अब तक नहीं बन पाया इस बीमारी का टीका, नैरो वायरस से फैलती है बीमारी
यह इंसानों में सीसीएचएफ टिक-बोर्न वायरस यानी नैरोवायरस से फैलती है, जो कि बुनियाविरिडे परिवार का एक वायरस है।

नई दिल्ली.क्रीमियन कांगो हमेरेजिक फीवर गंभीर और जानलेवा बीमारी है। यह इंसानों में सीसीएचएफ टिक-बोर्न वायरस यानी नैरोवायरस से फैलती है, जो कि बुनियाविरिडे परिवार का एक वायरस है। अफ्रीका, एशिया, ईस्टर्न यूरोप और मिडल ईस्ट में इसका संक्रमण है। डॉक्टर्स के अनुसार पालतू जानवरों में भी इसका लक्षण पाया गया है। प्रभावित इलाकों के आस-पास के क्षेत्रों के पालतू जानवरों के भीतर एंटी-सीसीएचएफ वायरस इम्युनोग्लोबुलिन जी (आईजीजी) एंटीबॉडीज पाए गए हैं। इससे यह पता लगता है कि इस बीमारी के वायरस का असर पालतू जानवरों पर है।
ये भी पढ़ें:अगर आप रहना चाहते हैं सर्दियों में फिट और एनर्जेटिक, तो करें ये EXERCISE
बता दें सीएचएफ की पुष्टि पहली बार वर्ष 2011 में गुजरात राज्य में एक हॉस्पिटल में हुई थी। इसके बाद वर्ष 2013 में गुजरात के ही अमरेली जिले के करयाना गांव में इस बीमारी का असर दिखा था। हाल में एक नर्स की मृत्यु अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में इलाज के दौरान हुई।
ऐसे होता है इंसानों में प्रसार
विशेषज्ञों के अनुसार इंसानों तक इसका प्रसार चिचड़ी के काटने से, सीसीएचएफ के गंभीर संक्रमण वाले मरीज के संपर्क में आने अथवा संक्रमित जानवरों के रक्त अथवा उत्तकों के संपर्क में आने से होता है।
ये भी पढ़ें:जिंदगी भर दांतों के दर्द से मुक्त रहने के रहस्य, जो देंगे आपका उम्र भर साथ
वहीं इंसानों से इंसानों में इसका प्रसार संक्रमित व्यक्ति के रक्त, शरीर के स्राव, अंगों आदि के करीब से संपर्क में आने से फैलता है। इस बीमारी के चार चरण होते हैं। इन्क्युबेशन, प्री-हेमरेजिक, हेमरेजिक व कॉन्वल्सीन।
और पढ़े: Haryana News | Chhattisgarh News | MP News | Aaj Ka Rashifal | Jokes | Haryana Video News | Haryana News App