Jaya Prada Missing: उत्तर प्रदेश से मुंबई तक जया प्रदा का कोई सुराग नहीं, अभिनेत्री की तलाश में जुटी रामपुर की स्पेशल टीम

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Arrest Warrant Against Actress MP Jaya Prada: जया प्रदा मूलत: आंध्र प्रदेश की रहने वाली हैं। उनके पिता एक तेलुगू फिल्म फाइनेंशर थे। अपने 30 साल के फिल्मी करियर में जया प्रदा ने 300 फिल्मों में काम किया। 1994 में उन्होंने अभिनेता एनटी रामराव की तेलुगू देशम पार्टी से राजनीति में कदम रखा था।

Arrest Warrant Against Actress MP Jaya Prada: बॉलीवुड की मशहूर अदाकारा और पूर्व सांसद जया प्रदा लापता हो गई हैं। यूपी पुलिस उन्हें गिरफ्तार करने के लिए वारंट लेकर उत्तर प्रदेश से लेकर मुंबई तक सरपट दौड़ लगा रही है, लेकिन जया की लोकेशन नहीं मिल रही है। रामपुर के पुलिस अधीक्षक ने जया प्रदा को गिरफ्तार करने के लिए स्पेशल टीम बनाई है।

2019 में भाजपा के टिकट पर रामपुर से लड़ा था चुनाव
दरअसल, 2019 में जयप्रदा ने उत्तर प्रदेश में रामपुर लोकसभा सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा था। हालांकि उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। उस वक्त आदर्श आचार संहिता मामले में उनके खिलाफ दो मामले दर्ज हुए थे। एक केस स्वार थाने में तो दूसरा केमरी में दर्ज हुआ था। आदर्श आचार संहिता लागू होने के बावजूद जय प्रदा नूरपुर गांव में सड़क उद्घाटन कार्यक्रम में जाने का आरोप है। वहीं केमरी के पिपलिया मिश्र गांव में उन्होंने सार्वजनिक बैठक में आपत्तिजनक टिप्पणी की थी।

10 जनवरी तक कोर्ट में हाजिर करने का आदेश
दोनों मामले रामपुर की स्पेशल एमपी/एमएलए कोर्ट में चल रहे हैं। पुलिस आरोप पत्र दाखिल कर चुकी है। कोर्ट ने जय प्रदा को हाजिर होने आदेश दिया था। लेकिन जया प्रदा ने आदेशों की अवहेलना करते हुए कई सुनवाइयों से गैर हाजिर रहीं। आखिरकार कोर्ट ने उन्हें खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है। कोर्ट ने जय प्रदा को 10 जनवरी तक गिरफ्तार कर हाजिर करने का आदेश दिया है। पुलिस यूपी के अलावा दिल्ली और मुंबई में उनकी तलाश कर रही है।

तेलुगू देशम पार्टी से राजनीति में रखा था कदम
जया प्रदा मूलत: आंध्र प्रदेश की रहने वाली हैं। उनके पिता एक तेलुगू फिल्म फाइनेंशर थे। अपने 30 साल के फिल्मी करियर में जया प्रदा ने 300 फिल्मों में काम किया। 1994 में उन्होंने अभिनेता एनटी रामराव की तेलुगू देशम पार्टी से राजनीति में कदम रखा था। बाद में चंद्रबाबू नायडू गुट में शामिल हुईं। 1996 में उन्हें राज्यसभा के लिए मनोनीत किया गया। लेकिन मतभेदों के कारण उन्होंने चंद्रबाबू नायडू का भी साथ छोड़ दिया और समाजवादी पार्टी में शामिल हुईं। 2004 के चुनाव में उन्होंने रामपुर से जीत हासिल की। 2009 में भी वे चुनाव जीतने में कामयाब रहीं। लेकिन 2019 में चुनाव से पहले वह भाजपा में शामिल हो गईं।

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