निधन पर पीएम मोदी ने जताया दुख: ब्रिटेन के अमीर भारतीयों में थे लॉर्ड स्वराज पॉल, भिवानी से था रिश्ता
पीएम मोदी ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में लिखा कि स्वराज पॉल का ब्रिटेन में उद्योग, परोपकार और जनसेवा के लिए दिया गया योगदान हमेशा याद रखा जाएगा। उन्होंने भारत के साथ संबंधों को मजबूत करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ NRI उद्योगपति लॉर्ड स्वराज पॉल। (फाइल फोटो)।
भारतीय मूल के जाने-माने उद्योगपति और परोपकारी लॉर्ड स्वराज पॉल का 94 साल की उम्र में ब्रिटेन में निधन हो गया है। उनका जन्म भले ही अविभाजित पंजाब में हुआ था लेकिन उनके जीवन की जड़ें और दिल का एक बड़ा हिस्सा हरियाणा के भिवानी जिले के गांव चांग से जुड़ा रहा। ब्रिटेन में सबसे अमीर और सबसे प्रभावशाली ब्रिटिश-भारतीयों में शुमार होने के बावजूद उन्होंने कभी भी अपनी भारतीय जड़ों और अपने पैतृक गांव के प्रति अपना प्रेम नहीं छोड़ा। उनके निधन की खबर से उनके गांव चांग में शोक की लहर फैल गई है।
एक सफल व्यवसायी और सच्चे परोपकारी भी थे
लॉर्ड स्वराज पॉल एक सफल व्यवसायी ही नहीं, बल्कि एक सच्चे परोपकारी भी थे। 1960 के दशक में वे अपनी चार साल की बेटी अंबिका के इलाज के लिए ब्रिटेन गए थे। हालांकि, उनकी बेटी को बचाया नहीं जा सका, लेकिन इस दुखद घटना ने उन्हें मानवता की सेवा के लिए प्रेरित किया। उन्होंने अपनी बेटी के नाम पर अंबिका पॉल फाउंडेशन की स्थापना की, जिसके माध्यम से उन्होंने बच्चों और युवाओं के स्वास्थ्य और शिक्षा के लिए बड़े पैमाने पर दान किया। उन्होंने अपने गांव चांग के स्कूल भवन के निर्माण के लिए भी मदद की थी, जो उनके गांव से उनके गहरे भावनात्मक जुड़ाव को दर्शाता है।
उद्योग जगत में बड़ा नाम, सबसे प्रभावशाली ब्रिटिश सांसद भी रहे
लॉर्ड स्वराज पॉल ब्रिटेन के बड़े उद्यमियों में से एक थे। उनकी कंपनी Caparo Group ब्रिटेन की प्रमुख कंपनियों में से एक थी। वह भारतीय मूल के सबसे प्रभावशाली ब्रिटिश सांसद भी रहे हैं। उनकी सफलता का अंदाजा इस बात से लगा सकते हैं कि Sunday Times Rich List के मुताबिक वह इस साल ब्रिटेन के 81वें सबसे अमीर व्यक्ति थे। और 2008 में Eastern Eye की सूची में ब्रिटेन के सबसे अमीर एशियाई रहे थे।
उनके योगदान को देखकर उन्हें 1996 में ब्रिटेन की संसद के ऊपरी सदन, हाउस ऑफ लॉर्ड्स, में "लाइफ पीयर" का सम्मान दिया। यह सम्मान ब्रिटेन के राजा या रानी की ओर से प्रधानमंत्री की सिफारिश पर मिलता है। इसके बाद उन्हें "लॉर्ड पॉल" या "बैरोन पॉल" के नाम से जाना जाने लगा।
भारत से गहरा नाता और शैक्षणिक योगदान
लॉर्ड स्वराज पॉल का परिवार भारत में भी शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़ा नाम है। देश भर में स्थापित एपीजे (Apeejay) स्कूलों और कॉलेजों की स्थापना पॉल परिवार की ही देन है। एपीजे एजुकेशन सोसाइटी का गठन 1967 में डॉ. सत्य पॉल ने किया था, जो स्वराज पॉल के पिता थे और एक गांधीवादी स्वतंत्रता सेनानी थे। हरियाणा के चरखी-दादरी (जो पहले भिवानी का हिस्सा था), फरीदाबाद, गुरुग्राम और सोहना में भी एपीजे शिक्षण संस्थान मौजूद हैं, जो शिक्षा के प्रति उनके परिवार की प्रतिबद्धता को दर्शाते हैं।
लॉर्ड स्वराज पॉल अपने गांव को कभी नहीं भूले। भिवानी के गांव चांग के सरपंच प्रतिनिधि प्रदीप कुमार ने बताया कि वे हमेशा गांव के विकास में मदद करते रहे। एक साल पहले उनके पोते आयुष पॉल ने गांव का दौरा किया था और ग्रामीणों के साथ अपने दादा से जुड़ी बातें पूछी थीं। इस दौरे के दौरान, उन्होंने गांव के राजकीय सीनियर सेकेंडरी कन्या स्कूल के भवन निर्माण के लिए 3 करोड़ रुपये दान करने की घोषणा भी की थी, जो शिक्षा निदेशालय को दिए गए थे। यह दिखाता है कि उनकी विरासत और परोपकार की भावना उनकी अगली पीढ़ी में भी जीवित है।
पीएम मोदी ने जताया दुख
लॉर्ड स्वराज पॉल के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी गहरा दुख व्यक्त किया। उन्होंने सोशल मीडिया पर पॉल के साथ अपनी तस्वीर साझा कर लिखा श्री स्वराज पॉल जी के निधन से बहुत दुःखी हूं। ब्रिटेन में उद्योग, परोपकार और जनसेवा में उनके योगदान और भारत के साथ घनिष्ठ संबंधों के लिए अटूट समर्थन को याद रखा जाएगा। उनके साथ हुई कई मुलाकातें याद आती हैं। प्रधानमंत्री के इस संदेश से पता चलता है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी उनका कितना सम्मान था।
लॉर्ड स्वराज पॉल का जीवन एक प्रेरणा है। वे गरीबी से उठे, ब्रिटेन में एक बड़ा साम्राज्य खड़ा किया, और फिर भी अपनी जड़ों से जुड़े रहे। उनका परोपकारी स्वभाव और शिक्षा के प्रति उनकी प्रतिबद्धता उन्हें हमेशा याद रखने लायक बनाती है। उनके निधन से न केवल ब्रिटेन और भारत, बल्कि पूरे विश्व ने एक महान व्यक्तित्व खो दिया है। उनके गांव चांग के लोग उन्हें एक नायक और अपने गांव के बेटे के रूप में हमेशा याद रखेंगे।