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जन्मदिन विशेष: पीवी सिंधू ने 8 साल की उम्र में की थी बैडमिंटन की शुरुआत

पीवी सिंधू ओलम्पिक खेलों में महिला एकल बैडमिंटन का रजत पदक जीतने वाली पहली खिलाड़ी हैं।

जन्मदिन विशेष: पीवी सिंधू ने 8 साल की उम्र में की थी बैडमिंटन की शुरुआत
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भारतीय खेल जगत में कई ऐसे खिलाड़ी हुए जिन्होंने सालों से देश का नाम रोशन किया है। इन्हीं में अब पीवी सिंधू का नाम भी जुड़ गया है।भारत की शान बैडमिंटन स्टार खिलाड़ी पीवी सिंधू का आज 22वां जन्मदिन है।

ओलम्पिक खेलों में महिला एकल बैडमिंटन का रजत पदक जीतने वाली वे पहली खिलाड़ी हैं। वह देश की लड़कियों के लिए एक बहुत बड़ी प्रेरणा है। आइए जानें उनके जीवन से जुड़ीं कुछ खास बातें

वॉलीबॉल खिलाड़ियों के परिवार में हुआ जन्म

पीवी सिंधू का जन्म आज ही के दिन 1995 में आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले में हुआ था। उनके माता-पिता, पेशेवर वॉलीबॉल खिलाड़ी थे और साल 2000 में उनके पिता को वॉलीबॉल में शानदार योगदान के लिए अर्जुन अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया था।

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सिंधू बचपन से ही ऐसे माहौल में बड़ी हुई हैं जहां खेलों की चर्चा आम थी। सबको उम्मीद थी कि वो भी अपने माता-पिता की तरह वॉलीबॉल खिलाड़ी बनेंगी लेकिन सिंधू ने अलग रास्ता चुना और इसकी वजह भी खास थी।

पुलेला गोपीचंद से मिली थी प्रेरणा

आज जो राष्ट्रीय बैडमिंटन कोच हैं वही बने थे पीवी सिंधू की प्रेरणास्त्रोत। जी हां, सिंधू के मौजूदा कोच पुलेला गोपीचंद ही वजह बने थे कि उन्होंने वॉलीबॉल की जगह बैडमिंटन को चुना।

2001 में ऑल इंग्लैंड बैडमिंटन चैंपियनशिप का खिताब जीतने वाले पुलेला गोपीचंद की सफलता को देखकर सिंधू इतना प्रेरित हुईं कि आठ साल की उम्र में ही उन्होंने बैंडमिंटन कोर्ट का रुख कर लिया था।

ऐसे शुरू हुआ पहचान बनाने का सफर

गोपीचंद की बैडमिंटन अकादमी में दाखिल होने के बाद से सिंधू ने अपनी प्रतिभा के दम पर जलवा बिखेरना शुरू कर दिया था। पहले अंडर-10 का खिताब जीता, फिर अंडर-13 में दम दिखाया,

अंडर-14 में स्वर्ण पदक जीता और राष्ट्रीय सब-जूनियर चैंपियनशिप में भी उनका नाम छा गया। भारतीय बैडमिंटन सर्किट में उनका नाम तेजी से बढ़ रहा था और सबको अहसास हो गया था कि सिंधू कुछ बड़ा हासिल करेंगी।

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सिंधू ने कोच गोपीचंद की अगुआइ में देश व फैंस को निराश होने का कोई मौका नहीं दिया और ओलंपिक में फाइनल तक पहुंचने वाली पहली भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी बनीं। फाइनल में स्पेन की दिग्गज कैरोलीना मारिन से कड़े मुकाबले के बाद हार तो मिली।

लेकिन वो रजत पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बन गईं। वो ओलंपिक रजत पदक जीतने वाली सबसे कम उम्र की भारतीय खिलाड़ी भी बनी थी। पूरे देश में उनका सम्मान हुआ और उम्मीदें अब भी जारी हैं।

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