Navratri Special: देश की पहली महिला ट्रक ड्राइवर योगिता से हरिभूमि की खास बातचीत; पढ़ें संघर्ष और हौसले की कहानी

First Female Truck Driver Yogita Raghuvanshi
X
देश की पहली महिला ट्रक ड्राइवर योगिता से हरिभूमि की खास बातचीत
Navratri Special: भारत की पहली महिला ट्रक ड्राइवर योगिता रघुवंशी से हरिभूमि ने खास बातचीत की है। योगिता ने बताया कि मुझे लगता है कि ऐसा कुछ भी नहीं है जो महिलाएं न कर सकें।

Navratri Special: मधुरिमा राजपाल, भोपाल। मुझे लगता है कि ऐसा कुछ भी नहीं है जो महिलाएं न कर सकें, जब साल 2001 मेरे पति की मृत्यु हुई तो उस वक्त मेरे सामने अंधकार छा गया था, लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी और अपने पति के साइड बिजनेस को अपनी आजीविका आधार बनाया। यह कहना है भारत की पहली महिला ट्रक ड्राइवर योगिता रघुवंशी का, जिन्होंने साल 2006 में भारी वाहन चलाने का लाइसेंस हासिल किया। हरिभूमि के फाइटर महिला कॉलम में नवरात्रि के तृतीय दिवस हमने चुना योगिता को। पेशे से वकील रहीं योगिता ने कहा कि मैंने एक सैलून में भी काम किया और ड्रेस डिजाइन का कोर्स भी किया।

पुरुष प्रधान क्षेत्र में काम करना आसान नहीं था
योगिता ने बताया कि पुरुष प्रधान क्षेत्र में काम करना आसान नहीं था लेकिन मैंने हिम्मत नहीं हारी और अपने बच्चों के भविष्य के लिए पुरुष वर्चस्व वाले इस क्षेत्र में कदम रखा। उन्होंने कहा कि मेरे पिता और मेरे भाई ने सबसे पहले मुझसे ट्रक न चलाने के लिए कहा, लेकिन मैंने उनकी बात नहीं मानी, मैंने वही किया जो मैं करना चाहती थी।

Yogita Raghuvanshi
देश की पहली महिला ट्रक ड्राइवर योगिता

टायर की दुकान वाले होते हैरान, लोगों ने दिए कमेंट्स
पहली महिला ट्रक ड्राइवर ने कहा कि जब वह टायर की दुकान पर जातीं तो टायर की दुकानों पर मरम्मत करने वाला गलती से किसी दोपहिया वाहन को मेरा वाहन समझ लेता था और मुझे उन्हें ट्रक की ओर इशारा करना पड़ता था। इसके साथ ही मैंने लोगों के कमेंट्स, फब्बितयों पर ध्यान नहीं दिया बस अपने काम में लगी रही। क्योंकि कमेंट्स या फब्बितयां मेरे लिए सेकेंडरी है और मेरा काम प्राइमरी।

और भी पढ़ें:- तनोट माता मंदिर: पाकिस्तान ने गिराए थे 3 हजार से ज्यादा बम, चमत्कार के आगे सब बेअसर; पढ़ें पूरी कहानी

बेटी आईटी इंजीनियर तो बेटा है टेक्निकल इंजीनियर
पति की मृत्यु के बाद मैंने जूनियर वकील के रूप में अपनी प्रैक्टिस शुरू की लेकिन इससे जो आमदनी होती थी वह बच्चों की परवरिश के लिए अपर्याप्त थी। वकालत में लंबे समय तक संघर्ष करने के बाद ज्यादा सफलता नहीं मिली। परिवार की बिगड़ती आर्थिक स्थिति के बीच मेरे पास पति के ट्रांसपोर्ट व्यवसाय को संभालने का अलावा ओर कोई विकल्प नहीं था। उन्होेंने कहा कि आज मेरी बेटी आईटी इंजीनियर है तो बेटा यूएसए के कम्पनी में टेक्निकल इंजीनियर है। लेकिन फिर भी मैंने अपना काम नहीं छोड़ा।

WhatsApp Button व्हॉट्सऐप चैनल से जुड़ें WhatsApp Logo
Next Story