कोरबा लोकसभा : भाजपा ने सरोज पांडेय को मैदान में उतारकर बनाया हाई प्रोफाइल सीट

Jyotsna Mahant - Saroj Pandey
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ज्योत्सना महंत - सरोज पांडेय
साल 2009 में अस्तित्व में आए कोरबा लोकसभा सीट से एक बार भाजपा तो एक बार कांग्रेस को जीत मिलती रही है।

विकास चौबे - बिलासपुर। कोरबा लोकसभा सीट सबसे अधिक हाई प्रोफाइल हो गई है और यहां इस बार रोचक मुकाबला देखने को मिलेगा। यहां से दीदी और भाभी आमने-सामने हैं। 'भाभी' ज्योत्सना महंत कांग्रेस से मौजूदा सांसद हैं, जिन्हें इस बार बीजेपी की 'दीदी' सरोज पांडे से कड़ी टक्कर मिलने की उम्मीद है। इस सीट की बात करें तो 2009 में परिसीमन के बाद भले ही जांजगीर से अलग होकर कोरबा नई लोकसभा सीट बन गई, पर एक के बाद एक का ट्रेंड नहीं बदला। तब भी क्षेत्र की जनता एक बार कांग्रेस को तो एक बार भाजपा को यहां प्रतिनिधित्व का अवसर देती रही और अब भी वही चलन बरकरार है।

2024 के चुनाव में भाजपा प्रत्याशी सरोज पांडेय दुर्ग से सांसद रह चुकी हैं। इस समय वे राज्यसभा की सदस्य हैं। वे बीजेपी महिला मोर्चा की राष्ट्रीय अध्यक्ष रह चुकी हैं। इसके अलावा, वे 2008 में दुर्ग की वैशाली नगर सीट से विधायक भी रही हैं। मौजूदा समय में वे बीजेपी की राष्ट्रीय महासचिव भी हैं। ज्योत्सना महंत छत्तीसगढ़ विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरण दास महंत की पत्नी हैं। वे कोरबा से सांसद हैं। यहां से उनके पति भी सांसद रह चुके हैं। जब कांग्रेस की सरकार थी तो चरण दास महंत विधानसभा अध्यक्ष भी रहे। इसके अलावा, जब छत्तीसगढ़ नहीं बना था तो वे मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री भी रहे।

दोनो पार्टी से महिला प्रत्याशी आमने-सामने

कोरबा लोकसभा में तीन बार आम चुनाव हो चुके हैं और अब 2024 में चौथी बार लोकसभा का चुनाव होना है। यदि इस सीट की तासीर की बात करें, तो एक बार कांग्रेस और एक बार भाजपा को अब तक मौका मिलता रहा है। इस सियासी परपंरा की शुरूआत परिसीमन के बाद पहले चुनाव से ही शुरू हो गई। इस बार कांग्रेस और भाजपा दोनों ही पार्टी से महिला नेत्रियां प्रत्याशी के रूप में आमने-सामने हैं और मुकाबला बेहद रोचक हो गया है। जांजगीर लोकसभा सीट से पृथक होकर वर्ष 2009 में कोरबा लोकसभा अस्तित्व में आई। इसके साथ पहली बार हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के दिग्गज नेता डा चरण दास महंत ने चुनाव जीता। उन्होंने अपने निकटम प्रतिद्वंदी भाजपा की प्रत्याशी करुणा शुक्ला को पराजित किया। इसके बाद वर्ष 2014 के चुनाव में एक बार फिर कांग्रेस ने डा महंत को मैदान में उतारा और इस बार भाजपा के प्रत्याशी डा बंशीलाल महतो से उनका सामना हुआ और डा महंत को हार का सामना करना पड़ा

स्थानीय मुद्दों के साथ ही मोदी का चेहरा बड़ा फैक्टर

चुनावी मुद्दों की बात करें तो पीएम मोदी का चेहरा और महतारी वंदन के सहारे भाजपा मैदान में है। विधानसभा चुनावों में हार के बाद से कांग्रेस उबर नहीं पाई है ऐसा लगता है।हालांकि चरणदास महंत का अपना एक कद है और उनकी पत्नी श्रीमती ज्योत्सना महंत जोरदार तरीके से फिर से चुनाव जीतने का दावा कर रही है। सच्चाई यह भी है कि उद्योगों की वजह से प्रदूषण की मार भी लोगों को झेलनी पड़ रही। यह इस संसदीय क्षेत्र का सबसे बड़ा व संवेदनशील मुद्दा वर्षों से रहा है।

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