चरमराई स्वास्थ्य व्यवस्था : मरीजों की जान से हो रहा है खिलवाड़, बीएमओ को दिया गया आवेदन

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चरमराई स्वास्थ्य व्यवस्था
सीतापुर जिले के गुतुरमा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में अक्सर रात को चिकित्सक एवं स्वास्थ्यकर्मी ड्यूटी से गायब रहते है। जिस वजह से मरीजों के जान से हो रहा है खिलवाड़। मामले में बीएमओ को आवेदन दिया गया है।

अनिल उपाध्याय- सीतापुर। छत्तीसगढ़ के सीतापुर जिले के गुतुरमा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में अक्सर रात को चिकित्सक एवं स्वास्थ्यकर्मी ड्यूटी से गायब रहते हैं। इस संबंध में ग्रामवासियों ने बीएमओ से शिकायत कर लापरवाह चिकित्सक एवं स्वास्थ्यकर्मियों के विरुद्ध कार्यवाही एवं व्यवस्था में सुधार की मांग की है। ग्रामीण क्षेत्र में आम जनता को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने का दावा करने वाले स्वास्थ्य केंद्रों में स्वास्थ्य व्यवस्था बुरी तरह चरमरा गई है। जिसका खामियाजा ग्रामीण क्षेत्र के भोली भाली जनता को भुगतना पड़ रहा है। आम लोगों का समय पर उपचार मुहैया कराने के बजाए चिकित्सक एवं स्वास्थ्यकर्मी लोगों की जान से खिलवाड़ कर रहे है। स्वास्थ्य केंद्र में रात्रिकालीन स्वास्थ्य व्यवस्था का सबसे बुरा हाल है।

प्रसव पीड़िता पहुंची तो बंद मिला अस्पताल

बीती रात ग्राम गुतुरमा निवासी मिथुन गुप्ता की पत्नी को रात एक बजे प्रसव पीड़ा होने लगा। जब दर्द काफी बढ़ गया तब मिथुन अपनी पत्नी को लेकर उपचार के लिए आधी रात को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुँचे। जहाँ गेट में ताला लगा था और रात्रिकालीन ड्यूटी में पदस्थ स्टाफ नर्स गायब थी। युवक काफी देर तक गेट के बाहर खड़े होकर आवाज लगाते रहा पर कोई बाहर नही निकला। मजबूरी में युवक प्रसव पीड़ा से कराह रही अपनी पत्नी को लेकर घर वापस आ गया। घर वापस आते ही युवक की पत्नी की परेशानी और बढ़ गई और वह दर्द से कराहने लगी। पत्नी की हालत देख युवक अपने छोटे भाई को दुबारा हॉस्पिटल भेजा। जहाँ युवक के भाई द्वारा आवाज लगाने के बाद हॉस्पिटल में मौजूद सफाईकर्मी बाहर निकली। उससे जब पूछ गया कि स्टाफ नर्स कहा है तो उसने बताया कि वो ड्यूटी में आई ही नही है। युवक का भाई मायूस होकर घर वापस आया और डॉक्टर को फोन लगाया। फोन पर डॉक्टर को सारी वस्तुस्थिति से अवगत कराने के लगभग एक घँटे बाद स्टाफ नर्स हॉस्पिटल पहुँची। तब तक प्रसव पीड़ा से कराह रही महिला की जान पर बन आई थी। आखिरकार प्रसव पीड़ा से कराह रही महिला ने घर मे ही बच्चे को जन्म दे दिया।

स्थिति बिगड़ने पर स्टाफ नर्स सहयोगियों के साथ गई मरीज के घर

बच्चा जन्म लेने के बाद युवक का भाई स्टाफ नर्स को लेने हॉस्पिटल पहुँचा ताकि नवजात बच्चे के साथ उसकी माँ का स्वास्थ्य परीक्षण हो सके। किंतु नर्स ने डॉक्टर का हवाला देते हुए घर जाने से मना कर दिया। युवक द्वारा बार बार आग्रह के बाद भी नर्स घर जाने को राजी नही हुई। स्टाफ नर्स का कहना था कि डॉक्टर ने मना किया है घर जाने के लिए इसलिए माँ और नवजात बच्चे को हॉस्पिटल लाना पड़ेगा। चूंकि जन्म के बाद बच्चा शारीरिक रूप से माँ से जुड़ा हुआ था। इसलिये माँ एवं नवजात बच्चे को हॉस्पिटल ले जाना संभव नही था। यह सब जानते हुए भी स्टाफ नर्स के असहयोगात्मक रवैये की वजह से थोड़ी देर के लिए हॉस्पिटल में माहौल गरमा गया था। इधर उपचार के अभाव में घर मे जन्म लेने वाले नवजात बच्चे की तबियत बिगड़ती देख घरवाले घबरा गए थे। इतना कुछ होने के बाद जब स्टाफ नर्स को लगा कि स्थिति बिगड़ सकती है। तब वो अपने सहयोगियों के साथ घर गई और नवजात बच्चे समेत माँ का उपचार किया।

बच्चे की हालत में सुधार देख घरवालों ने ली राहत की सांस

उपचार के बाद बच्चे की हालत में सुधार देख घरवालों ने राहत की सांस ली।प्रसव पीड़ा के दौरान जीवन और मौत से जूझने वाली माँ और नवजात बच्चा दोनों फिलहाल स्वस्थ है।लेकिन इस दौरान प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में व्याप्त अव्यवस्था उजागर हो गई। खासकर क्षेत्र के अन्य स्वास्थ्य केंद्रों में रात्रिकालीन स्वास्थ्य व्यवस्था का क्या हाल है। ये प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र गुतुरमा की स्थिति देखकर सहज अंदाजा लगाया जा सकता है।

मामले में बीएमओ को दिया गया आवेदन

इस संबंध में मिथुन गुप्ता ने बीएमओ को आवेदन के माध्यम से प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में व्याप्त अव्यवस्था की ओर ध्यान आकृष्ट कराया है। उनका कहना है कि स्वास्थ्य केंद्र में रात्रिकालीन स्वास्थ्य सेवा चरमरा गई है। रात को अक्सर स्वास्थ्यकर्मी ड्यूटी से गायब रहते है।जिसकी वजह से लोगो को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में व्याप्त अव्यवस्था दूर करने एवं रात्रिकालीन स्वास्थ्य सेवा में सुधार करने की मांग की है। इस संबंध में बीएमओ डॉ एस एन पैंकरा ने बताया कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र गुतुरमा में लापरवाही को लेकर शिकायत मिली है। जांच के लिए जांच दल गठित कर दिया गया है।

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