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Hospital Fire Accused News: दिल्ली के विवेक विहार में नवजात बच्चों के अस्पताल में अग्निकांड के बाद आज पुलिस ने केयर सेंटर संचालक को कोर्ट में पेश किया। कोर्ट ने मनोज खिंची और डॉक्टर को पुलिस रिमांड पर भेज दिया है।

Delhi Newborn Hospital Fire Accused: दिल्ली के विवेक विहार में नवजात बच्चों के अस्पताल में आग के बाद हुए हादसे ने सबको झकझोर कर रख दिया है। दिल्ली पुलिस ने अस्पताल के संचालक नवीन खींचि और डॉक्टर अभिषेक को बीते दिन गिरफ्तार कर लिया था, जिन्हें आज सोमवार को कोर्ट में पेश किया गया। कोर्ट ने नवीन और अभिषेक को 30 मई तक पुलिस की रिमांड में भेज दिया है। हालांकि, पुलिस ने कोर्ट से आरोपी को पांच दिन की रिमांड मांगी थी। लेकिन पुलिस ने तीन दिन की ही रिमांड दी।

दरवाजा बंद हुई सुनवाई

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सुनवाई कोर्ट का दरवाजा बंद करके हुई थी। नवीन खीची ने पुलिस से कहा आग में झुलसने से नवजातों की मौत पर वह शर्मिंदा है। उसने कुबूल किया कि अस्पताल के संचालन में उसने नियमों की अनदेखी की हुई थी। उसका पांच बेड का अस्पताल था, लेकिन उसने 12 बच्चों को भर्ती किया हुआ था। आरोपी डॉक्टर घटना के बाद जयपुर भाग गया था, अस्पताल से डीवीआर नहीं मिला, उसकी बरामदगी पुलिस करने में जुटी हुई है। दोनों गिरफ्तार आरोपियों के मोबाइल का डेटा निकाल कर उसकी जांच करनी है।

12 घंटे बाद अस्पताल संचालक गिरफ्तार 

बता दें कि जिस वक्त अस्पताल में आग लगी उस वक्त दो डॉक्टर्स, छह नर्स और एक सुरक्षाकर्मी मौजूद था। जो नवजातों की परवाह किए बिना अपनी जान बचाकर भाग खड़े हुए। हादसे के 12 घंटे के बाद पुलिस ने अस्पताल संचालक डॉ. नवीन खीची व अस्पताल के डॉ. आकाश को गिरफ्तार कर लिया।


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कई खामियों की वजह के बाद भी चल रहा था अस्पताल

विवेक विहार का बेबी केयर सेंटर नियम को ताक पर रख कर चलाया जा रहा था। जानकारी के मुताबिक यह अस्पताल पिछले डेढ़ साल से बिना एनओसी के चलाया जा रहा था। अस्पताल में फायर सेफ्टी का भी कोई भी इंतजाम नहीं था। स्थानीय लोगों की मानें तो उन्होंने कई बार अस्पताल की पुलिस प्रशासन से शिकायत की।

लेकिन इसके बाद भी कोई एक्शन नहीं हुआ। समाप्त हो चुके अस्पताल के लाइसेंस के हिसाब से 5 बेड की अनुमति थी। लेकिन घटना के वक्त 12 बच्चे नवजात भर्ती थे। इसके अलावा आग लगने की स्थिति में आपातकालीन स्थिति के लिए अस्पताल में कोई अग्निशामक यंत्र भी नहीं था। साथ ही कोई आपातकालीन निकास द्वार भी नहीं थी।

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