महिलाएं भूलकर भी न करें ये गलतियां, वरना हो सकती है जानलेवा बीमारी
महिलाएं घर-बाहर की तमाम जिम्मेदारियां संभालती हैं लेकिन अपनी सेहत को लेकर अकसर लापरवाही बरतती हैं। इससे वे कई गंभीर बीमारियों की शिकार हो जाती हैं। अगर आप कुछ हेल्थ मिस्टेक्स से बचें तो कई बीमारियों से बच सकती हैं, स्वस्थ जीवन जी सकती हैं।

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शिखर चंद जैनCreated On: 3 April 2019 1:08 PM GMT
Women Health Mistakes : महिलाएं अपने घर के सदस्यों की सेहत को लेकर बहुत सचेत रहती हैं लेकिन जब बात खुद की सेहत की आती है तो वे लापरवाह हो जाती हैं। यही लापरवाही बाद में कई तरह की मेडिकल प्रॉब्लम्स की वजह बनती हैं। साथ ही महिलाएं कुछ ऐसी मेडिकल मिस्टेक्स भी करती हैं, जो उनके लिए ठीक नहीं है। इन मेडिकल मिस्टेक्स से हर महिला को बचना चाहिए।
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फैमिली हिस्ट्री की जानकारी नहीं रखतीं
ज्यादातर महिलाएं अपनी फैमिली डिजीज की हिस्ट्री पर खास गौर नहीं करती हैं, जबकि उन्हें इस बात पर खास ध्यान देना चाहिए कि मम्मी-पापा, दादा-दादी या नाना-नानी में से किसी को 50 से कम उम्र में डायबिटीज, कैंसर, हायपरटेंशन, हार्ट डिजीज या किडनी संबंधी समस्या तो नहीं थी। अगर किसी मेडिकल प्रॉब्लम की फैमिली हिस्ट्री है तो चिकित्सक से मिलकर समय-समय पर उनके द्वारा सुझाए गए टेस्ट, फिजिकल एग्जामिनेशन करवाते रहने चाहिए। समस्या का समय पर पता चल जाए तो बीमारी का इलाज जल्दी और आसान हो जाता है।
रेग्युलर ब्रेस्ट चेकअप में करती हैं लापरवाही
आज जिस तेजी से महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर के मामले बढ़ते जा रहे हैं, उस स्थिति में किसी स्त्री रोग विशेषज्ञ से स्तनों की नियमित जांच बेहद जरूरी है। इसे आप भी सीख सकती हैं। सेल्फ एग्जामिनेशन से ब्रेस्ट में किसी तरह की गांठ का पता चल जाता है। इसके साथ ही 40 साल की उम्र के बाद हर साल या दो साल में एक बार मैमोग्राम टेस्ट करवाना जरूरी है। इससे ब्रेस्ट में किसी तरह की अस्वाभाविक संरचना या गांठ का पता चल जाता है। वैसे तो ब्रेस्ट में गांठ ब्रेस्ट कैंसर का सबसे आम लक्षण माना जाता है। लेकिन जैसे हर गांठ कैंसर नहीं होती, ठीक उसी तरह स्तन कैंसर का एकमात्र लक्षण गांठ ही नहीं होती। कई बार इस रोग के दूसरे लक्षण मसलन निप्पल से तरल का रिसाव और कांख में सूजन का नजर आना भी होता है। जब भी ब्रेस्ट में किसी भी तरह के असामान्य लक्षण नजर आएं तो डॉक्टर को जरूर दिखाएं।
हार्ट डिजीज को करती हैं इग्नोर
महिलाएं सोचती हैं कि हार्ट डिजीज का खतरा उन्हें पुरुषों के मुकाबले कम होता है, जबकि सच्चाई यह है कि भारतीय महिलाओं में भी हार्ट डिजीज मृत्यु का एक बड़ा कारण है। ‘वेदना’ यानी ‘विजुअलाइजिंग द एक्सटेंट ऑफ हार्ट डिजीज इन इंडियन वूमेन’ के नाम से हुए एक सर्वे में पाया गया कि 20-40 वर्ष की एज ग्रुप की भारतीय महिलाओं में हार्ट डजीज के मामलों में 10-15 फीसदी की वृद्धि हुई है। सर्वे में देश के 600 सेहत विशेषज्ञों से मिली जानकारी के मुताबिक हाल के वर्षों में महिला हृदय रोगियों की संख्या में इजाफा हुआ है।
चिकित्सकों के मुताबिक महिलाओं में हार्ट डिजीज के बढ़े खतरे की बड़ी वजह जीवनशैली में हुआ बदलाव और खान-पान में लापरवाही है। इससे शरीर में नेगेटिव हार्मोनल बदलाव आते हैं, जो इस्ट्रोजन के असर को निष्क्रिय कर देते हैं। आमतौर पर महिलाओं में हार्ट अटैक या डिजीज के लक्षण, छाती में तीव्र दर्द न होकर गर्दन, जबड़े, कंधे, कमर या पेट की तकलीफ भी हो सकती हैं। सांसों में समस्या, दोनों या एक हाथ में दर्द, जी मिचलाना, पसीना, अनावश्यक थकान भी इसके लक्षण हो सकते हैं।
पैप स्मियर टेस्ट नहीं करवातीं
अकसर महिलाएं रूटीन टेस्ट या बिना बीमारी के किसी तरह के मेडिकल कंसल्टेशन को गैरजरूरी समझती हैं। डॉक्टर्स का कहना है कि युवावस्था से ही हर महिला को पैप स्मीयर्स टेस्ट करवाना चाहिए, जो शादी-शुदा हैं। विवाह या यौन सक्रियता के शुरुआती 3 सालों में ही पहला टेस्ट करवा लेना चाहिए। इसके बाद हर 2 साल में यह जांच अवश्य करवा लेनी चाहिए। इस टेस्ट से सर्वाइकल कैंसर का पता चल जाता है।
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