CBI जांच पर सवाल: भिवानी की मनीषा को 112 दिन बाद भी न्याय नहीं, धरने पर बैठा परिवार
CBI जांच की धीमी प्रगति से असंतुष्ट मनीषा के परिवार और ग्रामीणों ने गांव ढाणी लक्ष्मण में धरना शुरू कर दिया है। मनीषा के पिता ने CBI अधिकारियों पर टालमटोल का आरोप लगाया है।
भिवानी के गांव ढाणी लक्ष्मण में धरना देते ग्रामीण।
हरियाणा के भिवानी जिले के गांव ढाणी लक्ष्मण की रहने वाली शिक्षिका मनीषा की मौत का मामला 112 दिन बाद भी एक अनसुलझी पहेली बना हुआ है, 11 अगस्त को लापता हुई मनीषा का शव 13 अगस्त को गांव सिंघानी के खेतों में मिला था। परिवार ने इसे हत्या करार दिया, जबकि पुलिस ने इसे आत्महत्या बताया था। लगातार बढ़ते विरोध और जन-आंदोलन के बाद मामले की गंभीरता को देखते हुए सरकार ने इसकी जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को सौंप दी थी।
सीबीआई की टीम को जांच संभालते हुए 89 दिन हो चुके हैं और इस दौरान टीम 4 बार भिवानी आकर गहन छानबीन कर चुकी है। उन्होंने परिवार से पूछताछ की, घटनास्थल का मुआयना किया और गांव में जाकर भी जांच की, लेकिन अभी तक कोई ठोस खुलासा नहीं हुआ है और न ही कोई गिरफ्तारी हुई है। इस लंबी चुप्पी और धीमी प्रगति से असंतुष्ट होकर मनीषा के परिजन और ग्रामीणों ने आज (30 नवंबर) से गांव ढाणी लक्ष्मण में धरना शुरू कर दिया है।
89 दिन चली CBI की जांच
मनीषा की मौत के मामले में CBI ने 3 सितंबर को जांच शुरू की थी। लगभग तीन महीने बीत जाने के बावजूद इस केस में कोई आधिकारिक जानकारी साझा नहीं की गई है, जिससे पीड़ित परिवार का धैर्य जवाब दे गया है।
मनीषा के पिता संजय ने दुख व्यक्त कर बताया कि दिल्ली से लौटने के बाद उन्होंने सीबीआई टीम को घर बुलाकर जांच की प्रगति जाननी चाही थी। अधिकारियों ने आश्वासन दिया कि जल्द ही खुलासा किया जाएगा। शुक्रवार को भी जब सीबीआई टीम गांव सिंघानी पहुंची तो अधिकारियों ने जांच जारी होने की बात कहकर टाल दिया। परिवार का कहना है कि बार-बार पूछने पर भी अधिकारी स्पष्ट जवाब देने से बच रहे हैं, जिससे उनकी निराशा बढ़ती जा रही है।
परिवार की तीन मुख्य मांगें
धरने पर बैठे मनीषा के परिवार और ग्रामीणों ने सीबीआई जांच को लेकर तीन प्रमुख मांगें उठाई हैं, ताकि उनकी बेटी को जल्द से जल्द न्याय मिल सके।
1. तेज हो CBI जांच : जांच की गति बढ़ाई जाए, ताकि यह मामला और अधिक समय तक न खींचे।
2. जल्द हो गिरफ्तारी : मामले में शामिल आरोपियों की पहचान कर उनकी तत्काल गिरफ्तारी की जाए।
3. जांच की प्रगति बताएं : सीबीआई स्पष्ट रूप से बताए कि उनकी जांच किस मोड़ तक पहुंची है और क्या सबूत मिले हैं।
परिवार और ग्रामीण सीबीआई की ओर से कोई आधिकारिक जानकारी न मिलने से चिंतित हैं। उनका मानना है कि इतनी लंबी जांच के बाद भी चुप्पी संदेह पैदा करती है।
धरने में पहुंचे नेता
गांव में शुरू हुए इस एक दिवसीय सांकेतिक धरने में मनीषा का परिवार और ग्रामीण बड़ी संख्या में शामिल हैं। परिवार ने 11 नवंबर को गांव में पंचायत बुलाकर लोगों से इस न्याय की लड़ाई में समर्थन मांगा था। आज के धरने में किसान नेता सुरेश कौथ और हरियाणा बैरागी समाज के राज्य प्रधान शिवकुमार पंवार समेत कई अन्य नेताओं के पहुंचने की संभावना है। यह दिखाता है कि मनीषा के लिए न्याय की यह मांग अब केवल परिवार तक सीमित नहीं रही है, बल्कि इसे व्यापक सामाजिक और राजनीतिक समर्थन मिल रहा है। सभी की एक ही मांग है कि एक युवा शिक्षिका की रहस्यमय मौत का सच जल्द सामने आए।
शुरू में पुलिस ने हत्या का केस दर्ज किया था
यह पूरा मामला 11 अगस्त को तब शुरू हुआ जब मनीषा प्ले स्कूल में अपनी ड्यूटी पर जाने के बाद नर्सिंग कॉलेज में एडमिशन के लिए निकलने की बात कहकर घर नहीं लौटी। दो दिन बाद, 13 अगस्त को उसका शव गांव सिंघानी के खेतों में मिला।
शुरुआत में, पुलिस ने हत्या का केस दर्ज किया था, लेकिन 18 अगस्त को अचानक इसे आत्महत्या बता दिया गया। इस बदलाव ने लोगों के विरोध को बढ़ा दिया। बढ़ते आंदोलन के दबाव में प्रशासन को झुकना पड़ा। मनीषा का शव न्याय की मांग को लेकर सड़क पर रखा रहा और अंततः लोगों के बढ़ते रोष के कारण मनीषा का शव तीसरी बार दिल्ली एम्स में पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया और मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी गई। अब, परिवार को उम्मीद है कि देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी सीबीआई इस जटिल पहेली को सुलझाएगी और मनीषा को न्याय दिलाएगी।
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