History of Delhi: लोगों के दिलों पर राज करने वाली दिल्ली को कैसे मिला नाम, किसने रखी नींव... 

Delhi facts: दिल्ली को दिलवालों की दिल्ली कहा जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि दिल्ली को इसका नाम कैसे मिला और इसका नाम रखने के पीछे क्या बात रही होगी? आइए जानते हैं... 

Updated On 2025-05-03 10:06:00 IST
दिल्ली पर्यटन।

History of Delhi: आज देश की राजधानी दिल्ली किसी पहचान की मोहताज नहीं है। दिल्ली पूरे देश के लोगों के दिल पर राज करती है। देश-विदेश से लोग दिल्ली घूमने के लिए आते हैं। यहां पर पुराने समय के किले, मीनारें, इमारतें आदि हैं, जिन्हें देखने के लिए लोग आज भी इच्छुक रहते हैं। ऐसे में कई बार मन में ये सवाल आता है कि आखिर दिल्ली को 'दिल्ली' नाम किसने और क्यों दिया? 

कई ऐतिहासिक लड़ाइयों की गवाह बनी दिल्ली

पुराने समय से ही दिल्ली पूरे भारत का केन्द्र रही है। दिल्ली को अपनी सल्तनत का हिस्सा बनाने के लिए कई राजाओं और मुगलों ने युद्ध किया। दिल्ली कई ऐतिहासिक लड़ाइयों की गवाह बनी। बाद में साल 1911 में दिल्ली को भारत की राजधानी घोषित कर दिया गया। हालांकि 13 फरवरी 1931 को आधिकारिक तौर पर इसे भारत की राजधानी घोषित किया गया। दिल्ली का नाम रखने को लेकर कई जगह पर अलग अलग बातें लिखी हैं। 

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कैसे पड़ा दिल्ली का नाम

  • कहा जाता है कि मौर्य राजा ढिल्लू ने इस शहर की स्थापना की थी और लोग उन्हें प्यार से धिल्लू और दिलू भी कहते थे। उनके नाम पर शहर का नाम दिल्ली पड़ा। 
  • वहीं कुछ अन्य लोगों का मानना है कि तोमर वंश के राजा ने एक जगह का नाम ढीली रखा था, जो बाद में दिल्ली बन गया। 
  • वहीं इतिहासकारों का मानना है कि दिल्ली का नाम दहलीज शब्द पर रखा गया है, जिसका अर्थ होता है प्रवेश द्वार। 
  • दिल्ली को सिंधु-गंगा का प्रवेश द्वार माना जाता था, और यह शहर एक महत्वपूर्ण स्थान था, क्योंकि सिंधु नदी का रास्ता ही भारत में प्रवेश लेने का एकमात्र मार्ग था। इसलिए इसका नाम 'दहलीज' यानी 'प्रवेश द्वार' से जुड़ा हो सकता है।

कुतुबुद्दीन ऐबक ने बनाई थी पहली इमारत

एक मुगल शासक हुआ, जिसका नाम मुहम्मद गौरी था। 1175 में गौरी ने पहला आक्रमण किया था। मुहम्मद गौरी का एक गुलाम हुआ करता था, जिसका नाम कुतुबुद्दीन ऐबक था। गौरी की मृत्यु के बाद ऐबक ने उसका साम्राज्य संभाला और अपने मालिक के नाम पर कुतुबमीनार बनवाई। कुतुब मीनार का पुराना नाम कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद था। इसे दिल्ली की प्रथम मीनार कहा जाता है। बाद में इस इमारत को यूनेस्को ने विश्व धरोहर स्थल में शामिल कर लिया था। हालांकि दिल्ली को लेकर काफी अलग-अलग बातें चर्चा में हैं। 

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