Logo
election banner
Pariksha Pe Charcha 7th edition Live Updates: इस साल प्रत्येक राज्य और केंद्रशासित प्रदेश से दो छात्रों और एक शिक्षक तथा कला उत्सव के विजेताओं को नई दिल्ली में परीक्षा पे चर्चा के लिए विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया है।

Pariksha Pe Charcha 7th edition Live Updates: परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम के सातवें संस्करण की शुरुआत हो चुकी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली में भारत मंडपम पहुंचकर सबसे पहले छात्र-छात्राओं की तरफ से तैयार किए प्रोजेक्ट्स देखे। इसके बाद करीब तीन हजार बच्चों को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि आप उस स्थान पर आए हैं, जहां भारत मंडपम के प्रारंभ में दुनियाभर के दिग्गज नेता ने दुनिया के भविष्य पर चर्चा की। विश्वभर की नीतियों पर चर्चा की। अब आप भारत के भविष्य अपनी परीक्षा पे चर्चा करने वाले हैं। इसके बाद बच्चों, अभिभावक और शिक्षकों से ऑनलाइन सवाल लिए गए। 

जानिए मोदी सर की आसान टिप्स...

एग्जाम के दबाव को कैसे कम करें?
जवाब:
पीएम मोदी ने कहा कि हमें किसी भी प्रकार के प्रेशर को झेलने लायक बनाना चाहिए। खुद को तैयार करना पड़ता है। इच्छाशक्ति से हम दबाव के बावजूद सफलता हासिल कर सकते हैं। हमें दबाव से निपटने की कला को जल्दबाजी में नहीं, बल्कि धीरे-धीरे लागू करना चाहिए। दबाव को संभालना सिर्फ विद्यार्थी का काम नहीं है। इस प्रक्रिया को आसान बनाने की जिम्मेदारी घर पर शिक्षकों और अभिभावकों पर भी है। 

क्या दूसरे बच्चों से तुलना ठीक है?
जवाब: पीएम मोदी ने कहा कि परीक्षा पे चर्चा का यह सातवां एपिसोड है। लेकिन ये सवाल हर बार आया है और अलग-अलग तरीके से आया है। इसका मतलब है कि सात वर्षों में, सात अलग-अलग बैच समान परिस्थितियों से गुजरे हैं और हर नए बैच को भी समान समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। 

उन्होंने कहा कि प्रतिस्पर्धा का जहर परिवार में बो दिया जाता है। कभी पिता बच्चों को बोलते हैं। पिता चुप हो जाते हैं तो मां बोलने लगती है। फिर बड़ा भाई बोलने लगता है। माता-पिता को ज्यादा समझाने से बचना चाहिए। इससे भी दबाव पड़ता है। इसलिए सभी अभिभावकों से आग्रह है कि बच्चों के बीच तुलना मत कीजिए। बच्चे के अंदर द्वेष भावना पैदा हो जाती है। 

दोस्तों से कैसे प्रतिस्पर्धा करें?
जवाब: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि दोस्तों से प्रतिस्पर्धा नहीं करनी चाहिए। बल्कि खुद से स्पर्धा करनी चाहिए। दोस्तों से द्वेष करने की जरूरत नहीं है। प्रेरणा लेनी चाहिए। इसलिए प्रतिभावान दोस्त बनाइए। कभी भी अपने मन में ईर्ष्या भाव में पैदा नहीं होने देना चाहिए। पीएम मोदी ने यह बातें उदाहरण देकर समझाई। 

उन्होंने कहा कि मान लीजिए 100 नंबर का पेपर है। आपका दोस्त अगर 90 नंबर ले आया तो क्या आपके लिए 10 नंबर बचे? आपके लिए भी 100 नंबर हैं। आपको उससे स्पर्धा नहीं करनी है आपको खुद से स्पर्धा करनी है। उससे द्वेष करने की जरूरत नहीं है। असल में वो आपके लिए प्रेरणा बन सकता है। अगर यही मानसिकता रही तो आप अपने से तेज तरार व्यक्ति को दोस्त ही नहीं बनाएंगे। 

