Paralympics Tokyo 2020: महिला पावरलिफ्टिंग में भारत की सकीना खातून ने हार कर भी रचा इतिहास

खेल। टोक्यो पैरालंपिक (Tokyo Olympics) में महिला पावरलिफ्टिंग (Women's Powerlifting) के 50 किलो वेट के इवेंट में भारत की सकीना खातून (Sakina Khatun) पांचवें स्थान पर रहीं। इसके साथ ही वह मेडल से चूक गई हैं। वही सकीना पैरालंपिक खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली पहली भारतीय महिला पावरलिफ्टर हैं। इससे पहले सिर्फ पुरुषों ने ही इस खेल में देश का प्रतिनिधित्व किया था।
Tokyo 2020 Paralympic Games:
— DD India (@DDIndialive) August 27, 2021
Indian para-powerlifter Sakina Khatun finishes 5th with the highest bench press of 93kg in the women's 50 Kg event.#Cheer4India #Paralympics pic.twitter.com/x2TM7Lqykz
वहीं सकीना ने दुबई में पैरा पावरलिफ्टिंग वर्ल्ड कप में 80 किग्रा भार उठाकर 45 किलो में सिल्वर मेडल जीतकर टोक्यो पैरालंपिक खेलों के लिए क्वालिफाई किया था। इसके साथ ही वह कॉमनवेल्थ गेम्स में ब्रॉन्ज जीतने वाली भारत की पहली पैरा-एथलीट बनी।
दरअसल पावरलिफ्टिंग खेलों में हर खिलाड़ी को तीन मौके दिए जाते हैं। जिसमें से एथलीट का सबसे बेहतर प्रदर्शन गिना जाता है। सकीना ने पहले मुकाबले में 90 किलो का वजन उठाया। लेकिन अगले दो मुकाबलों में वह 93 किग्रा ही उठा पाईं। इस कारण वह पांचवें नंबर पर रहीं। इस स्पर्धा में चीन की एचयू डी ने 120 किलो में गोल्ड जीता, जबकि मिस्र की रेहाब अहमद ने सिल्वर और ग्रेट ब्रिटेन की ओलिविया ब्रूमी ने ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया।
युवाओं के लिए मिसाल बनीं सकीना
बैंगलुरु में जन्मी सकीना खातून छोटी उम्र में ही पोलियो की शिकार हो गईं थीं। परिवार अक्सर उनके भविष्य को लेकर परेशान रहता था लेकिन सकीना ने बीमारी को अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया। उन्हें बचपन से ही खेलों में रुचि थी, बस इसी शौक ने उन्हें कभी कमजोर नहीं पड़ने दिया। पावरलिफ्टिंग में ट्रेनिंग शुरु की और उनकी मेहनत रंग लाई। उन्हें 2014 के कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए चुना गया। इसके बाद उन्होंने देश को ब्रॉन्ज मेडल दिला कर पहली बार सुर्खियां बटोरीं।