Mohan Bhagwat Visit Morena: भागवत बोले- आइए छुआछूत खत्म करें, समाज को सुंदर बनाएं, माह में एक बार सभी बिरादरी के लोग साथ बैठें

भोपाल। मध्यप्रदेश के मुरैना में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत कार्यकर्ता सम्मेलन का शनिवार को समापन हुआ। सम्मेलन में प्रदेश भर के उन सभी कार्यकर्ताओं को सम्मिलित किया है जो नियमित रूप से संघ की शाखाओं में भाग लेते आए हैं। सम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित करते हुए सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि भारत में पहले जाति एक व्यवस्था थी, जो जन्म के आधार पर नहीं, कार्य-व्यापार के आधार पर थी। लेकिन कालांतर में यह जाति व्यवस्था एक कुरीति में बदल गई। आइए हम सब मिलकर इस छुआछूत को समाप्त करें। हमें मिलकर अपने हिन्दू समाज को अच्छा और सुंदर बनाना है। सभी जाति बिरादरी माह में एक बार बैठने की योजना करें और विचार करें कि हम सद्भाव के इस कार्य को खंड, मंडल और बस्ती तक कैसे लेकर जाएं।

अभी हमारा लक्ष्य पूर्ण नहीं हुआ
वर्ष 2025 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के 100 साल पूरे हो रहे हैं, लेकिन अभी हमारा लक्ष्य पूर्ण नहीं हुआ है। अभी तो आधार बना है। वास्तविक कार्य करने का समय तो अब आया है। हम 2025 तक अपने संगठन की रचना पूरी करें। भविष्य में समाज को राष्ट्रीय दिशा देने के लिए हमारे कार्यकर्ताओं को अपना आत्म विकास करना होगा। भागवत ने आगे कहा कि 22 जनवरी को श्रीराम मंदिर में श्रीरामलला की प्राण-प्रतिष्ठा उत्सव में लघु भारत अयोध्या में दिख रहा था और सम्पूर्ण भारत में अयोध्या की अनुभूति हो रही थी। यह अनुभूति स्थायी रहनी चाहिए।
हम सब मिलकर छुआछूत को समाप्त करें'
भागवत ने कहा कि एक समय में भारत में जाति एक व्यवस्था थी, जो जन्म के आधार पर नहीं, अपितु कार्य-व्यापार के आधार पर थी। जैसे आज भी हम देखते हैं कि डॉक्टर का पुत्र डॉक्टर, अधिवक्ता का पुत्र अधिवक्ता बनाना पसंद करता है। जाति व्यवस्था ने मुगलों के आक्रमण के दौरान अपने हिंदू समाज के लोगों का संरक्षण किया। परंतु कालांतर में यह जाति व्यवस्था एक कुरीति में बदल गई। पूज्य संतों ने भी अनेक अवसरों पर हमें यह बात समझाने का प्रयत्न किया है। आज आवश्यकता है कि हम सब मिलकर छुआछूत को समाप्त करें।
हम सब मिलकर हिन्दू समाज की चिंता करें
भागवत ने कहा कि जैसे शरीर में प्रत्येक अंग की आवश्यकता है। प्रत्येक अंग को सुरक्षित और स्वस्थ रखेंगे, तब ही शरीर स्वस्थ रहेगा। इसलिए हम सब मिलकर हिन्दू समाज की चिंता करें। संघ में भले ही सामाजिक सद्भाव कार्य की शुरुआत वर्ष 2007 से हुई है लेकिन संघ में जात-पात का भेद प्रारंभ से नहीं रहा। सामाजिक समरसता के लिए संघ प्रारंभ से कार्य कर रहा है। उपस्थित समाज प्रमुखों से उन्होंने आग्रह किया कि हम सबको मिलकर अपने हिन्दू समाज को अच्छा और सुंदर बनाना। सभी जाति बिरादरी माह में एक बार बैठने की योजना करें और विचार करें कि हम सद्भाव के इस कार्य को खंड, मंडल और बस्ती तक कैसे लेकर जाएं।
हमें समाज की सज्जन शक्ति का सहयोग लेना चाहिए
संघ प्रमुख भागवत ने कहा कि हम दुनिया में नया इतिहास घटित होते हुए देख रहे हैं। भारत भी करवट बदल रहा है। पिछले कई वर्षों में अनेक महानुभावों ने जो पुरुषार्थ किया है, उनका परिणाम आज दिख रहा है। हम सब निकट भविष्य में भारत को विश्वगुरु के रूप में देखेंगे, इसके लिए हमें भी अपनी तैयारी करनी होगी। भागवत ने कहा कि समाज में संघ के अलावा भी बहुत सारी सज्जन शक्ति रचनात्मक एवं सृजनात्मक कार्य कर रहे हैं। हमें समाज की सज्जन शक्ति का भी सहयोग लेना चाहिए और उन्हें भी सहयोग करना चाहिए।
