फतेहाबाद में फसल खराबे के मुआवजे में गोलमाल: पीड़ित किसान के नाम के सामने चहेतों का बैंक खाता लिख मुआवजा हड़पा, पांच महीने से न्याय का इंतजार
हरियाणा के फतेहाबाद में फसल खराबे के मुआवजे में गोलमाल का मामला सामने आने के बाद अब और गांवों के किसानों ने भी गड़बड़ी की शिकायत की है। इस पर पांच माह से जांच चल रही है, लेकिन एक्शन ठंडे बस्ते में पड़ा है, जबकि एक गांव में फर्जीवाड़े पर एफआईआर हो चुकी है।
फतेहाबाद में फसल खराबे के मुआवजे में गोलमाल : हरियाणा के फतेहाबाद जिले के गांव बड़ोपल में वर्ष 2021 में बरसात से बर्बाद हुई फसलों के मुआवजे में धांधली का केस उजागर हो चुका है। एफआईआर दर्ज होने के बाद अब और भी गांवों से ऐसी शिकायते सामने आने लगी हैं। बड़ोपल के नजदीकी गांव चिंदड़ व खाराखेड़ी के कई किसानों ने इसकी शिकायत उपायुक्त और पुलिस अधीक्षक को दी है। प्रशासन जांच के नाम पर पांच महीने से इन किसानों को चक्कर कटवा रहा है। अब उपायुक्त मनदीप कौर ने रिमाइंडर भेजकर एसडीएम से 15 दिन में रिपोर्ट मांगी है।
पांच महीने पहले भेजी थी मुआवजे में गड़बड़ी की शिकायत
बता दें कि करीब पांच महीने पहले जिला प्रशासन से लेकर वित्त आयुक्त को भेजी गई शिकायत में चिंदड़ व खाराखेड़ी के किसानों ने अपनी फसल खराबे के सबूतों के साथ मुआवजा वितरण में हुए गोलमाल की जानकारी दी थी। किसानों ने बताया था कि किन किसानों को मुआवजा दिया जाना चाहिए था और किसे यह दिया गया है। इन किसानों ने आरोप लगाया था कि पटवारी, कानूनगो और तत्कालीन तहसीलदारों ने मिलीभगत करके पूरा घपले को अंजाम दिया। पात्र किसान को मुआवजे से वंचित रख उनके नाम के आगे अन्य लोगों के बैंक खाते लिखकर मुआवजा राशि डकार ली गई। इतना ही नहीं, मुआवजा सूची बनाने वालों ने अपनी पत्नी, बेटी, बेटे के बैंक खाता नंबर डालकर मुआवजे की राशि ट्रांसफर करवा दी। चिंदड़ के किसानों ने अपनी शिकायत में लिखा है कि यह एक बहुत बड़ा घोटाला है। अगर इसकी सही जांच की जाए तो राशि करोड़ों में पहुंच सकती है। उन्होंने यह भी बताया कि किस तरह पटवारी और कानूनगो ने साज-बाज होकर अपने भूमिहीन रिश्तेदारों व चहेतों के खाते में मुआवजा राशि डलवा दी और प्रशासन को इसकी भनक तक नहीं लगने दी।
बड़ोपल के मामले में 27 लोगों पर हो चुकी है FIR
गौरतलब है कि बड़ोपल में भी इसी प्रकार का मामला सामने आया था। इसमें सीएम फ्लाइंग की टीम की शिकायत पर तहसीलदार, नायब तहसीलदार व कानूनगो सहित 27 लोगों पर एफआईआर भी दर्ज की गई है।
अपने चहेतों के खाते में ट्रांसफर की मुआवजा राशि
पीड़ित किसानों की ओर से दी गई शिकायत में आरोप लगाया गया है कि गांव चिंदड़ की मुआवजा सूची में क्रमांक 116 पर दर्ज प्रियंका पुत्री अजीत पटवारी के बैंक खाते में 46 हजार 173 रुपये की मुआवजा राशि जारी की गई, जबकि प्रियंका का नाम गांव चिन्दड़ की एपीआर में नहीं है और ना ही इसके नाम कोई जमीन है। रामेश्वर पुत्र ख्याली के सामने लिखे खाता नंबर में 46 हजार 906 रुपये मुआवजा दिया गया जबकि रामेश्वर पुत्र ख्याली राम का नाम एपीआर में नहीं है। मोनिका देवी के खाते में 46 हजार 906 रुपये मुआवजा जारी हुआ, लेकिन मोनिका देवी का नाम एपीआर में नहीं है। गुरदियाल के खाते में 47 हजार 500 रुपये मुआवजा राशि जारी की गई जबकि गुरदियाल को 957 रुपये ही मुआवजा मिलना था। केहर सिंह के खाते में 46 हजार 273 रुपये मुआवजा राशि जारी की गई जबकि केहर सिंह का नाम एपीआर में दर्ज नहीं है। पृथ्वी सिंह पुत्र मनीराम के खाते में 47 हजार 500 रुपये मुआवजा राशि जारी की गई जबकि पृथ्वी सिंह का नाम भी एपीआर में नहीं है। इसी प्रकार गांव खाराखेड़ी के मुआवजा वितरण सूची में पटवारी अजीत की पत्नी, पुत्री व पुत्र, पटवारी के निजी तौर पर रखे सहायक महाबीर, उसकी पत्नी व पुत्र रामनिवास को फर्जी किसान दिखाकर उनके बैंक खाते में कथित रूप से मुआवजा राशि डाली गई। इतना ही नहीं महाबीर के खाते में तो तीन बार अलग-अलग तारीख को मुआवजा राशि डाली गई। इसके अलावा बीमित किसानों के खातों में मुआवजा राशि ट्रांसफर करने के मामले भी उजागर हुए हैं।