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Medicines के अलग Colours के पीछे ये है वजह, जानें कब शुरू हुआ इस्तेमाल

Coloured Medicines: यहां जानिये टेबलेट्स और कैप्सूल अलग-अलग रंग के क्यों होते हैं। पढ़िये दवाइयों के शेप और साइज कब से बदले थे।

Why tablets and capsules are of different colors
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क्यों टेबलेट्स और कैप्सूल अलग रंग के होते हैं।

Know Why Medicines Are Coloured: दवाइयां हम सभी की जिंदगियों का एक अहम हिस्सा होती हैं। बुखार से लेकर किसी बड़ी और गंभीर बीमारियों तक सभी का इलाज दवाइयों (Medicines) से ही संभव है। ऐसे में क्या आपने कभी सोचा है कि दवाइयां अलग-अलग कलर्स, शेप और साइज की क्यों होती हैं। क्या इनका बीमारियों से कुछ लेना-देना होता है। आज के इस आर्टिकल में हम आपको बताएंगे की, टेबलेट्स से लेकर कैप्सूल तक सभी अलग रंग के क्यों होते हैं, इसके पीछे की असल में वजह क्या है।

दवाइयों के अलग रंगों के पीछे होती है ये वजह

ऐसा माना जाता है कि मिस्र की सभ्यता (Egyptian Civilization) के दौरान दवाओं का टेबलेट्स के रूप में इस्तेमाल किया जाता था। उस समय में दवाओं को मिट्टी और ब्रेड आदि को मिलाकर बनाया जाता था। उस समय सभी दवाइयां एक जैसे रंग की हुआ करती थीं, लेकिन 60 का दशक आते-आते इन दवाओं के रंग में बदलाव हुए। बता दें कि साल 1975 में सॉफ्टजेल कैपसूल्‍स को बनाने की तकनीक आई थी, जिसके बाद से दवाओं के साइज से लेकर उनके रंगों तक कई बदलाव किये गए। विशेषज्ञों की मानें, तो दवाओं के रंग अलग-अलग होने के कई कारण हो सकते हैं। जिसमें सबसे अहम कारण दवाओं के निर्माण में इस्तेमाल होने वाले केमिकल और ड्रग्स हैं।

जैसा की हम सभी जानते हैं, दवाओं को बनाने में केमिकल और ड्रग्स (Chemicals And Drugs) का इस्तेमाल किया जाता है। इसी बेस पर इन दवाओं के रंग तय किये जाते हैं। उदाहरण के साथ समझें, तो जिन दवाओं को बनाने में कार्बन का इस्तेमाल होता है, उनका रंग काला होता है। अगर इस बारे में आपको अच्छी तरह से जानकारी हो, तो आप दवाओं के रंग देखकर उनमें इस्तेमाल हुए ड्रग का पता लगा सकते हैं। जानकारी के लिए बता दें कि आजकल के समय में दवाओं को बनाने के लिए लगभग 80 हजार से ज्यादा कलर कॉम्बिनेशन का इस्तेमाल किया जाता है।

कैप्सूल के रंगों के पीछे ये है वजह

आपने कैप्सूल का सेवन जरूर किया होगा, आपने कैप्सूल में नोटिस किया होगा कि यह ज्यादातर दो रंगों के होते हैं। इन दो रंगों को लेकर कई कारण बताये जाते हैं। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, कैप्सूल को कैप और कंटेनर को मिलाकर बनाया जाता है। कैप और कंटेनर के बीच में अंतर को बरकरार रखने के लिए दो अलग रंगों का इस्तेमाल करते हैं। कैप का इस्तेमाल कैप्सूल के कंटेनर वाले हिस्से को ढकने के लिए किया जाता है। कैप्सूल में 2 अलग रंग होने की सबसे बड़ी वजह यही होती है, इसके अलावा दवाइयों को कई अलग कंपनियां बनाती हैं। ऐसे में वह डिफ्रेंस करने के लिए भी टेबलेट्स और कैप्सूल (Medicines) के रंगों को अलग कर देते हैं।

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Harsha Singh

Harsha Singh

दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन की है। कॉलेज के दौरान ही कुछ वेबसाइट्स के लिए फ्रीलांस कंटेंट राइटर के तौर पर काम किया। अब बीते करीब एक साल से हरिभूमि के साथ सफर जारी है। पढ़ना, लिखना और नई चीजे एक्स्प्लोर करना पसंद है।


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