Independence Day 2022: भारत से एक दिन पहले कैसे आजाद हुआ पाकिस्तान? जानें बंटवारे से जुड़ा इतिहास और तथ्य
15 अगस्त 1947 (Independence day 2022) को भारत को दो अलग राष्ट्रों भारत (India) और पाकिस्तान (Pakistan) की कीमत पर ब्रिटिश उपनिवेशवाद से स्वतंत्रता मिली।

15 अगस्त 1947 (15 August 1947 India) को भारत को दो अलग राष्ट्रों भारत और पाकिस्तान की कीमत पर ब्रिटिश उपनिवेशवाद से स्वतंत्रता मिली। दोनों देशों ने एक साथ अपनी स्वतंत्रता प्राप्त की लेकिन पाकिस्तान 14 अगस्त 1947 (14 August 1947 Pakistan) को भारत से एक दिन पहले अपना स्वतंत्रता दिवस मनाता है, एक मुस्लिम बहुल राष्ट्र के रूप में जबकि भारत एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र के रूप में उभरा। मुहम्मद अली जिन्ना (Muhammad Ali Jinnah) मुस्लिम राष्ट्र पाकिस्तान के संस्थापक के रूप में उभरे। विभाजन के बाद बड़े पैमाने पर हिंसा, विस्थापन, दंगे और जानमाल का नुकसान हुआ। भारत के तत्कालीन वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन (Louis Mountbatten) ने भारतीय स्वतंत्रता कानून लागू होने के बाद भारत को सारी शक्ति लौटा दी। भारत की आजादी पाकिस्तान के निर्माण की कीमत पर आई थी। 1947 के भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम के अनुसार, दो स्वतंत्र देश बनेंगे- 15 अगस्त 1947 से भारत और पाकिस्तान।
भारत से एक दिन पहले पाकिस्तान आजादी का जश्न क्यों मनाता है?
पाकिस्तान भारत से एक दिन पहले स्वतंत्रता का जश्न मनाता है क्योंकि लॉर्ड माउंटबेटन ने 14 अगस्त, 1947 को अपनी शक्तियों को पाकिस्तान को हस्तांतरित कर दिया था, ताकि पाकिस्तानी अधिकारी 15 अगस्त, 1947 को नई दिल्ली में भारत के स्वतंत्रता कार्यक्रम में भाग ले सकें। 14 अगस्त 1947 को रमजान का 27वां दिन था और इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार इसे पाक दिवस माना जाता है। यह एक और कारण है कि पाकिस्तान 14 अगस्त को अपना स्वतंत्रता दिवस मनाता है।
पाकिस्तान का बंटवारा, बांग्लादेश का जन्म
कुछ लोगों का मानना है कि भारत का समय पाकिस्तान से 30 मिनट आगे है। भारत ने अपनी स्वतंत्रता 15 अगस्त, 1947 को 00:00 IST पर प्राप्त की। इस प्रकार, जब पाकिस्तान को स्वतंत्रता मिली, उस समय पाकिस्तान में 23:30 बज रहे थे। इस प्रकार, पाकिस्तान भारत की स्वतंत्रता से एक दिन पहले 14 अगस्त, 1947 को अपना स्वतंत्रता दिवस मनाता है। वर्ष 1971 में पूर्वी पाकिस्तान वर्तमान बांग्लादेश (Pakistan-Bangldesh Sepration) के रूप में स्वतंत्र हो गया जबकि पश्चिमी पाकिस्तान अब वर्तमान पाकिस्तान है।
बंटवारे से जुड़े रोचक तथ्य
11 सितंबर 1948 को जिन्ना उस वक्त लाइलाज बिमारी रही टीबी के खिलाफ अपनी लड़ाई हार गए, पाकिस्तान को आजादी मिलने के 13 महीने बाद उनका निधन हो गया। कई रिपोर्टों के अनुसार कहा जाता है कि पाकिस्तान में पहले दो स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त को मनाए गए थे लेकिन बाद में इसे एक दिन पहले ही मनाना शुरू कर दिया। वहीं पाकिस्तान ने अपने पहले डाक टिकट में वर्ष 1948 को अपने स्वतंत्रता दिवस के रूप में उल्लेख किया गया है। पाकिस्तान में प्रत्येक स्वतंत्रता दिवस पर 14 अगस्त को जिन्ना का एक रेडियो संदेश बजाया जाता है, लेकिन इसमें 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के रूप में उल्लेख किया गया है।
भारत-पाकिस्तान में हुआ बंटवारा
विभाजन के बाद भारत के डोमिनियन को भारत गणराज्य के रूप में जाना जाता है और पाकिस्तान के डोमिनियन को पाकिस्तान के इस्लामी गणराज्य के रूप में जाना जाता है। विभाजन ने धार्मिक आधार पर लगभग 10-12 मिलियन लोगों को विस्थापित किया, लाखों लोगों के जीवन की कीमत पर बड़े पैमाने पर हिंसा देखी गई। मुहम्मद अली जिन्ना मुस्लिम बहुल राष्ट्र पाकिस्तान के पहले प्रधान मंत्री बने, जबकि जवाहरलाल नेहरू एक धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र भारत के पहले प्रधान मंत्री बने।
ऐसे हुआ भारत और पाकिस्तान का भौगोलिक विभाजन
- भारत के तत्कालीन वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने निम्नलिखित बिंदुओं के आधार पर ब्रिटिश भारत को दो नए उपनिवेशों के बीच विभाजित करने के लिए '3 जून योजना' या 'माउंटबेटन योजना' बनाई थी:-
इस योजना के मुताबिक पंजाब और बंगाल विधानसभाओं में सिख, हिंदू और मुसलमान मिलकर विभाजन के लिए मतदान करेंगे। यदि किसी भी समूह का साधारण बहुमत विभाजन चाहता था, तो इन प्रांतों का विभाजन हो जाएगा। सिंध और बलूचिस्तान को अपना फैसला खुद करना था। वहीं उत्तर-पश्चिम सीमांत प्रांत और असम के सिलहट जिले के भाग्य का फैसला एक जनमत संग्रह द्वारा किया जाना था। भारत 15 अगस्त 1947 तक स्वतंत्र हो जाएगा और बंगाल की अलग स्वतंत्रता को खारिज कर दिया गया था।
विभाजन के मामले में एक सीमा आयोग का गठन किया जाना है। चूंकि रियासतें ब्रिटिश संपत्ति नहीं थीं, लेकिन 3 जून को माउंटबेटन ने रियासतों को स्वतंत्र रहने की सलाह दी और उन्हें दो नए प्रभुत्वों में से एक- भारत और पाकिस्तान में शामिल होने की सलाह दी। लॉर्ड माउंटबेटन मुस्लिम लीग (Muslim League) और कांग्रेस (Congress) की मांगों को पूरा करना चाहते थे और साथ ही अधिकतम संभव एकता बनाए रखना चाहते थे। इस प्रकार, माउंटबेटन के फार्मूले ने एक अलग देश के लिए मुस्लिम लीग की मांग और अधिकतम संभव एकता पर कांग्रेस की स्थिति को पूरा किया।

Harsha Singh
दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन की है। कॉलेज के दौरान ही कुछ वेबसाइट्स के लिए फ्रीलांस कंटेंट राइटर के तौर पर काम किया। अब बीते करीब एक साल से हरिभूमि के साथ सफर जारी है। पढ़ना, लिखना और नई चीजे एक्स्प्लोर करना पसंद है।