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Brain Stroke: ब्रेन स्ट्रोक एक खतरनाक बीमारी है जिसमें व्यक्ति की जान जाने तक का खतरा रहता है। इस स्ट्रोक के आने की वजह नॉन ट्रेडिशनल रिस्क फैक्टर्स भी हो सकते हैं। आइए जानते हैं ब्रेन स्ट्रोक के लक्षणों के बारे में।

Brain Stroke: ब्रेन स्ट्रोक एक गंभीर बीमारी होती है, जो व्यक्ति के दिमाग तक सही मात्रा में रक्त न पहुंचने की कारण होता है। इसके कारण हमारे दिमाग के ब्रेन सेल्स मरने लगते हैं। आजकल ब्रेन स्ट्रोक के मामलों में काफी बढ़ोत्तरी देखी जा रही है, जिसके कई कारण हो सकते है। 
ब्रेन स्ट्रोक का एक बड़ा कारण हमारी लाइफस्टाइल और गलत खान-पान हो सकता हैं। इसके अलावा कुछ नॉन ट्रेडिशनल फैक्टर्स भी ब्रेन स्ट्रोक का कारण बन सकते हैं, जिनमें माइग्रेन भी शामिल है। अगर आपको भी ब्रेन स्ट्रोक की समस्या हैं तो यह आर्टिकल आपके लिए फायदेमंद है। आइए जानते है ब्रेन स्ट्रोक के लक्षण। 

क्या है ब्रेन स्ट्रोक?
ब्रेन स्ट्रोक एक ऐसी समस्या है, जिसमें व्यक्ति के मांइड के किसी एक हिस्से तक रक्त नहीं पहुंच पाता है। दिमाग को ब्लड न मिलने के कारण उस हिस्से में ऑक्सीजन की कमी होने लगती है जिससे ब्रेन सेल्स डैमेज होने लगते हैं। इसकी वजह से दिमाग सही तरीके से काम नहीं कर पाता है और ब्रेन मरने लगता है। कई बार कोलेस्ट्रॉल या फैट बढ़ने के कारण भी आर्टरी में ब्लॉकेज हो जाता है, जिससे दिमाग तक रक्त प्रवाह में रुकावट होने लगती है। इस स्ट्रोक को इस्केमिक स्ट्रोक भी कहते हैं। 
इसके अलावा शरीर में ब्लड प्रेशर अधिक होने या किसी चोट की वजह से भी दिमाग में ब्लीडिंग होने लगती है, जिससे स्ट्रोक आ सकता है। इसको हीमोरेजिक स्ट्रोक कहा जाता है। इस स्ट्रोक के कारण स्ठायी ब्रेन डैमेज या मौत होने तक का खतरा भी रहता है।

सर्कुलेशन: कार्डियोवैस्कुलर क्वालिटी एंड आउटकम्स ने ब्रेन स्ट्रोक के केस पर स्टडी करके एक रिपोर्ट पब्लिश की हैं। इस रिपोर्ट के मुताबिक युवाओं में नॉन ट्रेडिशनल फैक्टर्स के कारण ब्रेन स्ट्रोक का खतरा अधिक रहता है। इस रिपोर्ट में विस्तारपूर्वक बताया गया है कि 55 साल से कम उम्र के व्यक्तियों में ब्रेन स्ट्रोक के रिस्क फैक्टर्स क्या हो सकते हैं। इसके लिए विशेषज्ञों ने लगभग 2600 स्ट्रोक और 7800 कंट्रोल्ड के मामलों का विश्लेषण किया। 
विश्लेषण के बाद पता चला कि पुरुषों में ब्रेन स्ट्रोक के नॉन ट्रेडिशनल रिस्क फैकटर्स में किडनी फेलियर, माइग्रेन और थ्रॉम्बोफिलिया शामिल थे। वही महिलाओं में स्ट्रोक के कारण माइग्रेन, थ्रॉम्बोफिलिया और मैलिग्नेंसी रहें। इसके अलावा हाइपरलिपिडेमिया ( कोलेस्ट्रॉल और फैट की मात्रा ज्यादा होना), हाई ब्लड प्रेशर तथा तंबाकू का सेवन भी स्ट्रोक के ट्रेडिशनल रिस्क फैक्टर्स के सबसे आम कारण थे। 
माइग्रेन के कारण नॉन ट्रेडिशनल रिस्क फैक्टर्स में स्ट्रोक के सबसे ज्यादा मामले पाए गए। यह ब्रेन स्ट्रोक के मामले 18-34 साल के युवाओं सबसे ज्यादा देखने को मिलें है। 

कैसे करें स्ट्रोक का पता?
अगर किसी को ब्रेन स्ट्रोक आ रहा हो लेकिन आप उसके लक्षण समझने में असमर्थ हो तब आप इस तरह से इसको समझ सकते है। सबसे पहले आप उस व्यक्ति को खड़ा होने के लिए कहें और इसका विशेष ध्यान रखें कि वह संतुलन बना पा रहा है या नहीं। उसकी आखों का टेस्ट लें, उससे पूछें कि उसको धुंधला तो नहीं नजर आ रहा है। उस व्यक्ति को अपने दोनों हाथ उठाने के लिए कहें और देखें कि कहीं उसका एक हाथ नीचे की तरफ तो नहीं गिर रहा है। अगर आपको इनमें से कोई भी लक्षण दिखाई देता हैं तो तुरंत अपने नजदीकी डॉक्टर से संपर्क करें।

[डिस्क्लेमर: यहां दी गई सामग्री केवल सामान्य जानकारी के लिए है। हरिभूमि इसकी पुष्टि नहीं करता है।]

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