नागपंचमी 2024: साल में एक बार खुलने वाले नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट रात 12 बजे खुलेंगे, 24 घंटे तक दर्शन

Nagchandreshwar Temple Ujjain
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Nagchandreshwar Temple Ujjain
नागपंचमी पर खुलने वाले उज्जैन के नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट 8 अगस्त की रात 12 बजे खुलेंगे। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के शिखर पर विराजे नागचंद्रेश्वर 24 घंटे तक श्रद्धालुओं को दर्शन देंगे। 9 अगस्त की रात 12 बजे पट फिर एक साल के लिए बंद हो जाएंगे।

Nagchandreshwar Temple Ujjain: नागपंचमी 9 अगस्त को है। साल में एक बार खुलने वाले नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट 8 अगस्त की रात 12 बजे खुलेंगे। उज्जैन के महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के शिखर पर विराजे नागचंद्रेश्वर 24 घंटे तक श्रद्धालुओं को दर्शन देंगे। 9 अगस्त रात 12 बजे के बाद पट फिर एक साल के लिए बंद हो जाएंगे। नागपंचमी पर हर साल नागचंद्रेश्वर के दर्शन के लिए लाखों भक्त उमड़ते हैं। इस बार भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु दर्शन को उमड़ेंगे।

दर्शन के लिए अलग-अलग मार्ग तय
श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष और कलेक्टर ने नागचंद्रेश्वर और महाकाल के दर्शन के लिए अलग-अलग मार्ग तय किए हैं। त्रिवेणी संग्रहालय से 40 मिनट में महाकाल के दर्शन किए जा सकेंगे। दर्शनार्थी अगर दोनों मंदिरों में दर्शन करना चाहते हैं, तो उन्हें एक मंदिर में दर्शन के बाद दूसरे मंदिर में प्रवेश के लिए अलग कतार में लगना पड़ेगा। दर्शन के लिए लगने वाली कतरों के आसपास कड़ी सुरक्षा रहेगी, ताकि किसी तरह के विवाद की स्थिति न बने।

त्रिकाल पूजा की जाएगी
मंदिर के पुजारियों से मिली जानकारी के मुताबिक, नागपंचमी पर नागचंद्रेश्वर की त्रिकाल पूजा की जाएगी। 8 अगस्‍त को रात 12 बजे पट खुलने के बाद श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़े के महंत विनीत गिरिजी महाराज और श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति कलेक्‍टर एवं अध्‍यक्ष सिंह प्रथम पूजन और अभिषेक करेंगे। मान्यता है कि जो भक्त नागचंद्रेश्वर के दर्शन करता है उसे सर्प दोष से मुक्ति मिल जाती है।

11वीं शताब्दी की प्रतिमा नेपाल से आई थी
महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के गर्भगृह के ऊपर ओंकारेश्वर मंदिर है। उसके शीर्ष पर नागचंद्रेश्वर का मंदिर है। मंदिर में 11वीं शताब्दी की प्रतिमा स्थापित है। मंदिर में नाग देवता की मूर्ति फन फैलाए हुए मुद्रा में है। उनके ऊपर शिव-पार्वती विराजमान हैं। नागचंद्रेश्वर इकलौता ऐसा मंदिर है, जहां विष्णु भगवान की जगह भगवान शिवसर्प शय्या पर सवार हैं। यह प्रतिमा नेपाल से उज्जैन लाई गई थी। मान्‍यता है कि उज्‍जैन के अलावा दुनिया में कहीं भी ऐसी प्रतिमा नहीं है।

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