World Child Labour Against Day : नन्हें कंधों पर पैसे कमाने का बोझ, इन बच्चों ने संघर्षों का सामना कर जीवन को संवारा

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बाल मजदूरी एक दंश
World Child Labour Against Day : बाल मजदूरी एक ऐसा दंश है कि जो किसी बच्चे से उसका भविष्य छीन लेता है। जिस उम्र में बच्चे अपना जीवन संवारने और समाज से रुबरु होना सीखते हैं।

World Child Labour Against Day : बाल मजदूरी एक ऐसा दंश है कि जो किसी बच्चे से उसका भविष्य छीन लेता है। जिस उम्र में बच्चे अपना जीवन संवारने और समाज से रुबरु होना सीखते हैं, उस उम्र में उन नन्हें कंधों पर पैसे कमाने का बोझ डालना उनके जीवन को निरर्थक बना देता है, लेकिन इन्हीं बच्चों में से कई ऐसे भी बच्चे हैं, जिन्होंने संघर्षों का सामना कर अपने जीवन को नया रूप दिया, क्योंकि उनके सामने संघर्ष के अलावा कोई और रास्ता ही नहीं।

जीवन संवारने के क्रम में आगे बढ़ रहे हैं
विश्व बाल श्रम निषेध दिवस पर हरिभूमि ने ऐसे बच्चों को तलाशा है जिन्होंने अपने जीवन की कठिन परिस्थितियों से हार न मानकर और चाइल्ड लेबर न बनाकर अपने जीवन को संवारा है और आज एक मुकाम हासिल किया है। वहीं हरिभूमि ने अनुनय एजुकेशन एंड वेलफेयर सोसायटी के ऐसे बच्चों को मी तलाशा जो झुग्गी झोपड़ियों में रहते हैं लेकिन इन्हें संस्था की हेड माही भजनी ने शिक्षा की ली दी जिससे ये आगे बढ़ रहे हैं, यह बच्चे अभी 6वीं, 7वीं और 8वीं में हैं और करीब 70-80 प्रतिशत लाकर अपना जीवन संवारने के क्रम में आगे बढ़ रहे हैं।

एक ही विकल्प था या तो पिता की मदद करूं या पढ़ाई करूं
भोपाल के रवि मालवीय जिन्होंने कठिन परिस्थितियों में अपना जीवन जिया, रवि के पिता सिक्योरिटी गार्ड हैं और मां हाउस वाइफ, रवि ने कहा कि मेरे पास एक ही विकल्प था कि मैं या तो पैसे कमाऊं और पिता की मदद करूं या पढ़ाई करके अपने जीवन को आगे बढ़ाऊं, ऐसे में मेरे पिता ने मुझे पढ़ाने का निश्चय लिया और मैंने एक सरकारी स्कूल में एडमिशन लिया साथ ही हमारी एक नेहा दीदी जिन्होंने हमें फ्री में पढ़ाया और फिर मैंने 12वीं के बाद जेईई एग्जाम दिया जहां से मेरा सिलेक्शन इंदौर के श्री गोविंद राम केसरिया इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी में हुआ. जिसमें हाल ही में मेरा कैंपस सिलेक्शन अडानी कंपनी में हुआ है। ऐसे में यह कहूंगा कि मैंने संघर्ष को अपने जीवन का मार्ग चुना और आज सफलता हासिल की।

पढ़ने के प्रति मेरी लगन ने मेरी तकदीर ही बदल दी
प्रेम वैष्णव भी उन्हीं बच्चों में से एक हैं। जिनके पिता समोसे का ठेला लगाते हैं. ऐसे में प्रेम ने अपने पिता के कहे अनुसार शिक्षा का रास्ता अख्तियार किया और बड़ी मेहनत से पढ़ाई की, जेईई एग्जाम के द्वारा प्रेम का सिलेक्शन इंदौर के गोविंद राम केसरिया इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी में हुआ, वर्तमान में प्रेम फायनल ईयर में हैं और कैंपस प्लेसमेंट में शामिल होने वाले है।

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