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हाई ब्‍लड प्रेशर को ना करें नजरअंदाज, हो सकती है ये गंभीर बीमारी

हाई ब्‍लड प्रेशर के लक्षणों को समझना मुश्‍किल होता है, क्‍योंकि यह तभी उभर कर पूरी तरह सामने आते हैं जब स्‍थिति गंभीर हो जाती है। मगर आप कुछ बातों के आधार पर अपनी सेहत का ध्‍यान रख सकते हैं।

हाई ब्‍लड प्रेशर को ना करें नजरअंदाज, हो सकती है ये गंभीर बीमारी
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हाई ब्‍लड प्रेशर के लक्षणों को समझना मुश्‍किल होता है, क्‍योंकि यह तभी उभर कर पूरी तरह सामने आते हैं जब स्‍थिति गंभीर हो जाती है। मगर आप कुछ बातों के आधार पर अपनी सेहत का ध्‍यान रख सकते हैं। यह संकेत आपको बता देंगे कि आने वाले समय में आपको इस गंभीर बीमारी का खतरा तो नहीं है।

ब्रिटेन में एनएचएस के अनुमान के मुताबिक 25 फीसदी वयस्‍कों में हाई बीपी की आशंका होती है। इसके लिए आपका खानपान आपका आरामतलब जीवनशैली जिम्‍मेदार हो सकती है।

हाई बीपी को हाईपरटेंशन भी कहते हैं। इसकी वजह से धमनियों पर अधिक दबाव पड़ता है, जिससे हार्ट अटैक और स्‍ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। आइए जानते हैं इसके 4 प्रमुख कारण

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सिरदर्द

आज की जिंदगी में सिरदर्द बहुत आम समस्‍या है। यह ठंड, तनाव और डिहाईड्रेशन की वजह से भी हो सकता है। मगर बार-बार उठने वाला गंभीर सिरदर्द हाईपरटेंशन का शुरुआती लक्षण हो सकती है। पानी पीने और आराम करने से सिरदर्द में राहत मिलती है। अहम बात यह है कि बीपी हाई हो या लो, दोनों में ही सिरदर्द होता है। जितना गंभीर हाईपरटेंशन होगा, उतना ही गंभीर सिरदर्द भी होगा। खतरनाक स्‍तर का हाईपरटेंशन होने से हार्ट स्‍ट्रोक भी हो सकता है।

मितली आना

ब्‍लड प्रेशन में अचानक बदलाव आने से मितली की शिकायत हो सकती है। दरअसल, ब्‍लड प्रेशर में बदलाव का असर पाचन तंत्र पर भी पड़ता है। कुछ लोगों को लगता है कि उनका पेट खराब हो गया है। बीपी में उतार-चढ़ाव से यह समस्‍या हो सकती है, जिससे मितली या उल्‍टी आ सकती है।

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पसीना आना

तनाव से ब्‍लड प्रेशर बढ़ता है। इससे पैनिक अटैक या एंजाइटी भी हो सकती है। इस तरह के हाई बीपी में काफी ज्‍यादा पसीना आता है या नसों में झनझनाहट महसूस होने लगती है। यह लक्षण शरीर में एडरिनेलाइन रसायन के स्‍तर में तेज उतार-चढ़ाव की वजह से हो सकता है।

सांस घुटना

सांस लेने में परेशानी महसूस होना भी ब्‍लड प्रेशर बढ़ने का संकेत है। यह कार्डियोवास्‍कुलर सिस्‍टम में उतार-चढ़ाव के कारण हो सकता है। दिल शरीर में खून का संचार करने के लिए जिम्‍मेदार होता है। इसके जरिये फेफड़ों में पहुंचने वाले खून की सफाई भी होती है। जब बीपी बढ़ जाता है, यह सर्कुलेशन गड़बड़ हो जात है। इसी की वजह से सांस लेने में तकलीफ होने लगती है।

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