Heart Diseases: बाल बताएंगे दिल की सेहत का हाल, पढ़िए स्टडी में क्या हुआ खुलासा
Heart Diseases: आपको यह जानकर हैरानी होगी कि बालों की मदद से आप भविष्य में होने वाली हृदय संबंधी बीमारियों का पता लगा सकते हैं। यहां पढ़िए स्टडी में क्या बड़े दावे किये गए हैं।

Hair May Predict Future Risk Of Heart Disease: बाल किसी भी इंसान को अच्छा दिखाने का काम करते हैं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि बालों की मदद से आपको दिल से संबंधी गंभीर बीमारियों का पता पहले से ही चल जाता है। जी हां, एक स्टडी में दावा किया गया है कि हम सभी के बालों से हमारे दिल की सेहत का हाल जाना जा सकता है। दरअसल, शोधकर्ताओं ने बालों में एक तनाव हार्मोन को पाया है, जिसे मापने पर भविष्य में होने वाले हृदय रोगों (Cardiovascular disease) के जोखिमों का अनुमान पहले से लगाया जा सकता है। डबलिन, आयरलैंड में इस वर्ष के यूरोपीय कांग्रेस ऑन ओबेसिटी (ईसीओ) में पब्लिश किए गए अध्ययन से पता चलता है कि ग्लूकोकॉर्टिकॉइड(Glucocorticoid) व्यक्तियों के बालों में मौजूद हो सकता है। इससे इंसान के अंदर भविष्य में होने वाली सीवीडी बीमारियों की संभावना का पता लगाया जा सकता है। शोधकर्ता ने कहा, "इस बात के प्रमाण हैं कि समग्र स्वास्थ्य (Overall Health) का निर्धारण करने में क्रोनिक तनाव एक गंभीर कारक है।
बालों से खुलेगा दिल की बीमारी का राज
उन्होंने आगे कहा कि हमारे निष्कर्ष बताते हैं कि अगर लोगों के बालों में लंबे समय तक गलूकोकॉर्टिकॉइड (Glucocorticoid) स्तर अधिक दिखाई देते हैं, तो हृदय संबंधी बीमारियां विकसित होने की संभावना ज्यादा होती है।" स्टडी में 18 साल और उससे ज्यादा की उम्र वाले 6,341 वयस्क पुरुषों और महिलाओं के बालों में कोर्टिसोल और कोर्टिसोन पाया गया है। जिन लोगों के बालों पर परीक्षण किया था, उन पर कोर्टिसोल-कोर्टिसोन के स्तर और सीवीडी के बीच संबंध का आकलन करने के लिए औसतन 5-7 वर्षों तक नजर रखी गई। इस दौरान 133 सीवीडी इवेंट हुए, निष्कर्षों से पता चला है कि उच्च दीर्घकालिक कोर्टिसोन स्तर वाले लोगों में स्ट्रोक या दिल का दौरा पड़ने जैसी दिल की बीमारियों (Heart Disease) का खतरा दोगुना ज्यादा होता है। हालांकि, Cardiovascular disease के ज्यादातर मामलों में, बाल कोर्टिसोन (Cortisone) और कोर्टिसोल (Cortisol) घटना सीवीडी से नहीं जुड़े थे।
जानिये स्टडी में हुए कौन से दावे
इरास्मस यूनिवर्सिटी मेडिकल सेंटर के अध्ययन के प्रमुख प्रोफेसर एलिजाबेथ वैन रोसुम ने कहा कि "हमें आशा है कि बालों को एक परीक्षण के रूप में एनालाइज करना उपयोगी साबित हो सकता है, इससे चिकित्सकों को यह निर्धारित करने में मदद मिल सकती है कि कौन से व्यक्ति हृदय रोग होने के उच्च जोखिम पर हो सकते हैं। इसके बाद, शायद भविष्य में शरीर के अंदर तनाव हार्मोन के अन्य प्रभावों की जांच करना एक नया उपचार लक्ष्य बन सकता है। इसके अलावा स्टडी ने यह ऑब्जर्व किया है कि तनाव Cardiovascular disease का कारण नहीं बन सकता है, लेकिन यह संकेत देता है कि यह दोनों ही चीजें जुड़ी हुई हैं।

Harsha Singh
दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन की है। कॉलेज के दौरान ही कुछ वेबसाइट्स के लिए फ्रीलांस कंटेंट राइटर के तौर पर काम किया। अब बीते करीब एक साल से हरिभूमि के साथ सफर जारी है। पढ़ना, लिखना और नई चीजे एक्स्प्लोर करना पसंद है।