एग्जाम हाल में कैसे शांत रहें?
जवाब: पीएम मोदी ने कहा कि घूमकर फिर तनाव आ गया। ये तनाव कैसे दूर हो? कुछ गलतियां पैरेंट्स का अति उत्साह कर देता है। कुछ गलतियां छात्रों की गंभीरता कर देती है। कुछ अभिभावकों को मैंने देखा है कि आज एग्जाम है तो नई पेन लाकर दो। नए कपड़े पहनाकर भेजो। अरे भाई जो बच्चा हर दिन पेन यूज करता था, वही दीजिए। एग्जाम हाल में उसका कोई कपड़ा नहीं देखने वाला है। कोई मां खाने को लेकर परेशान रहती है। यहीं से तनाव शुरू हो जाता है। पैरेंट्स बच्चों को उसकी मस्ती में जीने दीजिए। कुछ सिंसियर स्टूडेंट्स एग्जाम हाल के बाहर तक किताबें नहीं छोड़ते हैं। लेकिन ये गलत है। आराम से एग्जाम रूम में बैठिए। हंसी-मजाक में कुछ पल बिताइए। गहरी सांस लीजिए। 8-10 मिनट खुद के लिए निकालिए। जब पेपर आएगा तो कन्फर्ट जोन में रहेंगे।  

पीएम मोदी ने कहा कि मोबाइल के युग में लोगों के लिखने की क्षमता कम हो गई है। इसलिए हर दिन पढ़ाई का 50 फीसदी समय खुद नोटबुक पर लिखने में दें। खुद का लिखा हुआ पढ़ें और सही करें। लिखने की प्रैक्टिस जरूरी है। इससे लिखने में आपकी मास्टरी हो जाएगी। 

Pariksha Pe Charcha 2024
Pariksha Pe Charcha 2024

संगीत की टीचर ने पूछा- स्टूडेंट्स को मोटिवेट कैसे किया जाए?
जवाब: पीएम मोदी ने कहा कि बच्चों को मोटिवेट करने के लिए संगीत से भी अच्छा क्या होगा। संगीत के जरिए क्लास का माहौल खुशहाल बनाया जा सकता है। किसी भी टीचर के मन में जब यह विचार आता है, कि जब मैं स्टू़डेंट्स के मन में परीक्षा का तनाव कैसे दूर करूं। टीचर को स्टूडेंट्स से रिलेशन ठीक करना चाहिए। इससे परीक्षा के दिनों में तनाव की नौबत ही नहीं आएगी। क्योंकि स्टूडेंट को कभी लगता ही नहीं कि शिक्षक का उसकी जिंदगी में विशेष स्थान है। जिस दिन टीचर सिलेबस से निकलकर स्टूडेंट्स से रिलेशन डेवलप करेंगे, तो बच्चे उनसे हर प्रेशर का डिस्कस करेंगे।

पढ़ाई और व्यायाम के बीच संतुलन कैसे बनाएं?
जवाब: आपमें से कई घंटों मोबाइल इस्तेमाल करते होंगे। मोबाइल को रीचार्ज करना पड़ता है। वैसे ही बॉडी को भी रीचार्ज करना पड़ता है। इसलिए जीवन को थोड़ा संतुलित बनाना होता है। कुछ लोग सिर्फ खेलते रहते हैं, यह भी गलत है। अगर हम स्वस्थ नहीं रहेंगे तो तीन घंटे एग्जाम में भी बैठ नहीं पाएंगे। इसलिए नियम बनाकर पढ़ाई और खेल में सामंजस्य बनाना चाहिए। कभी धूम में बैठकर भी पढ़ाई करनी चाहिए। नींद भरपूर लेनी चाहिए। लेकिन आप में से कई रील्स देखकर समय बर्बाद कर देते होंगे। मुझे बिस्तर पर सिर्फ 30 सेकंड सोने में लगता है। संतुलित आहार लीजिए।

