घर गिरवी रखकर गोपीचंद ने खोली थी अकेडमी
गोपीचंद को साल 2005 में पद्म श्री और 2014 में पद्म भूषण से और द्रोणाचार्य पुरस्कार से भी नवाजा जा चुका है।

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haribhoomi.comCreated On: 20 Aug 2016 5:48 PM GMT
नई दिल्ली. भारतीय बैडमिंटन टीम के मुख्य कोच पुलेला गोपीचंद ने कहा है कि उन्हें इस बात पर गर्व है कि उनके मार्गदर्शन में देश को लगातार ओलंपिक खेलों में दो पदक हासिल हुए हैं। लंदन ओलम्पिक 2012 में सानिया नेहवाल ने गोपीचंद के नेतृत्व में ही कांस्य पदक जीता था. इस बार रियो ओलम्पिक में भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी पी.वी. सिंधू ने रजत पदक जीता है।
गोपीचंद ने 10 साल की उम्र से बैडमिंटन खेलने की शुरुआत कर दी थी। गोपीचंद 2001 में चीन के चेन होंग को फाइनल में 15-12,15-6 से हराकर ऑल इंग्लैंड ओपन बैडमिंटन चैंपियनशिप में जीत हासिल करके एक नया इतिहास रचा था। इसके बाद लंदन में ऑल इंग्लैंड ओपन बैडमिंटन चैम्पियनशिप जीतकर इतिहास रच दिया था। इससे पहले यह कारनामा सिर्फ स्टार बैडमिंटन खिलाड़ी प्रकाश पादुकोण (1980) ही कर पाए थे।
गोपीचंद को 2001 में राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उसके बाद चोटों के कारण उनके खेल पर प्रभाव पड़ा और फिर उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर खेलना बंद कर दिया। इसके बाद गोपीचंद ने अपनी अकैडमी खोली और कोच के तौर पर खिलाड़ियों को ट्रेनिंग देने का फैसला किया।
गोपीचंद को अपनी अकैडमी शुरू करने के लिए अपने घर तक को गिरवी रखना पड़ा था। हालांकि आंध्रप्रदेश सरकार ने गोपीचंद को अकैडमी बनाने के लिए जमीन दी थी लेकिन प्रॉजेक्ट को पूरा करने के लिए उनके पास पैसे नहीं थे। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और अपने सपने को पूरा करने के लिए अपना घर गिरवी रख दिया।
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