Ankita Patkar Success Story: MPPSC की टॉपर अंकिता पाटकर ने साझा की रणनीति, बताया डिप्टी कलेक्टर बनने कितना, कैसे पढ़ें?

MPPSC topper Ankita Patkar Interview: मध्य प्रदेश लोकसेवा आयोग (MPPSC) द्वारा आयोजित राज्य सेवा चयन परीक्षा-2021 के 10 टॉपर्स में से सात बेटियां हैं। रायसेन की अंकिता पाटकर ने 1500 में 942 अंक प्राप्त कर अव्वल रही। अंकिता अभी औबेदुल्लागंज जनपद में सहायक विकास विस्तार अधिकारी हैं। अपनी इस सफलता से काफी खुश हैं। गुरुवार को रिजल्ट के बाद हरिभूमि और INH टीवी को दिए साक्षात्कार में अंकिता ने सफलता की रणनीति साझा की। साथ ही सिविल सर्विस की तैयारी कर रहे युवाओं को जरूरी टिप्स दिए।
अंकिता पाटकर ने बताया कि मुझे सरकारी सेवा में जाना था, इसलिए बचपन से ही कड़ी मेहनत शुरू कर दी थी। स्कूल के बाद रोजाना होमवर्क और रिवीजन करना आदत में शुमार था। नावोदय से 12वीं पास करने के बाद कुछ दिन भोपाल में रहकर तैयारी की, लेकिन कोरोना के चलते भोपाल छोड़ना पड़ा। इसके बाद घर में रहकर ही तैयारी करने लगी। इस दौरान रोजाना 8 से 10 घंटे तक पढ़ाई की।
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रायसेन की बेटी अंकिता पाटकर ने एमपी का नाम किया रोशन। MPPSC में प्राप्त किये इतने अंक#MadhyaPradeshNews #mppsctopper @BJP4MP @DrMohanYadav51 @ChouhanShivraj pic.twitter.com/6qdEfR6kRU
— INH 24X7 (@inhnewsindia) June 7, 2024 अंकिता पाटकर ने सफलता का श्रेय वहां के स्टाफ व माता पिता को देते हुए उन्होंने बताया, बेहतर एजुकेशन और गाइडेंस हमेशा मिला है। टेस्ट सीरीज और टॉपर्स की कॉपियों से भी काफी मदद मिली है। वह सुबह 8 बजे लाइब्रेरी पहुंच जाती थीं और देर शाम तक पढ़ाई करती थीं। रोजाा वह 8 से 10 घंटे पढ़ाई करती थीं।
नौकरी के साथ तैयारी के सवाल पर अंकिता ने बताया कि मैंने जून 18 से तैयारी शुरू कर दी थी। उस समय तो मैंने रोजाना आठ से 10 घंटे पढ़ती थी। इस दौरान तीन चार साल तो मैंने भरपूर समय दिया, लेकिन पिछले एक डेढ़ साल पहले मेरा तहसीलदार के पद पर चयन हो गया। तब इतना समय निकाल पाना मुश्किल था, लेकिन इसके बाद भी मैं 3 से चार घंटे रोजाना पढ़ने का प्रयास करती थी।
अंकिता ने बताया कि पटवारी एक्जाम के साथ हुए सहायक विकास विस्तार अधिकारी का एक्जाम भी दिया था, जो क्लियर हो गया। इस परीक्षा के लिए भी मैंने रोजाना सुबह 3 घंटे और शाम को पांच घंटे तक पढ़ने की कोशिश करती थी।
अंकिता ने अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता के अलावा सभी शिक्षकों को दिया। कहा, बेशक इस सफलता के लिए जी तोड़ मेहनत किया है, लेकिन भगवान के आशीर्वाद और माता-पिता के मोरल सपोर्ट के बिना कुछ भी संभव नहीं था।
