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हरियाणा में भाजपा से गठबंधन टूटने के बाद जजपा के टूटने का सिलसिला थम नहीं रहा है। कांग्रेस में शामिल होकर निशान सिंह ने 30 साल बाद घर वापसी की तो झज्जर के जजपा जिला अध्यक्ष सं एवं बादली से दो बार चुनाव लड़ चुके संजय कबलाना ने पार्टी छोड़ दी।

झज्जर/फतेहाबाद। प्रदेश में 25 मई को लोकसभा के लिए होने वाले मतदान के लिए सोमवार से नामांकन प्रक्रिया शुरू होने के साथ जजपा के झज्जर से जिला अध्यक्ष संजय कबलाना ने पार्टी को  अलविदा कह एक बड़ा झटका दे दिया। संजय कबलाना ने 2019 में बादली विधानसभा से जेजेपी के टिकट पर चुनाव लड़कर 20 हजार से अधिक वोट हासिल कर क्षेत्र में अपना प्रभाव दिखा चुके हैं। विधानसभा चुनावों के बाद संजय कबलाना जजपा में शामिल हो गए थे तथा पार्टी ने उन्हें जिला अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी थी। फिलहाल उनके कांग्रेस में जाने के कयास लगाए जा रहे हैं, परंतु अंतिम फैसला कार्यकर्ताओं से बैठक के बाद ही लिया जाएगा।

क्षेत्र में प्रभावशाली थे पिता ओमप्रकाश

संजय कबलाना के पिता ओमप्रकाश कबलाना भी क्षेत्र में उनका अच्छा खासा प्रभाव माना जाता था। ओमप्रकाश कबलाना न केवल कई सामाजिक संगठनों से जुड़े रहे, बल्कि गो सेवा के लिए उन्होंने अपनी खास पहचान बनाई। संजय ने अपने पिता के काम को आगे बढ़ाने के लिए सियासत को चुना तथा 2009 में बादली से भाजपा की टिकट पर पहली बार चुनाव लड़ा। इनेलो में टूट के बाद 2019 में जजपा में शामिल हो गए तथा बादली से विधानसभा चुनाव लड़ा, परंतु जीत नहीं पाए। पार्टी ने उन्हें जिला अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी हुई थी। सोमवार को उन्होंने पार्टी को अलविदा कह दिया।

आज कांग्रेस में घर वापसी करेंगे निशान सिंह

जजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष 30 साल बाद आज चंडीगढ़ में कांग्रेस पार्टी ज्वाइंन करेंगे। टोहाना से विधायक रहे निशान सिंह ने जजपा छोड़ने की मुख्य वजह जजपा कोटे से मनोहर सरकार में मंत्री रहे देवेंद्र बबली को बताया। उन्होंने कहा कि देवेंद्र बबली के समय में पार्टी कार्यकर्ताओं की अनदेखी से उन्हें यह फैसला लेना पड़ा। देवेंद्र बबली की सक्रियता से अपने लिए राजनीति खतरे को भांपते हुए कांग्रेस में जाने के बाद भी निशान सिंह की राह इतनी आसान नहीं होगी। यहां पहले से ही कांग्रेस के पास परमजीत सिंह जैसे कद्दावर नेता है तथा निशान सिंह भी टोहाना से राजनीति करते हैं।

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