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लुका छिपी करती नजर आएगी यूपी पुलिस, माफियाओं को कहेगी ''धप्पा''

अमिताभ बच्चन और हेमा मालिनी स्टारर फिल्म ‘बागबान’ की राइटर डॉ. अचला नागर के बेटे सिद्धार्थ नागर भी टीवी सीरियल के जाने-माने राइटर, डायरेक्टर हैं। उन्होंने कई सीरियल दूरदर्शन के लिए बनाए हैं।

लुका छिपी करती नजर आएगी यूपी पुलिस, माफियाओं को कहेगी धप्पा
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अमिताभ बच्चन और हेमा मालिनी स्टारर फिल्म ‘बागबान’ की राइटर डॉ. अचला नागर के बेटे सिद्धार्थ नागर भी टीवी सीरियल के जाने-माने राइटर, डायरेक्टर हैं। उन्होंने कई सीरियल दूरदर्शन के लिए बनाए हैं।

अब सिद्धार्थ बतौर राइटर, डायरेक्टर फिल्म ‘धप्पा’ लेकर आए हैं। इसमें बृजेंद्र काला, श्रेष्ठ कुमार, दीपराज राणा, अमित बहल और अयूब खान अहम किरदार निभा रहे हैं। अपनी फिल्म से जुड़ी बातें विस्तार से बता रहे हैं डायरेक्टर सिद्धार्थ नागर।

सिंबोलिक है टाइटल

बचपन में हम सब लुक्का-छिपी का खेल खेलते हैं, उसमें एक नियम धप्पा का होता है। खेल में जब कोई आपको धप्पा बोल देता है तो इसका मतलब यह होता है कि आपका वक़्त खत्म हो गया है और आप गेम से आउट हो गए हैं। हमारी फिल्म ‘धप्पा’ अपराधी और पुलिस के बीच आंख-मिचौली का खेल है। इसे आप एक सिंबोलिक टाइटल भी कह सकते हैं।

यूपी के क्राइम का बैकड्रॉप

फिल्म ‘धप्पा’ की कहानी पश्चिमी उत्तर प्रदेश के माफिया पर बेस्ड है। अब तक माफिया पर कई बॉलीवुड फिल्में बन चुकी हैं लेकिन इसमें मैंने कहानी को अलग ढंग से पेश किया है। वहां के यूथ के हाथों में जब किताब और कलम होनी चाहिए तो उस उम्र में वे कट्टे और तमंचे जैसे हथियार लेकर खुलेआम घूमते हैं। बेसिकली कहानी इन युवकों पर है। इस फिल्म के माध्यम से हम कहना चाहते हैं कि आज युवाओं को तमंचों की नहीं, कलम की जरूरत है। वे पढ़ने-लिखने की बजाय अपने हाथ में तमंचे ले लेते हैं लेकिन इसका अंत धप्पा के रूप में होता है यानी पुलिस की गोली से होता है। मैं मथुरा और लखनऊ में रहा हूं, मैंने वहां इस तरह के किरदार देखे हैं। युवा भटक जाते हैं और अपराध की दुनिया में चले जाते हैं, उनका अंत भयानक होता है। लेकिन घर के जवान लड़के की मौत के बाद परिवार वालों को कितनी तकलीफों का सामना करना पड़ता है, हमने उस पहलू को भी उजागर करने की कोशिश की है।

हमारी फिल्म का लीड कैरेक्टर जर्नलिस्ट बनना चाहता था लेकिन हालात उसे अपराध की दुनिया में पहुंचा देते हैं। वह अपनी मां को बहुत प्यार करता है। मां के बारे में कोई गलत बात वह किसी से सुन नहीं सकता। एक बार कोई उसकी मां के बारे में कुछ कह देता है, वह अपने गुस्से पर काबू नहीं रख पाता और अपराध कर बैठता है।

फिल्म की कास्टिंग

फिल्म में श्रेष्ठ कुमार लीड रोल में हैं, उनको मैंने अपने एक सीरियल में ब्रेक दिया था, इसके बाद उन्होंने बालाजी टेलीफिल्म्स के सीरियल ‘कितनी मोहब्बत है’ और ‘बैरी पिया’ में काम किया था। मेरे डायरेक्शन में उन्होंने कई सीरियल किए हैं। इस फिल्म में अयूब खान एक बाहुबली के किरदार में हैं। अयूब और श्रेष्ठ के बीच फिल्म में टकराव दिखाया गया है। एक्ट्रेस वर्षा माणिकचंद की यह डेब्यू फिल्म है। बृजेंद्र काला ‘धप्पा’ में नेगेटिव रोल कर रहे हैं।

रियल लोकेशंस पर शूटिंग

मैं अपने दर्शकों को धोखा नहीं देना चाहता, यही वजह है कि फिल्म की शूटिंग हमने उत्तर प्रदेश की रियल लोकेशन पर की है। हम चाहते तो मुंबई में इसका सेट बना कर शूट कर सकते थे लेकिन मुझे रियल लोकेशंस पर शूटिंग करने में मजा आया। इस फिल्म की यूपी में शूटिंग करने में हमें कोई दिक्कत नहीं हुई। स्थानीय लोगों ने हमारी बहुत मदद की।

सिचुएशनल म्यूजिक

फिल्म ‘धप्पा’ में पांच गाने हैं। मेरे 25-30 धारावाहिकों में संगीत दे चुके विवेक बख्शी इसके संगीतकार हैं। सभी गाने सिचुएशनल हैं, जिन्हें हमने खूबसूरती से फिल्माया है। फिल्म में एक आइटम सॉन्ग भी है लेकिन उसके बोल में डबल मीनिंग नहीं है, पिक्चराइजेशन में भी वल्गैरिटी नहीं है।

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