15 मिनट में दिमाग तेज करने का लिए ये है सिद्ध ज्ञान-मुद्रा योग, जानिए कैसे और कब करें
ज्ञान-मुद्रा चिकित्सा में अंगूठे को अग्नि का और तर्जनी को वायु तत्व का प्रतिनिधि माना गया है। जैसे हवा आग को बढ़ाती है, वैसे ही तर्जनी यानी मन और अंगूठे यानी बुद्धि के मेल से मस्तिष्क के ज्ञान-तंतु सक्रिय होते हैं।

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कुमार राधारमण, भारतीय योग एवं प्रबंधन संस्थान, द�Created On: 21 Jun 2018 4:07 AM GMT
21 जून को देश और दुनिया में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2018 मनाया जाएगा। ज्ञान-मुद्रा चिकित्सा में अंगूठे को अग्नि का और तर्जनी को वायु तत्व का प्रतिनिधि माना गया है। जैसे हवा आग को बढ़ाती है, वैसे ही तर्जनी यानी मन और अंगूठे यानी बुद्धि के मेल से मस्तिष्क के ज्ञान-तंतु सक्रिय होते हैं।
कैसा भी मंद-बुद्धि बच्चा हो, ज्ञान-मुद्रा से उसकी मेधा तथा स्मरण-शक्ति बढ़ने लगती है। ज्ञान मुद्रा से नकारात्मक विचार दूर होते हैं, बुद्धि का विकास होता है तथा एकाग्रता बढ़ती है।
यह मुद्रा मस्तिष्क में स्थित पिट्यूटरी ग्रंथि और पीनियल ग्रंथि को प्रभावित करती है, जिससे तनाव संबंधी रोग, जैसे- उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, सिर दर्द, माइग्रेन, मधुमेह आदि दूर होते हैं। यदि हार्ट बीट नॉर्मल से कम हो तो इस मुद्रा से बहुत लाभ होगा। बेचैनी, पागलपन, उन्माद, चिड़चिड़ापन, क्रोध और अवसाद को नियंत्रित करने में भी यह मुद्रा कारगर है। बेहोशी और अनिद्रा भी इस मुद्रा से दूर होती है।
यह मुद्रा छठी इंद्रिय को सक्रिय करती है, इसलिए आध्यात्मिक उन्नति के लिए यह मुद्रा सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। काम वासना को नियंत्रित करने और नशामुक्ति के लिए भी यह मुद्रा बहुत उपयोगी है। गहरे श्वांस के साथ इसका अभ्यास करने से आभा बढ़ती है और शांति का अनुभव होता है। वृद्धों को अल्जाइमर जैसे रोग से बचने के लिए इसका रोजाना अभ्यास करना चाहिए।
कैसे करें : अंगूठे और तर्जनी के अग्र भाग को मिलाएं। शेष अंगुलियों को सीधा रखें। इस अवस्था में शांत बैठ जाएं।
कितनी देरः धीमी-लंबी-गहरी सांस के साथ 15-15 मिनट पूरे दिन में चार बार कर सकते हैं। इस तरह आपको सकारात्मक परिणाम मिलेगा।
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