव में दरबार को कांग्रेस से टिकट नहीं मिला तो वे निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरे। हार गए। बीजेपी की उषा ठाकुर ने लगातार दूसरी बार उन्हें हराया है।

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