पढ़ाई के बाद करियर चुनाव के तनाव को कैसे दूर करें?
जवाब: आपको खुद पर भरोसा नहीं है। इसलिए आप 50 लोगों से पूछते रहते हैं। आप दूसरों की सलाह पर निर्भर रहते हैं। जो सलाह सरल होती है, उसे अपना लिया जाता है। कुछ बच्चे यहां से घर जाएंगे तो वे कहेंगे कि मोदीजी ने कहा कि खेलो। इसलिए मैं अब खेलूंगा, पढ़ूंगा नहीं। हमें अनिश्चितता, अनिर्णायकता से बचना चाहिए। हमें अपने ऊपर भरोसा करना चाहिए। आधे अधूरे मन से कोई काम नहीं करना चाहिए। दूसरों को देखकर करियर को लेकर निर्णय नहीं करना चाहिए। नई शिक्षा नीति ने राह आसान कर दी है। 

माता-पिता को कैसे विश्वास दिलाएं कि हम मेहनत कर रहे?
जवाब: पीएम मोदी ने कहा कि इस सवाल के पीछे एक और सवाल है कि पूरे परिवार में अविश्वास है। यह टीचर और पैरेंट्स के लिए सोचने का विषय है। यदि हम परिवार में विश्वास की कमी महसूस करते हैं तो चिंताजनक है। ये लंबे कालखंड से होकर गुजरती है। इसलिए हर बच्चे, शिक्षक और अभिभावक को अपने आचरण का विश्लेषण करते रहना चाहिए। पढ़ने के लिए कहा है तो पढ़िए। जो भी वादा करें उसे पूरा करिए। अगर आप पालन करते हैं तो अविश्वास की स्थिति पैदा नहीं होगी। उसी तरह मां-बाप को भी सोचना होगा। बच्चों पर विश्वास करिए। 

क्या आजकल के बच्चों ने दिमाग लगाना बंद कर दिया है, वे टेक्नोलॉजी पर ज्यादा निर्भर हो गए हैं?
जवाब: पीएम मोदी ने कहा कि किसी भी चीज की अति किसी का भला नहीं करती है। मान लीजिए कि मां ने बहुत अच्छा खाना बनाया है तो खाते ही जा रहे हैं? क्या ये संभव है? आपको रुकना पड़ता है। वैसे ही मोबाइल भी है। कुछ समय तय करना होगा। आपने देखा होगा कि रेयर केस में मेरे पास फोन होता है। क्योंकि मुझे पता है कि कब मोबाइल का उपयोग करना है। आजकल हर मां-बाप की यही चिंता है। यह आपके जीवन को कुंठित कर देता है। परिवार में अविश्वास पैदा करने का यह बड़ा साधन है। टेक्नोलॉजी बोझ नहीं है। लेकिन हर चीज के लिए नियम बनाना चाहिए। 

प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए आप कैसे तनाव को हैंडल करते हैं?
जवाब: इसके कई जवाब हो सकते हैं। लेकिन अच्छी बात यह है कि आपको प्रधानमंत्री पद के प्रेशर की बात पता है। कई बार जीवन, परिवार, देश में ऐसी परिस्थिति आती है, जिसके बारें में सोचा नहीं था। कई लोगों को लगता होगा कि सिर नीचे रख दो, आंधी गुजर जाएगी। मैं हर चुनौती को चुनौती देता हूं। मेरे भीतर आत्म विश्वास है। मैं मानता हूं कि कुछ भी है, 140 करोड़ देशवासी मेरे साथ हैं। यदि 100 मिलियन चुनौतियां हैं तो बिलियंस ऑफ बिलियंस समाधान भी हैं। मुझे कभी नहीं लगता कि मैं अकेला हूं। मुझे हमेशा लगता है कि मेरा देश सामर्थ्यवान है। आगे मैं हूं, गलत हुआ तो गाली भी खाऊंगा। इसलिए मैं अपनी पूरी शक्ति देश का सामर्थ्य बढ़ाने में लगा रहा हूं।

