प्रदेश अध्यक्ष के सामने भिड़े दो कांग्रेसी : बैठक के बीच ही राजेश पांडेय और सुबोध हरितवाल में हो गई गाली-गलौज

Congress leaders fighting among themselves
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आपस में झगड़ते कांग्रेस नेता
पीसीसी चीफ दीपक बैज के सामने प्रभारी सुबोध हरितवाल और वरिष्ठ नेता एवं पूर्व महापौर राजेश पांडेय के बीच विवाद हो गया। जिसके बाद कोटा विधायक अटल श्रीवास्तव ने किसी तरह से दोनों के बीच सुलह करवाया।

संदीप करिहार- बिलासपुर। छत्तीसगढ़ पीसीसी चीफ दीपक बैज बुधवार को बिलासपुर पर दौरे पर थे। जहां उन्होंने कांग्रेस भवन में बैठक ली, जहां नगरीय निकाय और पंचायत चुनाव की तैयारी बैठक के दौरान प्रभारी सुबोध हरितवाल और वरिष्ठ नेता एवं पूर्व महापौर राजेश पांडेय के बीच गाली- गलौच हो गई। जिसके बाद कोटा विधायक अटल श्रीवास्तव ने किसी तरह से दोनों के बीच सुलह करवाया। सुलह के बाद दीपक बैज रायपुर के लिए रवाना हुए। वहीं शहर अध्यक्ष विजय पाण्डेय ने इसे स्वस्थ बताया है।

कांग्रेस भवन में विवाद को लेकर शहर अध्यक्ष विजय पाण्डेय ने कहा कि, कांग्रेस जिंदा लोगों की पार्टी है, इसलिए गहमा गहमी होती है। इसे मैं विवाद नहीं मानता, इसे स्वस्थ चर्चा मानता हूं। पूर्व महापौर राजेश पांडेय और प्रदेश कांग्रेस महामंत्री सुबोध हरितवाल की आवाज कभी नरम- गरम हो जाती है। ये विवाद परिवार के अंदर का मामला है, इसे सुलझा लिया गया है।

लखमा बोले- आगे चुनाव नहीं लड़ेगी कांग्रेस, बैज ने किया खंडन

पूर्व मंत्री और कांग्रेस नेता कवासी लखमा ने ने कहा है कि, कांग्रेस आगे होने वाले विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेगी। कवासी लखमा ने यहां तक कह दिया कि, पार्टी ने अब ऐसा मन बना लिया है। उन्होंने कहा कि, हम सभी पार्टी मिलकर बैलट पेपर से चुनाव कराने की मांग को लेकर आंदोलन करेंगे। लेकिन इसके विपरीत प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कोरबा में इस पर कहा कि, पार्टी के भीतर अभी ऐसा कोई निर्णय नहीं हुआ है। उनहोंने साफ तौर पर कहा कि, कवासी लखमा हमारे वरिष्ठ नेता हैं, लेकिन EVM के मसले पर कोई निर्णय पार्टी हाइकमान ही लेगा।

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हार के बाद EVM पर फोड़ते हैं ठीकरा- वन मंत्री केदार कश्यप

उधर कांग्रेस के EVM को लेकर रोना रोने पर प्रदेश के मंत्री और भाजपा नेता केदार कश्यप ने पलटवार करते हुए कहा कि, कांग्रेस के लोग अपना मानसिक संतुलन खो बैठे हैं। जब ईवीएम लागू हुआ तब किसकी सरकार थी? जहां उनकी सरकार बनती है, वहां उनके लिए ईवीएम सच्चा साथी हो जाता है और जब हार जाते हैं तो ईवीएम पर ठीकरा फोड़ते हैं। यह लोग कभी लोकतंत्र पर विश्वास नहीं करने वाले लोग हैं। उनकी आस्था और इनका विश्वास केवल गांधी परिवार तक सीमित है। उनके चरण वंदन तक सीमित है।

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