हिंदुस्तान की हर सरकार को गरीबी के संकट से जूझना पड़ा है। मैंने सोचा कि सरकार कौन होती है गरीबी को हटाने वाली। जब गरीब खुद सोचेगा तभी गरीबी हटेगी। अगर मैं किसी गरीब को उस चीज से मुक्त दिला दूं जिससे वह रोज जूझता है तो वह गरीबी को हरा देगा। मेरे 10 साल के कार्यकाल में 25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आए हैं। इसीलिए मेरी कोशिश रहती है कि देश की शक्ति, संसाधनों पर भरोसा करें। आप जिनके लिए कर रहे हैं, उनका आप पर भरोसा होना चाहिए। आपके पास सही और गलत तय करने का विवेक होना चाहिए। यदि गलती हो भी जाए तो मानकर चलता हूं कि यह मेरे लिए सबक है। इसे निराशा का कारण नहीं मानता हूं।

कोविड के समय गंभीर चुनौती थी। मैं रोज टीवी पर आया। कभी थाली, कभी ताली तो कभी कुछ करने के लिए। यह प्रयास सामूहिक शक्ति को उभारना था। सही सामर्थ्य का सही उपयोग होना चाहिए। नीचे से ऊपर तक आपके पास सही जानकारी आनी चाहिए। फिर ऊपर से नीचे तक सही गाइडेंस जानी चाहिए। यह टू वे कम्युनिकेशन बेहतर होना चाहिए। मेरे यहां निराशा का कोई दरवाजा खुला नहीं है। 

पीएम मोदी की अपील- प्रदर्शनी जरूर देखें 
भारत मंडपम में खेलो इंडिया को बढ़ावा देने के लिए गेम्स मॉडल्स की प्रदर्शनी लगाई गई। नई शिक्षा नीति के तहत स्टूडेंट्स को लोकल लैंग्वेज में शिक्षा को बढ़ावा देना के लिए पेंटिग लगाई गई है। एक भारत श्रेष्ट भारत का एग्जबिशन भी लगाया गया है।

वोकल फॉर लोकल से जुड़ी कलाकृतियां भी रखी गई हैं। पीएम मोदी ने प्रदर्शनी का अवलोकन किया। संबोधन की शुरुआत में पीएम मोदी ने कहा कि आप सभी से आग्रह है कि सभी लोग प्रदर्शनी देखें और अपने स्कूलों में वापस जाकर उसकी चर्चा करें।

Pariksha Pe Charcha 2024
पीएम मोदी ने प्रदर्शनी का अवलोकन किया।

इस बार 2.26 करोड़ रजिस्ट्रेशन
शुरुआती तीन संस्करण नई दिल्ली के टाउन-हॉल में हुए थे। कोविड महामारी के कारण चौथा ऑनलाइन प्रसारित किया गया था। इसके बाद परीक्षा पे चर्चा का पांचवां और छठा संस्करण नई दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में टाउन हॉल प्रारूप में आयोजित किया गया था।

2023 में आयोजित परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम में लगभग 31.24 लाख छात्रों ने हिस्सा लिया था। जबकि 5.60 लाख शिक्षक और 1.95 लाख अभिभावकों ने भी सहभागिता दिखाई थी। सोमवार के परीक्षा पे कार्यक्रम के लिए MyGov पोर्टल पर 2.26 करोड़ पंजीकरण दर्ज किए गए हैं।

इस साल प्रत्येक राज्य और केंद्रशासित प्रदेश से दो छात्रों और एक शिक्षक तथा कला उत्सव के विजेताओं को नई दिल्ली में परीक्षा पे चर्चा के लिए विशेष अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया है। इसके अलावा, देश के विभिन्न हिस्सों से एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों (ईएमआरएस) के सौ छात्र इसकी स्थापना के बाद पहली बार इस कार्यक्रम में भाग लेंगे।

यहां देखिए लाइव...

5379487